मुझे " संत कबीर दासजी " का एक दोहा याद आता है ! " काल करे सो आज कर , आज करे सो अब , पल में परलय होएगी ,बहुरि करेगा कब " किन्तु हम हमेशा यही सोचते हैं ! काश , अगर हम थोड़ा और रुक जाते तो यह मोबाईल हमें और सस्ता मिल जाता , काश , थोड़ा और रुक गए होते तो शायद शादी के लिए लड़का - लड़की और अच्छी मिल जाती और ( साथ में दहेज़ भी ) अक्सर हम लोग इस तरह की बात अपने जीवन में एक -दो बार नहीं कई बार अपनी रोज की दिनचर्या में अपनों के साथ अपने दोस्तों के बीच करते रहते हैं ! कभी कभी लगता है कि , हम शायद सही कह रहे हैं ! हमने शायद जल्दबाजी में आकर कोई चीज खरीद्ली या फिर किसी को खरीदते देख या फिर भेड़ चाल में शामिल होकर कोई निर्णय ले लिया हो और जिसके फलस्वरूप हम बाद में अपने किये फैंसले पर पछता रहे हों ! किन्तु हम लोगों ने कभी इस बात पर गहराई से नहीं सोचा है , और बिना सोचे विचारे हम ये बोल देते हैं कि , थोड़ा और रुक जाते तो ये हो जाता या वो हो जाता ! बात ये सही है किन्तु उन लोगों के लिए जो किसी भी चीज , बात या समय का महत्व नहीं जानते ! क्योंकि समय पर किया गया कोई भी कार्य कभी गलत नहीं होता ! क्योंकि हमारे द्वारा लिए गए किसी भी निर्णय के लिए सिर्फ और सिर्फ हम ही जिम्मेदार होते हैं ! और हर निर्णय को हम बहुत ही सोच समझकर लेते है और सोच समझकर लिए गए निर्णय पर हमें कभी पछताना नहीं चाहिए ! क्योंकि निर्णय वक़्त की मांग पर निर्भर करता है ! जीवन में हर चीज के दो पहलू होते हैं ! पर थोडा सोचना होगा ! अगर हम सब वक़्त की मांग पर निर्णय लेने में थोडा रुक जाएँ , तो क्या होगा ? और क्या हो सकता था ? इसका अंदाजा भी हम नहीं लगा सकते ! अगर हम अपने जीवन में थोडा रुक जाते तो कभी भी मंजिल को हांसिल नहीं कर पाते ! थोडा रुक जाते तो शायद हम आज भी अंग्रेंजों की गुलामी में जीवन व्यतीत कर रहे होते ! अगर हम थोडा रुक जाते तो कैसे करते एक सुनहरे भविष्य का निर्माण ! थोडा और रुक जाते तो कैसे देश का नाम हम विश्व में रोशन कर पाते ! ऐसा कुछ भी नहीं होता अगर हम सब थोडा और रुक जाते ! थोड़ा रुक जाते तो कभी ना बनते गौरवशाली इतिहास और ना ही स्वर्णिम भविष्य ! हम जहाँ थे वहीँ रहते ! गुमनाम और दुनिया जहाँ से अनजान ! ना हमारी कोई पहचान होती और ना ही हमारा कोई नाम होता ! अगर हम थोडा रुक जाएँ तो क्या होगा ? शायद हम इसका अंदाजा भी नहीं लगा सकते ! आज अगर हम थोडा रुक गए तो यह देश दुश्मनों के हाथों में बिकने में जरा भी वक्त नहीं लगेगा , देश के गद्दार इस देश को बेच देंगे और हम बुत बने सिर्फ देखते रह जायेंगे ! थोडा रुक गए तो धर्म और मजहब के नाम पर हम लोगों को आपस में लड़ाने वाले जीत जायेंगे , अगर थोडा रुक गए तो धर्म - मजहब की खाई और भी गहरी होती जाएगी ! इंसान , इंसानियत भूल जायेगा और हम खड़े होकर सिर्फ देखते रहेंगे और देखते रहेंगे अपनों की बर्बादी अपने संस्कारों का पतन ! थोडा रुक गए तो पूरी तरह ख़त्म हो जायेंगे बचे कुचे इंसानी रिश्ते जो पाश्चात्य संस्कृति की चकाचौंध में धीरे-धीरे गुम होते जा रहे हैं ! थोडा रुक गए तो कभी हासिल नहीं कर सकेंगे वो बुलंदी जिसकी चाह में , आज हम सब जी रहे हैं ! थोड़ा रुक गए तो भ्रष्टाचारी , घोटालेबाज , बेईमान एक दिन हमारा सौदा कर जायेंगे और हम कुछ ना कर पायेंगे ! क्योंकि अब वक़्त पूरी तरह बदल चुका है और साथ ही हमारे आस-पास का वातावरण !
सच कहता हूँ और आप भी इस बात को मान लीजिये कि , अब वक्त नहीं है थोडा और रुकने का ! अब वक्त आ गया है हिम्मत से आगे बढ़ने का और अपनी मंजिल को हांसिल करने का ! अब वक़्त आ गया है जागने का ना की थोड़ा रुकने का ! तो अब जाग जाओ और आगे बढ़कर इस देश को बचाओ !
अब ना कहना की थोड़ा रुक जाते तो .. क्योंकि हमने अपना सारा जीवन निकाल दिया थोड़ा और थोड़ा और के चक्कर में ! ( रुक जाना नहीं तू कहीं हार के ) ( एक छोटी सी बात )
धन्यवाद
संजय जी आपने एक दम सही लिखा है ..कि हम अक्सर कल के चक्कर में बैठे रहते है और समय अपनी गति से निकलता चला जा रहा है ..
ReplyDeleteसार्थक लेख के लिए बहुत -बहुत बधाई
सही चिंतन सही सुझाव
ReplyDeleteसही चिंतन, आपने सही लिखा है, इस सार्थक लेख के लिए बहुत -बहुत बधाई,,,,
ReplyDeleteRECENT POST काव्यान्जलि ...: किताबें,कुछ कहना चाहती है,....
Bahut dam hai aapkee baatme!
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - तीन साल..... बाप रे बाप!!! ब्लॉग बुलेटिन
ReplyDeleteगीतों में बसा चिन्तन..
ReplyDeleteसुंदर , अर्थपूर्ण विवेचन
ReplyDeleteसही एवं सटीक लेख .....
ReplyDeleteसमय किसी का इंतजार नहीं करता बह लगातार व्यतीत होता रहता हें और जो समय के साथ नहीं चलता समय उसका साथ छोड़ देता हें तो समय पर किया गया कार्य एक अच्छी सोच और एक अच्छे और सफल कार्य का संकेत हें |
Very true sir.. Time n tide waits for none..
ReplyDeleteVery true
ReplyDeleteवास्तविकता से परिचय हुआ!
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