Monday, March 29, 2010

टूटता सब्र, बिखरते परिवार ........>>>> संजय कुमार

आज क्यों रंग रहे हैं अपनों के हाँथ अपनों के ही खून से ! आज जहाँ देखो वहां ये ही ख़बरें देखने और सुननेको मिल रही हैं ! पति पत्नि ने गुस्से मैं आकर अपने छोटे -छोटे बच्चों सहित खुदखुशी कर ली ! एक पुत्र ने गुस्से मैं आकर अपने ही माँ-बाप को मार डाला , प्रेमी ने प्रेमिका की हत्या कर दी , किसी छात्राने छत से कुन्दकर अपनी जान दे दी ! इस तरह की ख़बरें आज आम हो गयी हैं ! क्यों हो रहा है यह सब, क्या है इन सब घटनाओं के पीछे कारण ! क्यों आज इन्सान जल्दी अपनी सुध-बुध खो देता है ! और बन जाता है अपनों के खून का प्यासा और , बन जाता है एक अच्छे परिवार का दुश्मन ! इन सबका कारण हैं आज के इन्सान के पास सब्र का ना होना ! और अगर सब्र है तो वह भी छोटी छोटी बातों पर टूट जाता है ! और उत्पन्न होती हैं इस तरह की घटनाएँ और बिखरता परिवार ! रहें अपनों के साथ और करें उन पर विश्वास कि वह आपके अपने हैं ........
कहते हैं कि जब इन्सान का सब्र टूटता है तो कहीं न कहीं कोई ज्वालमुखी फटता है , या भूचाल आता है, या कुछ अच्छा होता है , या बहुत बुरा ! पर आज सिर्फ बुरा ही, बुरा हो रहा है ! इसका कारण है आज के इन्सान के अन्दर सब्र का कम होना ! आज बहुत जल्दी लोगों का सब्र टूट जाता है , और बहुत कुछ हाँथ से निकल जाता है ! और फिर बाद मैं सिर्फ पछतावा और पश्चाताप

आज हम सब के जीवन मैं एक ना एक दिन ऐसा आया होगा जब हमारा सब्र टूटा होगा ! अगर हमने गुस्से मैं आकर कोई गलत निर्णय लिया होगा! जिससे उपजे हुए कुछ गलत परिणाम ! जिसका पछतावा आज कहीं ना कहीं, हमारे मन होगा ! सब कुछ सब्र टूटने का परिणाम !
आज क्यों टूटता जा रहा है इन्सान का सब्र ! इस सबके पीछे यह इन्सान ही है , इन्सान ने आज के इस दौर मैं अपने आपको इतना व्यस्त कर लिया है की वह अपनी किसी भी परेशानी या दुख मैं किसी वाहर बाले की दखलंदाजी नहीं चाहता ! जब हमारे घरों मैं होने वाली छोटी-छोटी बातें को हम जब अपने दिल मैं घर करने देते हैं तो यह छोटी-छोटी बातें एक दिन बड़ी घटनाओं का रूप ले लेती हैं ! आज जिस तरह का माहौल हमारे समाज मैं है वहां पर हम एक दुसरे से कहीं ना कहीं बड़े बनना चाहते हैं ! और कहीं ना कहीं इसमें हम लोग दिखावा ही करते हैं ! किसी भी बात पर झुकना नहीं चाहते ! जब हमारे अंदर ही इस तरह के भाव नहीं होंगे तो ! कहाँ पर टिकेंगे आज के पारिवारिक रिश्ते ! कहीं ना कहीं हमें इस और ध्यान देना होगा ! अपनी दुख तकलीफ को अपनों के साथ बांटें ! और बचें ऐसी किसी घटना से ! क्योंकि आज के समय मैं आपका परिवार ही आपकी ताक़त बन सकता है !
तो ना टूटने दें अपने सब्र को ! और ना बिखरने दें अपने परिवार को


धन्यवाद

3 comments:

  1. आपका परिवार ही आपकी ताक़त बन सकता है
    BIKUL SAHI FARMAYA

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  2. सहिष्णुता खत्म हो गई है!!

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  3. सच तो यह है कि परिवारों में टूटन का कारण कोई अन्य नहीं है बल्कि आदमी का लालच और स्वार्थ ही ही है जिसके कारण वह दूसरों के बारे में सोचना ही बंद करता जा रहा है सिर्फ अपने-अपने और अपना भर स्वार्थ साधना ही उसकी जिन्दगी का मकसद हो गया है....!

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