Saturday, August 25, 2012

अपनों के बीच रहते हुए , अपनापन ढूँढना पड़ता है ...>>> संजय कुमार

आज इंसानों और जानवरों के बीच,
अंतर ढूँढना पड़ता है ! 
" संसद भवन " की भीड़ में से , 
सच्चा राजनेता ढूँढना पड़ता है !
 अपनों के बीच रहते हुए , 
अपनापन ढूँढना पड़ता है !
 हैं दोस्त हजार फिर भी , 
एक दोस्त ढूँढना पड़ता है !
रोज-रोज होते झगड़ों में हमें 
प्यार ढूँढना पड़ता है ! 
पति-पत्नी को एक-दुसरे में,
विश्वास  ढूँढना पड़ता है ! 
आज लोग गीतिका " तो कहीं " भंवरी "के लिए
इंसाफ ढूँढ रहे हैं! 
यहाँ तो देश की सर्वोच्च अदालतों में, 
इंसाफ ढूँढना पड़ता है !
इस कलियुग में माँ-बाप को ,
"श्रवण कुमार " ढूँढने पड़ते हैं !
बढ़ गए पाप, अत्याचार और बुराई कि, 
अब अच्छाई ढूँढनी पड़ती है ! 
बेईमानों के बीच रहते हुए ,
ईमानदारी ढूँढनी पड़ती है ! 
गली - गली बैठा है खुदा  फिर भी ,
खुदा की खुदाई ढूँढनी पड़ती है ! 
अनाथ , दर- दर की ठोकर खाते ,
बच्चों को माँ की ममता ढूँढनी पड़ती है !
पश्चिमी सभ्यता में ढले लोगों में, 
अब हमें अपनी सभ्यता ढूँढनी पड़ती है !
हैं इंसान करोड़ों में फिर भी ,
इंसानों में इंसानियत ढूँढनी पड़ती है !
देखों चहुँ ओर , भ्रष्टाचारी के गड्ढे हैं 
अब गड्ढों में हमें सड़क ढूँढनी पड़ती है ! 


धन्यवाद 
 

12 comments:

  1. अपवादों के दिन आ गये हैं।

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  2. अपनों के बीच रहते हुए ,
    अपनापन ढूँढना पड़ता है ! हैं दोस्त हजार फिर भी ,
    एक दोस्त ढूँढना पड़ता है ! रोज-रोज होते झगड़ों में हमें
    प्यार ढूँढना पड़ता है ! पति-पत्नी को एक-दुसरे में,
    विश्वास ढूँढना पड़ता है !
    bahut gehri bat kah di aapne.

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  3. अपने तो अब नाम के ही हैं!
    सुन्दर प्रस्तुति!

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  4. जहाँ कुछ नहीं होता
    खोज वहीँ चलती है

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  5. वाह! बहुत सुंदर।

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  6. और ढूंढते रह जाओगे वाली बात चरितार्थ हो रही है ....

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  7. अपनों के बीच रहते हुए , अपनापन ढूँढना पड़ता है ...
    ख़ूबसूरत रचना ...

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  8. अपनों के बीच रहते हुए , अपनापन ढूँढना पड़ता है .. wakai mein mushkil hai.

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  9. gaddhon me sadak dhundhna
    kya baat kah di aapne kamal
    rachana

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