Sunday, April 1, 2012

ब्लौग जगत को मेरा अंतिम सलाम , आप सभी स्वीकार करें ( धन्यवाद ) .....>>> संजय कुमार

प्रिये साथियों मैं अब ब्लौग लेखन बंद कर रहा हूँ ! प्रिये साथियों मैं आज ब्लॉग जगत को अलविदा कहते हुए , अपनी अंतिम पोस्ट लिखते हुए बहुत ग़मगीन और दुखी हो रहा हूँ ! मैं ब्लॉग जगत को छोड़ना नहीं चाहता हूँ , पर मैं कर भी क्या सकता हूँ ! आज मेरी मजबूरी मुझे ऐसा करने के लिए मजबूर कर रही है ! प्रिय  साथियों  २ बर्ष से ज्यादा हो गए हैं मुझे लिखते हुए ! किन्तु आज भी मैं सिर्फ सीखने की कोशिश ही कर रहा हूँ ! जब से लिखना शुरू किया तब से आज तक सिर्फ १३५ ही फौलोवर्स बन पाए हैं ! २२००० के लगभग पेज वीवर्स हैं ! कुल मिलाकर २१०० टिप्पणियां प्राप्त हुई हैं आप सभी की ओर से , बस यही बहुत कम हैं ! आजकल लगता है जैसे मेरे ब्लॉग पर तो टिप्पणियों का अकाल सा पड़ गया है ! सच है भई....... आजकल " FACEBOOK " जो हर जगह छाया हुआ है ! अब  ब्लॉग से ज्यादा  " FACEBOOK " खोला  जाता  है ! पिछले दो सालों में मैंने क्या लिखा और क्या नहीं लिखा ये तो आप सभी अच्छे से जानते हैं ! और मुझे बता भी सकते हैं ! किन्तु अब मैं क्या लिखूं ? कुछ समझ नहीं आता ! मुझे लगता है  मेरे पास अब लिखने को कुछ भी नहीं बचा है ! मैंने आज तक बही सब लिखा जो मैंने देखा और सुना  या जो मैंने आप लोगों से सीखा और मार्गदर्शन में लिखा  ! मैंने आज तक  २४६ पोस्ट लिखीं हैं ! मेरी पोस्टें  कुछ लोगों को बहुत अच्छी लगी और कुछ लोगों को कुछ खास नहीं , फिर भी मैं बराबर लिखता चला गया वो भी बिना रुके बिना थके ! कभी अपने व्यंग्य से आप लोगों को हँसाने की कोशिश की तो कभी अपने विचारों से आप लोगों को अवगत कराया ! कई बार अपने सन्देश आप लोगों तक पहुंचाए , वो सन्देश जो इंसान के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं ! कभी भ्रष्टाचार पर लिखा तो कभी राजनीति पर , कभी नेता मेरे निशाने पर रहे तो कभी अभिनेता , कभी बच्चों और युवाओं को जागरूक करने के लिए  लिखा तो कभी माता-पिता पर ,  कभी " किसानों " की स्थिति को दर्शया , और कभी  गरीबी को , कभी संस्कारों की बात की जिन पर आज विदेशी संस्कार भारी पड़ते दिख रहे हैं ! कभी आधुनिकता को लेकर आप लोगों को आगाह किया ! कभी प्रिय पत्नि " गार्गी " की कवितायेँ आप लोगों तक पहुंचाई तो कभी अपनी २-३ कवितायेँ ! यह सब आप लोगों ने पसंद किया और आप लोगों ने मेरे लेखन पर अपनी बहुमूल्य टिप्पणियों से मेरा मार्गदर्शन भी किया जिसे में कभी भूल नहीं सकता ! आप लोगों के कारण मेरी कई पोस्ट चर्चामंच पर लगायी गयीं जो मेरे जैसे  छोटे-मोटे ब्लौगर  के लिए फक्र की बात होती है ! ये सब आप लोगों का  प्रेम और स्नेह ही था जो मैं अपने दो साल भी पूरे कर पाया ! आज कल मेरा मन ब्लौग लेखन में नहीं लगता , अब मुझे भी " FACEBOOK "  पर अपने मित्रों की संख्या में  इजाफा करना है ! सच कहूँ तो अब मेरे पास कोई मुद्दा  बचा ही नहीं जिस पर मैं कुछ लिख सकूँ ! अब मैं मुद्दे और बिषय  ढून्ढ-ढून्ढ कर थक गया हूँ किन्तु विषय हाँथ नहीं लग रहे  हैं " FACEBOOK " होता तो कुछ भी अटरम -शटरम लिख देता  , सभी लोग पसंद करेंगे , ब्लौग पर तो कुछ भी ऐसा वैसा नहीं लिख सकते ! सोचता हूँ मुझे इस लेखन से आखिर आज तक क्या मिला ? लेखन में  मैंने कौन से झंडे गाढ़ दिए और कौन सा  " ऑस्कर " या  " नोवेल "  मिल गया ! आखिर क्या मिला मुझे ? मन की संतुष्टि , आत्मा को चैन , अपने दिल में छुपे गुस्से को बाहर किया या फिर वगैरह - वगैरह , ये सब कुछ किताबों और फिल्मों में अच्छा लगता है किन्तु वास्तविक जीवन में नहीं ! लेकिन मैं  अब पूरी तरह से अपना " मूड " बना चुका हूँ  कि,  मैं अब कभी नहीं लिखूंगा ! अंत में दो सालों में आपसे मिले अपार प्रेम और मार्ग - दर्शन को में शत शत नमन करता हूँ !

अंत में चंद लाइनें आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ ! जो मेरी इस पोस्ट का सारांश है ! गौर .... फरमाइए
                                                                /
                                                                /
                                                                /
                                                                /


एक पुराना गीत जो मुझे याद आया !


 अप्रैल फूल बनाया , क्यों आपको गुस्सा आया ,  इसमें मेरा क्या कसूर .......... जमाने का कसूर , जिसने ये दस्तूर बनाया ! 
और  आज मैंने भी आपको  .......अप्रैल फूल बनाया  ( 1st April ) ( मुर्ख - दिवस )  पर  मेरी ओर से आप सभी को  मूर्खतापूर्ण बधाई !


 धन्यवाद

22 comments:

  1. वाह संजय जी
    बहुत बढ़िया ............मुर्ख दिवस की शुभ कामनाए

    ReplyDelete
  2. ha ha ha ha..... Tumne to dara hi diya tha...

    Ant bhala to sab bhala...

    Ham murkh hi bhaley... :-)

    ReplyDelete
  3. संजय जी,...आपका अप्रैल फ्रूल बनाने का तरीका पसंद आया,.....

    ReplyDelete
  4. कुछ दिन पहले डॉक्टर दराल ने एक पोस्ट लिखी थी कि सक्रिय ब्लागरों की संख्या दिन पर दिन कम होती जा रही है. इसलिए यह विचार आज के दिन के लिये भी ठीक नहीं है.

    ReplyDelete
  5. हमको समझ में आ गया था पर पूरा पढ़ने का आनन्द और ही है।

    ReplyDelete
  6. चाहे अप्रैल फूल ही सही लेकिन आप कई ब्लागरों के दिल का दर्द बयां कर गए... आज से आप की हर पोस्ट पर टिप्पणी करूंगा...​​
    ​​
    ​.................​
    ​​
    ​....................​
    ​​
    ​काउंटर अप्रैल फूल बनाया...​
    ​​
    ​जय हिंद...
    ​​

    ReplyDelete
  7. देखिये यहाँ हर दूसरे ब्लोगर की यही दास्ताँ है इसलिये अब हमे फ़र्क नही पडता फिर मूर्ख बनने का तो सवाल ही नही उठता ………हा हा हा ………लेकिन फिर भी अन्दाज़-ए-बयाँ काबिल-ए-तारीफ़ है काफ़ी लोग तो बन जी जायेंगे :)))))))))))))

    ReplyDelete
  8. आदरणीय संजय जी ,
    मैं आपको हमेशा पढ़ती हूँ , हर लिखे पर त्वरित टिप्पणी संभव नहीं . मैं आपको एक ब्लॉग का लिंक देती हूँ - http://rajiv-chaturvedi.blogspot.in/
    एक भी टिप्पणी नहीं . अब शायद इन्होंने एकाध को स्वीकार करना भी छोड़ दिया है , पर पढकर देखिये - कोई रचना कम नहीं . एक भी पढ़े और समझे , यह काफी है .
    ब्लॉग हमारी निजी डायरी है .... उस पर लिखकर हम सुकून पाते हैं . टिप्पणी से आने की मुहर लग सकती है , पढ़ने की नहीं और जिन्हें रूचि है , वे पढेंगे ही -
    शुभकामनायें

    मेरी संजीदगी से अच्छा लगा न प्रयास सफल होने का ? :)

    ReplyDelete
  9. वाह...बहुत खूब!
    उच्चारण पर हामरी तो मात्र 1277 पोस्ट ही हुई है।
    आप जाइए, हम भी आपके पीछे-पीछे आ जायेंगे।
    --
    रामनवमी के साथ-साथ अन्तर्राष्टीय मूर्ख दिवस की भी शुभकामनाएँ स्वीकार करें।

    ReplyDelete
  10. अप्रैल फूल बनाया...​हा हा हा ………

    ReplyDelete
  11. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति..

    ReplyDelete
  12. achchha hai....par sthiti wastav me aisi hi hai

    ReplyDelete
  13. Hahaha....aaj bada soona din beeta....aapne chehrepe muskan laa dee!

    ReplyDelete
  14. वैसे यह एक सच्चाई भी है...प्रशंसनीय प्रस्तुति..

    ReplyDelete
  15. हम तो पहले ही समझ गए थे .....

    पर अच्छा लगा ये मजाक ....:))

    ReplyDelete
  16. प्रिय संजय जी,

    आपने जिन शब्दों में एक ब्लोगर की मन की भावना(कुंठा) को व्यक्त किया हैं वह बकई काबिले तारीफ़ हैं! बहुत ही अची अभिव्यक्ति.............................

    ReplyDelete
  17. क्या सर,
    आपने तो झटका दे डाला |

    ReplyDelete
  18. बहुत जरुरी है भाई जी दोस्तों को झटका देना , एक पल के लिए मैं भी चौंक गया , बस ख्वाईश है आप लिखते रहें , मैं तो इस कतार में आपसे ही नहीं बहुत ही पीछे खड़ा हूँ फिर भी अभी तक पूरी तरह छोड़ने का विचार नहीं आया, कुछ न कुछ लिख ही डालता हूँ और आपके विषय और शब्दों में तो मौलिकता और यथार्थ जुड़ा रहता है , समाज का पथ प्रदर्शन करती आपकी लेखनी हमेशा चलती रहे , और आज एक बात और जान पाया की आपकी अर्धांगनी कवितायेँ लिखती हैं सुनकर बहुत ख़ुशी हुई, कभी हमें भी उनके शब्दों से अवगत करायें और मेरी तरफ से उन्हें भी शुभकामनाएं दें !

    ReplyDelete