Wednesday, August 1, 2012

छीन लो भगवान से उसकी सारी दौलत ....... और फिर .....? ......>>>> संजय कुमार

छीन लो  भगवान से उसकी सारी  दौलत .......... खाली करदो उसके भरे हुए खजाने ........भगवान को क्या जरुरत रूपए - पैसे की ,  माफ़ कीजिये .. ये बात मैं नहीं कह  रहा हूँ ... ये बात हमारे देश की एक बड़ी राजनैतिक पार्टी के मुखिया ने कही है ... ये मशविरा उन्होंने हमारे देश की सरकार को दिया है ! उन्होंने कहा है कि हमें हमारे देश के बड़े मंदिर ट्रस्टों , जिनके पास अरबों - खरबों की दौलत के भण्डार हैं , हमें उनसे उनकी दौलत छीनकर सरकारी खजाने में जमा करा लेनी चाहिए , जिससे इस देश की अर्थव्यवस्था को सुधारा जा सके , ये दौलत देश के विकास में सहायक का काम करेगी ! उनकी ये बात सुनकर मुझे तो बहुत गुस्सा आया  ( भगवान को भी बहुत गुस्सा आया होगा  ) ... मैंने  सोचा कि मंदिरों की इस दौलत से भले ही इस देश की अर्थव्यवस्था ना सुधरे , भले ही देश के विकास में ये दौलत काम ना आये ,  किन्तु इस दौलत से देश के भ्रष्ट नेताओं , मंत्रियों , बेईमान , रिश्वतखोर अफसरों की स्वयं की अर्थव्यवस्था जरुर सुधर जाएगी ! पहले ही इस देश को भ्रष्ट मंत्री इतना लूट चुके हैं , उन्हें ये मालूम है की अब आम जनता के पास तो कुछ बचा नहीं !   अब उनके पास  लूटने के लिए आखिर बचा क्या है  ?  " भगवान की दौलत " जिसे  देखकर भ्रष्टाचारियों के मुंह में पानी सा आ गया है , इतनी दौलत उन्होंने इकट्ठी जो ना कभी देखि , अब सभी भ्रष्टाचारियों की निगाहें उस बेशकीमती धरोहर पर हैं जो पिछले सेकड़ों सालों से मंदिरों के गर्भ में सुरक्षित हैं ! इस  दौलत पर सिर्फ आम जनता का हक है क्योंकि आज बहुत से मंदिरों पर जो करोड़ों का चढ़ावा आता है उसमें बहुत बड़ा योगदान आम जनता का है जो धर्म-आस्था के बशीभूत होकर अपनी मेहनत की कमाई इन  मंदिरों पर दान करते हैं चढ़ाते हैं ना की उन लोगों का जो बेईमानी से कमाई गयी दौलत को मंदिरों पर सिर्फ इसलिए दान करते हैं जिससे की उनके द्वारा किये पाप थोड़े से कम हो जाएँ ! वर्ना  भ्रष्टाचारियों का पेट तो इतना बड़ा है की जिसमें सारे जहाँ की दौलत भी डाल  दी जाए तब भी शायद उनका पेट ना भर सके ......  माननीय नेताजी के सुझाव का मैं समर्थन करता हूँ ....... मैं उनकी सभी बातों का समर्थन करता हूँ ........... किन्तु मैं देश की  सरकार ( यदि ईमानदार )  को एक सुझाव  देना चाहूँगा की मंदिरों की दौलत छीनने से पहले सरकार को उन सभी भ्रष्ट मंत्रियों - संत्रियों , भ्रष्ट आला अधिकारीयों , बाबुओं , डॉक्टरों , इंजीनियर , साधू- संत इत्यादि ..... उन सभी से उनकी दौलत को छीन लेना चाहिए जो खाली हाँथ लेकर आये थे और जिन्होंने घोटाले और भ्रष्टाचार के दम पर अपनी तिजोरियों को भर रखा है , यदि ऐसा होता है तो शायद भगवान् की दौलत को छीनने में किसी को कोई परेशानी नहीं होगी ! सबसे पहले उन्हें विदेशी बैंकों  ( स्विस बैंक ) में  जमा " कालाधन  " ( हराम की कमाई ) को बापस लाना होगा ! यदि ऐसा हो गया ( आने वाले 100 साल तक ऐसा नहीं होगा  ) तो सरकार को मंदिरों में रखी अकूत संपदा को छीनने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी ! क्योंकि विदेशों में हमारा इतना पैसा जमा है जो 4-5 छोटे-मोटे देशों की अर्थव्यवस्था को ठीक कर सकता है ! लेकिन ऐसा होगा नहीं क्योंकि इस देश में ईमानदार बहुत कम और बेईमान भरे पड़े हैं ! इस देश की दौलत को दीमक की तरह खाने वालों की नज़र अब भगवान की दौलत पर है ! क्या ये दौलत इन लुटेरों से बच पायेगी ................???
मैं तो कहता हूँ कि भगवान् की दौलत छीनने से पहले हमें देश के सभी भ्रष्टाचारियों की दौलत उनसे छीन लेनी  चाहिए ........ और स्विस बैंक जैसा एक ऐसा बैंक बनाना चाहिए जिसमें दौलत जमा तो की जाए पर जिसे कोई कभी भी निकाल ना पाए !


धन्यवाद 

13 comments:

  1. श्रद्धा का धन धीरे धीरे स्विस बैंक पहुँच जायेगा..

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  2. बहुत सही है ये आक्रोश

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  3. bahut sundar aur sarthak post.
    प्रिय महोदय

    "श्रम साधना "स्मारिका के सफल प्रकाशन के बाद

    हम ला रहे हैं .....

    स्वाधीनता के पैंसठ वर्ष और भारतीय संसद के छः दशकों की गति -प्रगति , उत्कर्ष -पराभव, गुण -दोष , लाभ -हानि और सुधार के उपायों पर आधारित सम्पूर्ण विवेचन, विश्लेषण अर्थात ...


    " दस्तावेज "

    जिसमें स्वतन्त्रता संग्राम के वीर शहीदों की स्मृति एवं संघर्ष गाथाओं , विजय के सोल्लास और विभाजन की पीड़ा के साथ-साथ भारतीय लोकतंत्र की यात्रा कथा , उपलब्धियों , विसंगतियों ,राजनैतिक दुरागृह , विरोधाभाष , दागियों -बागियों का राजनीति में बढ़ता वर्चस्व , अवसरवादी दांव - पेच तथा गठजोड़ के दुष्परिणामों , व्यवस्थागत दोषों , लोकतंत्र के सजग प्रहरियों के सदप्रयासों , ज्वलंत मुद्दों तथा समस्याओं के निराकरण एवं सुधारात्मक उपायों सहित वह समस्त विषय सामग्री समाहित करने का प्रयास किया जाएगा , जिसकी कि इस प्रकार के दस्तावेज में अपेक्षा की जा सकती है /

    इस दस्तावेज में देश भर के चर्तित राजनेताओं ,ख्यातिनामा लेखकों, विद्वानों के लेख आमंत्रित किये गए है / स्मारिका का आकार ए -फोर (11गुणे 9 इंच ) होगा तथा प्रष्टों की संख्या 600 के आस-पास / इस अप्रतिम, अभिनव अभियान के साझीदार आप भी हो सकते हैं / विषयानुकूल लेख, रचनाएँ भेजें तथा साथ में प्रकाशन अनुमति , अपना पूरा पता एवं चित्र भी / विषय सामग्री केवल हिन्दी , उर्दू अंगरेजी भाषा में ही स्वीकार की जायेगी / लेख हमें हर हालत में 10 सितम्बर 2012 तक प्राप्त हो जाने चाहिए ताकि उन्हें यथोचित स्थान दिया जा सके /

    हमारा पता -

    जर्नलिस्ट्स , मीडिया एंड राइटर्स वेलफेयर एसोसिएशन

    19/ 256 इंदिरा नगर , लखनऊ -226016

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  4. Main aapse purn sahmat hoon in netaon ne desh ko kewal loota hi hae,sewa ke nam par desh ko khaya hi hae

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  5. बहुत बढ़िया सार्थक प्रस्तुति,,,,

    रक्षाबँधन की हार्दिक शुभकामनाए,,,
    RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,

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  6. अंग्रेजों की तरह सोचने पर केवल लूटना ही दिखायी देता है। पहले हमारे सम्‍पदा को वे लूट ले गए और अब ये लूटना चाहते हैं।

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  7. सार्थक विचार. ऐसा आक्रोश अतिरेक को नियंत्रित कर सकता है.

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  8. सच्ची बात कही सर जी , पर यह बात भी उतनी ही सच्ची हे कि हमें हमारे देश के बड़े मंदिर ट्रस्टों , जिनके पास अरबों - खरबों की दौलत के भण्डार हैं,उस दोलत (धन) को सरकारी खजाने में जमा करा लेनी चाहिए , जिससे इस देश की अर्थव्यवस्था को सुधारा जा सके , ये दौलत देश के विकास में सहायक का काम करेगी । परन्तु सबसे पहले विदेशी बैंकों ( स्विस बैंक ) में जमा " कालाधन " ( हराम की कमाई ) को बापस लाकर देश की अर्थव्यवस्था को सुधारा जाये ....
    और मेरा मानना हे कि फिर भगवान के धन कि आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी ।

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  9. Aapka kahana shat pratishat sahi hai. Par ye bhi sach hai ki pichhle 60 warshon se Rajnetaon ne AAM JANATA ka bhabishya andhkar me daalkar jitna dhan loot kar apne khandaan ke bhabishya ko swarnim banane ke liye wideshi bankon me jama kar rakha hai use wapas lana pahali abashyakata hai.

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