Tuesday, March 9, 2010

हँसता जग,.... रोता हुआ किसान...............

वर्षों से हम यही कहते आ रहे हैं, भारत एक कृषि प्रधान देश है, ये किसान भारत की शान हैं, जान हैं, और ना जाने कितनी तरह की बातें करते हैं! पर आज इस देश मैं जो किसानो की स्थति है वह किसी से छुपी नहीं है, आज जहाँ हम लोग कौन कौन से दिवस मानाते हैं हमें खुद को पता नहीं होता और सारा विश्व सारे अख़बार भरे पड़े रहते हैं इन ख़बरों से, कहीं इसका जन्मदिन कहीं उसकी पुण्यतिथि, हर दिन बस ऐसी ख़बरों मैं फसे रहते हैं, शायद हम बहुत कुछ देखना नहीं चाहते, हम सब कहीं ना कहीं सब कुछ जानकर भी अंजानहैं,


आज किसान हर तरफ से दुखी है , आज का किसान कर्ज मैं पैदा होता है और कर्ज मैं ही मर जाता है , हम जो जीवन जीते हैं, वह तो किसान सिर्फ कल्पना ही कर सकता है, आज कहीं सूखे से किसान मर रहा है, कहीं ज्यादा बारिस किसान को बर्बाद कर रही रही है,हमारी सरकार किसानों के लिए कितना कर रही है, इसका कितना फायदा उनको मिलता है ये हम सब से छुपा नहीं, जहाँ किसान एक -एक पैसे को दर दर भटक रहा है, वहीँ इस देश मैं कुछ नेता अपनी प्रतिमा लगवाने मैं पैसे का दुरूपयोग कर रहे हैं, जहाँ किसान अपनी फसलों का उचित मूल्य भी नहीं पाते वहीँ राजनेता मंहगाई बड़ा बड़ा के अपनी तिजोरियां भर रहे हैं , और कहते हैं की आज का किसान खुश है, जहाँ हम लोग किसी के अछे कार्य पर पुरुष्कृत करते है तो जो किसान हर दिन रात , सर्दी गर्मी , धुप छांव मैं मेहनत करके हम सभी की जरूरत को पूरा करते हैं तो हम उनको पुरुष्कृत क्यों नहीं करते हम उनके लिए क्या करते हैं , उन्हें भी एक अच्छी जिंदगी जीने का हक है ,
हमें शास्त्रीजी का वह नारा अब वदल देना चाहिए जो उन्होंने दिया था

जय जवान --जय किसान , आज हमें नए नारे का निर्माण करना चाहिए और वो है

जय नेता ---जय अभिनेता, अब सारे देश मैं यही चल रहा है

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