Saturday, March 27, 2010

अगर मैं रूठ गई तो .......>>>>> संजय कुमार

अगर मैं रूठ गई तो जानते हैं आप क्या होगा इस ब्रह्माण्ड का ! कुछ नहीं वचेगा इस प्रथ्वीपर हर जगह सिर्फ तवाही ही तवाही, इसलिए मैं कहती हूँ , मुझे रूठने पर मजबूर मत करो ! बल्कि मुझे बचानेका पूरा प्रयत्न करो ! मैं पर्यावरण और प्रकृति हूँ ! विश्व की ब्रह्माण्ड की सबसे कीमती धरोहर ! जैसे जैसे इन्सान आधुनिक होता जा रहा है , वैसे वैसे मेरी सुन्दरता कम होती जा रही है, आज इन्सान ने अपने आप को इतना व्यस्त कर लिया है की उसका ध्यान अब मेरी और से पूरी तरह हट गया है ! वह मुझे भूलता जा रहा है ! मैंने तो हमेशा से इस कायनात को अपना सर्वश्व दिया है , और इन्सान ने मुझे क्या दिया , जिसे देखो मेरा दोहन कर रहा है , कभी पैसे के लिए तो कभी अपने शौक के लिए , फिर भी मैं कुछ नहीं कहती ! शायद कभी मेरे बारे मैं सोचेगा ! मैंने तो इस इन्सान को इतने उपहार दिए हैं ! जिसका ऋण ये मानव कभी नहीं उतार सकता ! पर यह सब मुझे बर्बाद किये जा रहे हैं !
आज मैं इस मानव जाति से नाराज हूँ ! अगर आप लोग मेरी सलामती के लिए आगे नहीं आये तो मैं जल्द ही आप सब से रूठ जाऊंगी ! अगर मैं आप सब से रूठ गई तो क्या होगा इस ब्रह्माण्ड का इसका शायद आप लोग अंदाजा भी नहीं लगा सकते ! कुछ करो मेरे लिए ! मैं चाहती हूँ अब आप मेरे लिए थोडा सा सहयोग और थोडा श्रमदान करें ! मैं चाहती हूँ आप सब अपने जीवन मैं कम से कम एक वृक्ष जरूर लगायें ! अगर सारे इन्सान सिर्फ एक एक वृक्ष ही लगायें तो मैं आपसे वादा करती हूँ मैं सब कुछ पहले जैसा कर दूँगी ! आज तो मेरा स्वरुप ही बदल गया है ! जिससे मैं काफी दुखी हूँ !


मेरा आप सभी से विनम्र निवेदन है , कृपया मुझे वचाने आप सब लोग आगे आये और सहयोग प्रदान करें ! मैं आप सभी का धन्यवाद करती हूँ और आशा करती हूँ , की आप मुझे अपने से रूठने नहीं देंगे !


आपकी
प्रकृति और पर्यावरण


धन्यवाद

2 comments:

  1. सच में यदि प्रकृति हमसे रूठ गयी तो विनाश निश्चित है...

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  2. Prakrati jab bhi roothi hai bade-bade vinash hue hain.. jab Dianosuar jaise vishalkaay praaniyon ki nahin chali to insaan kya cheej hai. sach hai prakrati se chhechhad ka nateeja hamne bhugatna shuru to kar hi diya hai fir bhi hamen samajh me nahin aata.. ab isse jyada kya ho sakta hai??
    bahut Umda soch sundar lekhan Sanjay Ji..

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