कहा जाता है कि कला और हुनर तो हर इंसान के अन्दर छुपा हुआ होता है बस जरुरत होती है उसे बाहर लाने की , कुछ लोग इस प्रयास में सफल भी हो जाते हैं और कुछ असफल ! कहा तो ये भी जाता है कि , कुछ लोग जो अपनी बुद्धि से पैदल ( बेबकूफ ) होते हैं उन्हें यदि आप ज्ञान घोलकर भी पिलायें तब भी वो जीवन भर कुछ भी नहीं सीख पाते हैं ! कुछ के बारे में ये भी सुना गया है कि कुछ लोग तो " GOD GIFT " ही पैदा होते हैं जिन्हें भगवान सम्पूर्ण हुनरमंद और कलाकार बना कर ही भेजता है ! ( सम्पूर्ण तो शायद भगवान् भी नहीं थे , ऐसा मैंने सुना है ) उदाहरण के तौर पर हम कई नाम आपको गिना सकते हैं जिन्होंने अपने बलबूते अपनी कला , हुनर के दम पर विश्व स्तर पर सफलता के कई कीर्तिमान स्थापित किये हैं ! दूसरी ओर कई लोगों का तो पूरा जीवन ही निकल जाता है सीखते सीखते और तब भी सफलता उनके हाँथ नहीं लगती ! कभी कभी एक हुनरमंद कलाकार भी सुविधाओं के अभाव में सफलता का स्वाद नहीं चख पाटा ! मैं यहाँ ऐसे कुछ नामचीन लोगों की बात कर रहा हूँ जिन्होंने बहुत कम समय में बहुत कुछ और जरुरत से ज्यादा सीख लिया है , बड़े बड़े कलाकार इन हुनरमंदों से बहुत पीछे हो गए हैं ............ बहुत कम समय में इन कलाकारों ने इस देश को बता दिया है की इनसे बढकर कोई और दूजा नहीं हैं ! क्या आप जानना चाहेंगे कौन हैं ये लोग ? ....... अरे भई .......... सबसे बड़े कलाकार .......... इस देश के पालनहार ( मारणंहार ) प्रतिदिन अपनी कलाओं से सबको चौंकाने वाले .......... जन-जन के प्रिये ( आजकल सिर्फ चमचों के मुंह से ही सुना जाता है ये शब्द ) और आपके अपने " नेताजी " ............... इन कलाकारों में मैं उन सभी को शामिल करना चाहूँगा जिन्होंने इस देश को लूटने का बेजोड़ हुनर सीखा है ! इनमें आप देश के सभी भ्रष्टाचारियों और बेईमानों को शामिल कर सकते हैं ! चाहे वो ऊंचे पदों पर बैठे आला अधिकारी हों , रिश्वतखोर पुलिसकर्मी हों , धर्म और तंत्र-मंत्र के नाम पर आम जनता को लूटने वाले ढोंगी साधू-संत हों , वोट के नाम पर जनता को गुमराह करने वाले मतलब परस्त नेता हों , सरकारी पैसे का दुरूपयोग करने वाले मंत्री हों , जनता की मेहनत की कमाई पर ( टैक्स ) विदेश भ्रमण के नाम पर अरबों खर्च करने वाले मंत्री हों , गरीबों के हक़ के पैसों से अपनी तिजोरियां ( स्विस बैंक ) भरने वाले देश के लुटेरे हों ! ........ ऐसे कलाकारों की सूचि तो इतनी लम्बी है कि , अगर लिखने बैठ जाएं तो पता नहीं इस जन्म में लिखना पूरा होगा या अगला जन्म लेगा पड़ेगा ! कुछ को भ्रष्टाचार का पुराना अनुभव है तो किसी को भ्रष्टाचार और बेईमानी का हुनर विरासत में मिला है , कुछ इस जमात में नए हैं किन्तु दो-चार बर्षों में ही वो इस विद्या में पारंगत और बड़े कलाकार बन गए ! हमारे देश में भ्रष्टाचारी का तालाब माफ़ कीजिये समंदर बहुत बड़ा है और जिसे हम " पारस पत्थर " का नाम भी दे सकते हैं ........... पारस पत्थर की कहानी तो लगभग सभी ने अवश्य सुनी होगी .......... जिस चीज को ये पत्थर छू जाए वो सोने का बन जाता .......... ऐसा ही है ये समंदर ........ जो अच्छे अच्छों को भ्रष्टाचार और बेईमानी के हुनर का बड़ा कलाकार बना देता है ! कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो जीवन भर ईमानदारी का आलाप भरते नजर आते हैं किन्तु उनकी ईमानदारी में भी हमें बेईमानी झलकती हैं .......... " मगरमच्छी आंसू "
भई हमारा तो आधा जीवन निकल गया फिर भी हम सीखने में लगे हुए हैं कि , शायद कुछ अच्छा करके ईमानदारी से सफलता हांसिल कर सकें .......... और आज के नौसिखिये ,नयी खेप के भ्रष्टाचारियों को देखकर बस एक ही सवाल मन में आता है ! कि ,
इशारों - इशारों में ....... घोटाले करने वालों .......... बता ये हुनर तुमने सीखा कहाँ से .................
धन्यवाद
बड़ा कठिन प्रश्न है..कोई नहीं बतायेगा।
ReplyDeleteकिसी को विरासत से ..
ReplyDeleteकिसी को दो चार साल की ट्रेनिंग से ..
गरीबों के हक के पैसों से तिजोरियां भरते जा रहे हैं ..
समग्र गत्यात्मक ज्योतिष
Harek kala,chahe wo sangeet ho lekhan ho ya chitrkala,ek communication madhyap hoti hai.....zindagi me jo is hunar ko seekh gaya wo bahut kuchh haasil kar jata hai!
ReplyDeleteये हुनर तो नेता बनते ही अपने आप ही आ जाते है,,,,,
ReplyDeleteचाहे तो आजमा कर देख ले,,,,,
RECENT POST ...: आई देश में आंधियाँ....
आदमी को सिखाया कुछ और जाता है लेकिन वास्तविकता में जो वह होता है वह कभी नहीं बन पाता....यह तो गंभीर सवाल है .....????!
ReplyDeleteउत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवार के चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeleteआइये पाठक गण स्वागत है ।।
लिंक किये गए किसी भी पोस्ट की समालोचना लिखिए ।
यह समालोचना सम्बंधित पोस्ट की लिंक पर लगा दी जाएगी 11 AM पर ।।
bahut bahut aabhar , ravikar ji
Deleteyeh hunar to god gift hai, is hunar ko sikhne ki hamare desh ke netayo ko abashakta nahi hai.
ReplyDeleteहर आदमी के
ReplyDeleteअंदर है ये
जिसे मिला मौका
वो हो जाता है
दूसरा बैठ के
गरियाता है
कि वो हो गया
देश का राष्ट्रीय चरित्र
कहाँ खो गया?
कुर्सी सिखलाती सदा, छल की राह अनेक।
ReplyDeleteपाकर सत्ता को बढ़े, हर्ष और व्यतिरेक।।
जन्मजात प्रतिभा के धनी ही इस कलाक्षेत्र में आगे बढ़ते हैं।
ReplyDeleteमानव जीवन में हजारों ऐसे मोड़ आते हें,
ReplyDeleteजिसमे १% ही अपना कर्तव्य निभाते हें,,
सभी पावर में आते ही अपने आप को क्या सबको भूल जाते हें,
जिसमे सर्व प्रथम पर नेता ही आते हें ,,
ये हुनर पैदा होते ही साथ न आते हें ,
पर समय के साथ साथ सब सीख जाते हें ।
अजित जी सही कह रही हैं\
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