Friday, April 13, 2012

चीरहरण नहीं , हमने तो बलात्कार किया है ! 250 बीं पोस्ट .......>>>> संजय कुमार

चीरहरण की जब भी बात चलती है तो हमारे सामने " महापुराण महाभारत " का वो प्रसंग याद आता है जब युधिष्ठिर द्वारा जुये में हारी " द्रोपदी " का चीरहरण " दुर्योधन " के कहने पर " दुशासन " द्वारा किया जाता है ! किन्तु  उस वक़्त भगवान " श्रीकृष्ण " ने द्रोपदी का चीरहरण होने से रोक लिया था यानि अपनी शक्ति का प्रयोग कर उनकी रक्षा की थी ! ये घटना द्वापरयुग की है ! आज हम कलियुग में जी रहे हैं या घोर कलियुग भी कह सकते हैं ! ये वो कलियुग है  जहाँ पाप - अत्याचार , लूट - खसोट - बेईमानी, भ्रष्टाचार और हर बुराई आज अपने चरम पर है ! जहाँ भाई- भाई का नहीं , रिश्ते नातों का मूल्य लगभग समाप्ति की ओर तेजी से बढ रहा है ! देश का कानून " अँधा कानून " बनकर रह गया है ! सारी व्यवस्थाएं चौपट हो चुकी हैं ! चारों ओर " अंधेर नगरी - चौपट राजा " जैसे राज चल रहा है ! कोई भी नियम , कायदे-कानून आज हमारे लिए मखौल बन गए हैं !  हमारा सबसे बड़ा और सबसे सच्चा साथी हमारा " संयम " अब बात बात पर हमसे टूटने लगा है , और जिसके टूटने से , हमसे हमारा बहुत कुछ छूट रहा है ! वो कौन है ? जो ये सब कर रहा है ! वो कौन है ? जिसकी बजह से ये सब हो रहा है ! क्या आप जानते  हैं उसे ? जी हाँ , हम जानते हैं उसे ! वो कोई और नहीं है वो हम ही हैं , हम कलियुगी इंसान ! हम ही  हैं हर  चीज के जिम्मेदार , क्योंकि आज हर बुराई हम ही से है ! आज  कितनी तेजी से हमारे अन्दर का इंसान , हमारी इंसानियत अपना दम तोड़ रही है ! कारण हम ही हैं ! क्योंकि हमने कभी भी जीवन के लिए लाभप्रद , समाज के हित में बनाये गये  नियमों  का पालन सही तरीके से कभी नहीं किया ! कभी अपने फायदे के लिए , कभी किसी दुसरे के नुक्सान के लिए हमारे द्वारा सभी नियमों को तांक पर रखा गया !  देश की हर व्यवस्था  का चीरहरण हमने किया है ! चीरहरण कहना गलत होगा सच कहूँ तो हमने  " बलात्कार " किया है एक बार नहीं हजारों बार किया है ! हर कानून को  हमने तोड़ा है ! मनमाने  ढंग से हमने अपनी हर सही - गलत  बात मनवाई  है ! अपना रौब , प्रभुत्व जमाने के लिए हम कई बार हर  हद से गुजर गए ! हमारे द्वारा बनाये गए आदर्श  और सिद्धांतों  को हमने ही अपने हांथों पूरी तरह तहस - नहस और चकनाचूर किया है ! जिसका खामियाजा भी हमने ही उठाया है , जिसके गंभीर परिणाम आज हम भुगत रहे हैं ! कभी प्रकृति हमसे अपना बदला ले रही है ! हमारे ५००० बर्ष पुराने संस्कारों का चीरहरण तो आज प्रतिदिन हो रहा है ! जिसका उदाहरण  हमारे गैर संस्कारी बच्चों द्वारा  हमारे सामने ऐसे प्रश्न खड़े कर दिए गये हैं  जिनका जबाब ना तो हमारे पास होता है और ना ही उनके पास ! ( जिस्मफरोशी , नशा , सिगरेट , शराब मौजमस्ती के नाम पर अय्याशी जैसे  कई उदहारण हैं , और ये सब अच्छे संस्कारों की कमी के कारण   )  जब तक हम क्रमवद्ध , नियमानुसार , सिद्धांतों का सही अनुशरण नहीं करेंगे तब तक हमारे द्वारा किये गये सभी गलत कामों को हम " चीरहरण नहीं बलात्कार " का नाम देंगे ! 
सच है चीरहरण दुशासन ने नहीं हमने किया है !
 
यह मेरी  250 बीं पोस्ट है  ! मैं आप सभी का आभार प्रकट करता हूं ! आप सभी को धन्यवाद देता हूँ ! आगे आप सभी से  मार्ग-दर्शन की आशा रखता हूँ !
धन्यवाद 

 

14 comments:

  1. कल चमन था आज एक सहरा हुआ

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  2. विचारणीय बातें हैं आपकी पोस्ट में ......इसे मानवीय चरित्र का पतन ही कहेंगे ....!

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  3. संजय जी ,आपने सही कहा,..
    देखते ही देखते ये क्या हुआ...बेहतरीन पोस्ट .

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....

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  4. 250 बीं पोस्ट के लिए हार्दिक शुभकामनाएं...

    आपकी पोस्ट में वर्तमान दशा का सटीक आकलन हैं ....

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  5. सर्वप्रथम बैशाखी की शुभकामनाएँ और जलियाँवाला बाग के शहीदों को नमन!
    आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर लगाई गई है!
    सूचनार्थ!
    --
    250वीं पोस्ट के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

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  6. बहुत बढ़िया प्रस्तुति |
    बधाईयाँ ||

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  7. परिवारों में संस्‍कारों का समाप्‍त होना, परिवार समाप्‍त होना, समाज समाप्‍त होना, ये बहुत से कारण है जब इंसान पर अंकुश समाप्‍त हो गया ओर वो स्‍वेच्‍छाचारी हो गया।

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  8. बहुत खूबसूरती से बात रखने का सुन्दर तरीका बहुत सुन्दर प्रस्तुति हर बार की तरह समाज में आये बदलाव की तरफ इशारा करती रचना |

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  9. आज के इस कलयुग में संस्कारों एवं समाज में कुछ इस तरह के हो रहें क्रूर परीवर्तन को आपने बहुत सुन्दर शव्दों में खंडन किया हें | और 250वीं पोस्ट के लिए बहुत शुभकामनाएँ!

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  10. आपकी सभी प्रस्तुतियां संग्रहणीय हैं। .बेहतरीन पोस्ट .
    मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए के लिए
    अपना कीमती समय निकाल कर मेरी नई पोस्ट मेरा नसीब जरुर आये
    दिनेश पारीक
    http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/04/blog-post.html

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  11. कलयुग का सजीव वर्णन. इन परिवर्तनों के प्रति सजग करने का सार्थक प्रयास इस २५० वीं पोस्ट के द्वारा सराहनीय है. बधाई.

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  12. जब आदर्श और नैतिकता ध्वस्त
    होते हैं तो अनेक समस्याएँ पैदा होती है ।
    अच्छा लेख ....

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  13. asi kaha aapne sadiyin se yahi hota hai .
    aapko 150th post ke liye bahut bahut badhai
    rachana

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