हमारे देश के अखबार आज किन ख़बरों से भरे पड़े रहते हैं ? " IPL " में इस खिलाडी का धमाल , उस खिलाडी का कमाल , " सोना-चांदी आसमान पर " शेयर बाजार लुढ़का " सचिन को भारत रत्न " पाकिस्तानी राष्ट्रपति " का दौरा , मिसाइल परिक्षण , " राष्ट्रपति चुनाव " बैंक ब्याज दरें , सलमान - कैटरीना की ख़बरें , पूनम पांडे , बीना मालिक की अश्लील ख़बरें ! बही पुरानी ख़बरें भ्रष्टाचार , घूस और घोटाले , आम जनता के साथ धोखा , गन्दी राजनीति, इसके आलावा आज कुछ भी नहीं बचा जो इस देश में नहीं हो रहा हो ! हम लोंग हर दिन कोई ना कोई दिन किसी ना किसी दिवस के रूप में अवश्य मनाते हैं ! जन्म-दिवस पर फल मिठाईयाँ , फल वितरण मान-सम्मान में दो शब्द ! पुन्य-तिथि पर शौर्य गाथा ! आज भी एक दिवस है और जिन लोगों के लिए ये दिवस मनाया जाता है उनमें से ९० से ९५ % तक को ये बात मालूम ही नहीं होती ! आज है " मजदूर दिवस ", महाराष्ट्र डे, मई दिवस जिसे आज पूरे हिंदुस्तान में मनाया जा रहा है ! पर कौन है वो जो आज मजदूर दिवस मना रहा है ? चार पहिया ठेला चलाने वाला मजदूर , बड़ी - बड़ी इमारतों में ईंट-पत्थर ढ़ोने वाला मजदूर , बड़ी-बड़ी मीलों और कारखानों में बंधुआ मजदूर के जैसे काम करने वाला , एक-एक रूपए के लिए अपना खून-पसीना बहाने वाला , सुबह -सुबह उठकर काम-धंधे की तलाश में निकला मजदूर ! आखिर मजदूर दिवस है किसके लिए ? क्या मजदूर के लिए ? जी नहीं, मजदूर दिवस तो मना रहे हैं हमारे देश के महान खादीधारी नेता ! वह भी वातानुकूलित कमरों में बैठकर चाय की चुस्कियों के साथ और कर रहे हैं मजदूर को मिलने वाली योजनाओं की राशि का बंदरबांट ! भीषण गर्मी हो या सर्दी या फिर बरसात निरंतर परिश्रम करने वाला यह इन्सान जिसे हम मजदूर के नाम से जानते हैं ! यह बात हम सभी बहुत अच्छे से जानते हैं कि, मजदूर दिवस पर क्या होता है ? क्या हो रहा है ? और आगे भी क्या होगा ? नेताजी सुबह सुबह अपनी वातानुकूलित कार से उतरेंगे , तुरंत उनका माल्यार्पण होगा , उनके लिए ठन्डे जलपान की व्यवस्था की जायेगी ! सभा में चिलचिलाती धूप में बैठा मजदूर नेताजी के नाम के नारे लगाएगा उसकी पार्टी का गुणगान करेगा ! नेताजी एक भाषण देंगे कि, आज का मजदूर जिन्दावाद , हम हमेशा से अपने मजदूर भाइयों के साथ हूँ ! मजदूर हमारा भगवान् होता है , मजदूर ना हो तो इस देश में कोई काम नहीं चलेगा , मजदूरों ने इस देश को बहुत कुछ दिया , वगैरह वगैरह ..... और भोला भाला मजदूर अपनी तारीफ़ सुनकर ख़ुशी से फूला नहीं समाता ! मजदूर इस बात से खुश हो जाता है कि , जिस नेता कि जय जयकार हम जिंदगी भर करते हैं , आज वह हमारी जय जयकार कर रहा है ! ज्यादातर मजदूरों को तो यह तक मालूम नहीं होता कि, ये मजदूर दिवस होता क्या है ? क्यों मनाया जाता है ? आज का मजदूर तो होली, दिवाली और ईद भी ठीक ढंग से नहीं मना पाता तो ये मजदूर दिवस कैसे मनायेगा ! मजदूर का जन्म तो गरीबी में होता है और एक दिन मजदूरी करते करते दम तोड़ देता है ! हमारे देश में मजदूरों की स्थिति किसी से छुपी नहीं हैं ! मजदूर किस तरह अपने आप को बेचकर किसी कारखाने में अपनी पूरी जिंदगी निकाल देता है ! किस वदहाली में आज का मजदूर जी रहा है ! यह सब जानते हुए भी हम कुछ नहीं कर सकते ! सरकार ने तो आज तक सिर्फ मजदूरों के नाम पर सेकड़ों योजनायें चलायी हैं ! जो सिर्फ कागजों पर सिमट कर रह गयीं हैं ! सभी योजनायें सिर्फ अधिकारीयों की जेबें भरने के लिए बनायीं जाती हैं ! क्या हैं मजदूरी के नियम कायदे ? क्या हैं उनका हक क्या हैं उनके अधिकार ? जब एक आम पढ़े लिखे इन्सान को अपने हक और अधिकारों की जानकारी नहीं है तो फिर अनपढ़ और भोले- भाले मजदूरों को कहाँ मालूम होंगे उनके अधिकार ! मजदूर के बच्चों की शिक्षा, घर, दवा और ना जाने कितनी योजनाओं का पैसा मजदूर को मिलना चाहिए लेकिन वह पैसा उन योजनाओं में शामिल अधिकारी नेता और ठेकेदार अपने घर, अपने बच्चों की अच्छी शिक्षा और अपने ऐशोआराम पर खर्च कर रहे हैं ! और मजदूर रह जाता है जन्म से लेकर मृत्यु तक सिर्फ मजदूर ! मजदूर अपने पूरे जीवनकाल में अपना ना तो कभी मनोरंजन कर पाता है ना अपने बच्चों के सपने पूरे ! जहाँ एक एक ईंट के साथ मेहनत करके ऊंचे ऊंचे महल बनाता है , वहीँ अपनी पूरी जिंदगी टूटे फूटे झोंपड़ों में निकाल देता है ! जहाँ पल पल पर उसके योगदान की जरूरत पड़ती हैं , वहीँ पल पल पर तिल-तिल मरते हुए वह अपनी जिंदगी निकाल देता हैं ! बिना दवा और बिना किसी की मदद के ! एक ओर इस देश में लाखों टन अनाज खुले आसमान के नीचे पड़े पड़े सड़ जाता है और कहीं एक - एक अनाज के दाने को मोहताज आज का मजदूर ! हमारे यहाँ के मंदिर ट्रस्टों के पास हजारों करोड़ों की संपत्ति है ! विदेशों में अरबों-खरबों रुपया बेकार पड़ा हुआ है ! इस देश के हालात और यहाँ के आम आदमी की हालत किसी से छुपी नहीं है ! क्या कभी कोई ऐसा दिन इन मजदूरों की जिंदगी में आएगा जब आज का मजदूर अपने आपको एक खुशहाल मजदूर कह सकेगा और जिस पर वह फक्र महसूस कर सकेगा !
बात करते हैं " भारत रत्न " की , जिस तरह पूरा देश सचिन को " भारत रत्न " दिलाने के लिए पीछे पड़ा हुआ है ! ठीक उसी प्रकार मैं चाहता हूँ की मुझे भी " भारत रत्न " दिलाने की जद्दोजहद शुरू हो ! सचिन सिर्फ पिछले २३ बर्षों से ईमानदारी और सच्ची लगन के साथ किर्केट खेल रहा है ! भारत का मान-सम्मान विश्व पटल पर रौशन कर रहा है ! किन्तु सच ये है कि , एक दिन सचिन भी किर्केट से रिटायर हो जायेगा ! किन्तु मैं " मजदूर " कभी रिटायर नहीं होऊंगा ! मैं मजदूर एक बच्चा हो सकता हूँ ( बाल श्रमिक ) , मैं एक जवान हो सकता हूँ ! मैं एक प्रौड़ हो सकता हूँ और एक बुजुर्ग मजदूर ( अपने घरों से विस्थापित बूढ़े माता-पिता जो मजदूरी कर अपना पेट भर रहे हैं ) मजदूर की कोई उम्र नहीं होती ! मैंने भी भारत का नाम विश्व पटल पर रौशन किया है ! जैसे मेरे द्वारा निर्मित " प्रेम का प्रतीक ताजमहल " इस जैसी कई इमारतें जो आज भारत का नाम रोशन कर रही हैं ! अब मुझे भी इंतजार है ऐसे मजदूर दिवस का जो सिर्फ और सिर्फ मजदूर के लिए हो ! इन्तजार है मुझे कि क्या मैं भी हक़दार हूँ ? " भारत रत्न " का ..........
मजदूर दिवस पर सभी मजदूरों को मेरा शत शत नमन ..... मजदूर जिंदाबाद ... मेहनत जिंदाबाद
सच्ची बात है... किसान को कभी भारत रत्न क्यों नहीं मिला... जो अपने हाड़ मांस को जला सुखा कर शहर गाँव को हरा करता है... धन वैभव की गूंज है चारो ओर
ReplyDeleteधनवान कोई होता तो धूम मची होती
निर्धन का जनाज़ा भी चुपके से उठा होगा
Bahut khoob.......sateek vyang.......
ReplyDeleteasali hakdaar....haashiye par hi rah jaata hai aur roti uske alava sabki sikti hai ....
हर एक के लिये दिन उत्सव में बदल गये हैं, पर देश का समय खराब चल रहा है।
ReplyDeleteमै आपकी बात से सहमत हूँ,किसान मजदूरों को भी भारत रत्न मिलना चाहिए,
ReplyDeleteपर क्या ये सौभाग्य कभी नसीब होगा,
MY RESENT POST .....आगे कोई मोड नही ....
सच्चा हकदार
ReplyDeleteविचारणीय लेख...
ReplyDeleteखरी - खरी कह दी आपने लेकिन यहाँ सुनेगा कौन ......!
ReplyDeleteकेवल राम जी, कहीं भी कुछ भी लिखा गया व्यर्थ नहीं जाता।
ReplyDeleteसच है कि 'मजदूर उनका भगवान् होता है' लेकिन करें क्या बेचारे.. आखिर हैं तो अधार्मिक ही ना.. बढ़िया पोस्ट संजय जी.
ReplyDeleteमजदूरों को भारत रत्न मिलना चाहिए
ReplyDeleteयह एक कडवा सच है जिसे झुठलाया नहीं जा सकता......सच्चाई को सामने लाता बढ़िया आलेख.....संजय जी
किसान और मजदूर - हमेशा से अपने देश की नींव के पत्थर रहे हैं, उन्हें कोई फर्क नहीं पढता कि कौन सा रत्न मिले...
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट. साधुवाद.
हक तो बनता हें पर दिलायेगा कोंन...... ?
ReplyDelete