दो दिन पहले की खबर है ! हमारे पड़ोसी मुल्क " चीन " में एक कटोरे की नीलामी हुई है , बोली लगाने वाले ने उस कटोरे को १३९ ( एक सौ उनतालीस करोड़ रूपए ) में खरीदा है ! सुना है कटोरा ९०० साल पुराना है ! आखिर इतना मंहगा कटोरा खरीदने की क्या जरुरत है ! हमारे देश में तो कटोरा दिखाकर करोड़ों झोली में आ जाते हैं ! जब भी कटोरा शब्द हमारे जेहन में आता है , तो उस वक़्त हमारी आँखों के सामने फटे- पुराने , मैले - कुचैले कपड़े पहने हुए , चेहरे और शरीर पर गंदगी लिए हांथों में पुराना बर्तन लिए एक भिखारी की छवि सामने आती है ! उसके हाँथ में जो कटोरा होता है बही उसकी रोजी- रोटी का साधन होता है ! वो कटोरा उसका हथियार होता है , और उस हथियार से वो भूख जैसे राक्षस का दमन करता है ! एक - एक घर , एक - एक दुकान पर हाँथ फैलाकर, भीख मांगकर वो अपने कटोरे को भरता है और ये कार्य वो एक दिन नहीं , तब तक करता है जब तक उसकी साँसें चलती है ! इस सांसारिक दुनिया में हम जिसके हाँथ में कटोरा देखते हैं उसे हम बहुत ही लाचार , दीन-दुखी और कभी - कभी घ्रणा के पात्र के रूप में देखते हैं ! क्योंकि किसी के आगे हाँथ फैलाना , किसी से कुछ माँगना , सब कुछ भीख माँगना या कटोरा भरने की श्रेणी में आता है ! ऐसा हम गरीबों और भिखारियों के बारे में सोचते हैं ! किन्तु कटोरा तो आज सभी के हांथों में , मैं देख रहा हूँ ! देश के भ्रष्ट राजनेताओं के पास भी एक - एक कटोरा है जो भ्रष्टाचार , घोटाले , बेईमानी कर अपने कटोरों को भर रहे हैं ! ( गरीब के कटोरे को खाली कर ) हमारी सरकार अपने हाँथ में कटोरा लेकर " विश्व बैंक " के आगे हाँथ फैलाकर अपना कटोरा ( तिजोरियां ) भर रही हैं ! आज देश के डाक्टर , इंजीनियर , पुलिस अफसर , धार्मिक साधू-संत , मंत्री - संत्री इन सभी के कटोरे जनता से लूटे पैसों से लबालब भरे हुए हैं ! अगर किसी का कटोरा खाली है तो वो है इस देश का गरीब , मध्यमवर्ग , किसान , मजदूर वर्ग , ये वो लोग हैं जो २४ घंटे , दिन-रात मेहनत कर एक- एक पैसा इकठ्ठा कर अपनी जरूरतों को पूरा करने की कोशिश करते हैं और ये कोशिश वो अंतिम सांस तक करते हैं , फिर भी जीवन भर उनका कटोरा खाली का खाली ही रहता है ! बेटी की शादी , बच्चों की पढ़ाई , खेती के लिए बीज , दैनिक उपयोग की चीजें , गाड़ी, घर इन्हीं में पूरा जीवन निकल जाता है ! गरीब को मिलने वाली मदद , योजनाओं का लाभ , सहायता राशि भी जरुरतमंद की मदद नहीं कर पाती ! इस देश में सभी के कटोरे भरे हुए हैं , सिर्फ गरीब का कटोरा खाली है , और ऐसा खाली जो कभी भर नहीं सकता ! यदि गरीब का कटोरा किसी चीज से भरा हुआ होता है तो वो है विश्वास , आस , और उम्मीद से कि, वो दिन कभी तो आएगा जब...............
करोड़ों में कटोरे बिक गए
" बापू " की लाठी,
ऐनक के दाम भी लग गए
करोड़ों में खिलाड़ी बिक गए
अरबों में लाइसेंस बिक गए
हर भ्रष्टाचारी के हाँथ,
गरीब के कटोरे लग गए
इन्हीं कटोरों के नाम पर
आज तक गरीब ही ठगे गए !
( छोटा सा प्रयास कुछ लिखने का )
धन्यवाद
करोड़ों में कटोरे बिक गए
" बापू " की लाठी,
ऐनक के दाम भी लग गए
करोड़ों में खिलाड़ी बिक गए
अरबों में लाइसेंस बिक गए
हर भ्रष्टाचारी के हाँथ,
गरीब के कटोरे लग गए
इन्हीं कटोरों के नाम पर
आज तक गरीब ही ठगे गए !
( छोटा सा प्रयास कुछ लिखने का )
धन्यवाद
बहुत बढिया आलेख और रचना।आपने बिल्कुल सही आंकलन किया है।
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति .....धन्यवाद !
ReplyDeleteकटोरों के भाव बढ़े हैं, कटोरे वालों की संख्या भी।
ReplyDeleteवाह!!!!!!बहुत सुंदर रचना,अच्छी प्रस्तुति........संजय जी
ReplyDeleteMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....
sach kaha aapne....gareeb ke pet par laat maar ab ye bade2 log apna katora bhar rahe hai
ReplyDeletebahut sundar ....abhar.
ReplyDeleteसर,एक कहाबत हें कि बड़ी मछली छोटी मछली को खा जाती हें इसी को आधार बनाते हुये बहुत सुन्दर एवं जागरूक लेख प्रस्तुत किया हें आपने |
ReplyDeleteकटोरे को नए सन्दर्भों में प्रयोग करके आपने सही दिशा दी है ....!
ReplyDeleteSanjay ji,
ReplyDeleteaapne is lekh ke jariye is desh ki katu vastvikta ko darsaya hain...............bahut achi prastuti!
अच्छे और गंभीर विषयों पर ध्यान आकर्षित करने और मनन करने का अवसर देने के लिए आपका आभार।
ReplyDeleteपूरा संसार ही कटोरामय हो रहा है
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना,संजय जी
ये पैसेवालों की दुनिया है, इससे जितना दूर रहा जाये उतना ही अच्छा है।
ReplyDeleteइन्हीं कटोरों के नाम पर
ReplyDeleteआज तक गरीब ही ठगे गए !
.........बिल्कुल सही आंकलन किया है !
संजय भास्कर
आदत....मुस्कुराने की
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
आशा रखें कुछ अच्छा होने कि ...
ReplyDeleteशुभकामनायें भाई !