चीरहरण की जब भी बात चलती है तो हमारे सामने " महापुराण महाभारत " का वो प्रसंग याद आता है जब युधिष्ठिर द्वारा जुये में हारी " द्रोपदी " का चीरहरण " दुर्योधन " के कहने पर " दुशासन " द्वारा किया जाता है ! किन्तु उस वक़्त भगवान " श्रीकृष्ण " ने द्रोपदी का चीरहरण होने से रोक लिया था यानि अपनी शक्ति का प्रयोग कर उनकी रक्षा की थी ! ये घटना द्वापरयुग की है ! आज हम कलियुग में जी रहे हैं या घोर कलियुग भी कह सकते हैं ! ये वो कलियुग है जहाँ पाप - अत्याचार , लूट - खसोट - बेईमानी, भ्रष्टाचार और हर बुराई आज अपने चरम पर है ! जहाँ भाई- भाई का नहीं , रिश्ते नातों का मूल्य लगभग समाप्ति की ओर तेजी से बढ रहा है ! देश का कानून " अँधा कानून " बनकर रह गया है ! सारी व्यवस्थाएं चौपट हो चुकी हैं ! चारों ओर " अंधेर नगरी - चौपट राजा " जैसे राज चल रहा है ! कोई भी नियम , कायदे-कानून आज हमारे लिए मखौल बन गए हैं ! हमारा सबसे बड़ा और सबसे सच्चा साथी हमारा " संयम " अब बात बात पर हमसे टूटने लगा है , और जिसके टूटने से , हमसे हमारा बहुत कुछ छूट रहा है ! वो कौन है ? जो ये सब कर रहा है ! वो कौन है ? जिसकी बजह से ये सब हो रहा है ! क्या आप जानते हैं उसे ? जी हाँ , हम जानते हैं उसे ! वो कोई और नहीं है वो हम ही हैं , हम कलियुगी इंसान ! हम ही हैं हर चीज के जिम्मेदार , क्योंकि आज हर बुराई हम ही से है ! आज कितनी तेजी से हमारे अन्दर का इंसान , हमारी इंसानियत अपना दम तोड़ रही है ! कारण हम ही हैं ! क्योंकि हमने कभी भी जीवन के लिए लाभप्रद , समाज के हित में बनाये गये नियमों का पालन सही तरीके से कभी नहीं किया ! कभी अपने फायदे के लिए , कभी किसी दुसरे के नुक्सान के लिए हमारे द्वारा सभी नियमों को तांक पर रखा गया ! देश की हर व्यवस्था का चीरहरण हमने किया है ! चीरहरण कहना गलत होगा सच कहूँ तो हमने " बलात्कार " किया है एक बार नहीं हजारों बार किया है ! हर कानून को हमने तोड़ा है ! मनमाने ढंग से हमने अपनी हर सही - गलत बात मनवाई है ! अपना रौब , प्रभुत्व जमाने के लिए हम कई बार हर हद से गुजर गए ! हमारे द्वारा बनाये गए आदर्श और सिद्धांतों को हमने ही अपने हांथों पूरी तरह तहस - नहस और चकनाचूर किया है ! जिसका खामियाजा भी हमने ही उठाया है , जिसके गंभीर परिणाम आज हम भुगत रहे हैं ! कभी प्रकृति हमसे अपना बदला ले रही है ! हमारे ५००० बर्ष पुराने संस्कारों का चीरहरण तो आज प्रतिदिन हो रहा है ! जिसका उदाहरण हमारे गैर संस्कारी बच्चों द्वारा हमारे सामने ऐसे प्रश्न खड़े कर दिए गये हैं जिनका जबाब ना तो हमारे पास होता है और ना ही उनके पास ! ( जिस्मफरोशी , नशा , सिगरेट , शराब मौजमस्ती के नाम पर अय्याशी जैसे कई उदहारण हैं , और ये सब अच्छे संस्कारों की कमी के कारण ) जब तक हम क्रमवद्ध , नियमानुसार , सिद्धांतों का सही अनुशरण नहीं करेंगे तब तक हमारे द्वारा किये गये सभी गलत कामों को हम " चीरहरण नहीं बलात्कार " का नाम देंगे !
सच है चीरहरण दुशासन ने नहीं हमने किया है !
यह मेरी 250 बीं पोस्ट है ! मैं आप सभी का आभार प्रकट करता हूं ! आप सभी को धन्यवाद देता हूँ ! आगे आप सभी से मार्ग-दर्शन की आशा रखता हूँ !
धन्यवाद
कल चमन था आज एक सहरा हुआ
ReplyDeleteविचारणीय बातें हैं आपकी पोस्ट में ......इसे मानवीय चरित्र का पतन ही कहेंगे ....!
ReplyDeleteसंजय जी ,आपने सही कहा,..
ReplyDeleteदेखते ही देखते ये क्या हुआ...बेहतरीन पोस्ट .
MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: आँसुओं की कीमत,....
250 बीं पोस्ट के लिए हार्दिक शुभकामनाएं...
ReplyDeleteआपकी पोस्ट में वर्तमान दशा का सटीक आकलन हैं ....
सर्वप्रथम बैशाखी की शुभकामनाएँ और जलियाँवाला बाग के शहीदों को नमन!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर लगाई गई है!
सूचनार्थ!
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250वीं पोस्ट के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
बहुत बढ़िया प्रस्तुति |
ReplyDeleteबधाईयाँ ||
परिवारों में संस्कारों का समाप्त होना, परिवार समाप्त होना, समाज समाप्त होना, ये बहुत से कारण है जब इंसान पर अंकुश समाप्त हो गया ओर वो स्वेच्छाचारी हो गया।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरती से बात रखने का सुन्दर तरीका बहुत सुन्दर प्रस्तुति हर बार की तरह समाज में आये बदलाव की तरफ इशारा करती रचना |
ReplyDeletedhnyvad meenakshi ji,
Deleteआज के इस कलयुग में संस्कारों एवं समाज में कुछ इस तरह के हो रहें क्रूर परीवर्तन को आपने बहुत सुन्दर शव्दों में खंडन किया हें | और 250वीं पोस्ट के लिए बहुत शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteआपकी सभी प्रस्तुतियां संग्रहणीय हैं। .बेहतरीन पोस्ट .
ReplyDeleteमेरा मनोबल बढ़ाने के लिए के लिए
अपना कीमती समय निकाल कर मेरी नई पोस्ट मेरा नसीब जरुर आये
दिनेश पारीक
http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/04/blog-post.html
कलयुग का सजीव वर्णन. इन परिवर्तनों के प्रति सजग करने का सार्थक प्रयास इस २५० वीं पोस्ट के द्वारा सराहनीय है. बधाई.
ReplyDeleteजब आदर्श और नैतिकता ध्वस्त
ReplyDeleteहोते हैं तो अनेक समस्याएँ पैदा होती है ।
अच्छा लेख ....
asi kaha aapne sadiyin se yahi hota hai .
ReplyDeleteaapko 150th post ke liye bahut bahut badhai
rachana