Wednesday, August 8, 2012

एक वित्ता जमीन ...........>>> संजय कुमार

वो कंजी आँखों वाला 
" चीकू "
चुलबुला नटखट चीकू 
जब भी पड़ोस में 
अपनी नानी के घर आता 
मेरा साथ उसे बड़ा भाता 
था तो मुझसे छोटा 
पर था एकदम खोटा
अरे इतना बतियाता 
मेरे सिर को खाता 
मैं डांट लगाती 
फिर भी हँसता जाता 
मैं बहाने ढूँढती कि 
वो , सिर दर्द मेरे घर ना आये 
वो बहाने ढूँढता कि 
वो कैसे मेरे घर आये 
और मेरा सिर खाए 
पर कुछ भी हो 
हर छुट्टियों में 
मुझे उसका इन्तजार रहता !
उस बार छुट्टियाँ खत्म होने को थी 
वो नहीं आया 
फिर एक शाम सुनने में आया 
चीकू का क़त्ल हो गया 
" एक वित्ता जमीन " के 
विवाद को लेकर 
पडोसी ने अपनी रंजिस 
मासूम बच्चे पर निकाली 
वो पैसे वाले धनी लोग थे 
जिसके दम पर 
न्याय बिक गया 
मेरे बेगुनाह " चीकू " के कातिल 
बेगुनाह साबित हो गए 

( प्रिये पत्नि गार्गी की कलम से , एक सत्य घटना पर आधारित )

धन्यवाद 

6 comments:

  1. दुखद..जमीन को मोल जान से अधिक न हो..

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  2. आपकी पोस्ट कल 9/8/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें

    चर्चा - 966 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  3. स्वतन्त्रतादिवस की पूर्व संध्या पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

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