आज से ३०-४० साल पहले बच्चों को लेकर एक फ़िल्मी गीत आया था ! " बच्चे मन के सच्चे , सारे जग की आँखों के तारे , ये वो नन्हे फूल हैं जो भगवान को लगते प्यारे " इस तरह के गानों को हम अब कभी कभार ही सुन पाते हैं ! जब " बाल दिवस " आता है ! जब किसी बच्चे का जन्म दिन होता है ! वर्ना आज सभी के दिलो दिमाग पर तो " शीला - मुन्नी और चमेली " और ना जाने ऐसे कितने गीत छाये हुए हैं ! हम जब भी बच्चों पर लिखे हुए गीत सुनते हैं तो हमारी आँखों के सामने बच्चों के खिलखिलाते , कोमल और मासूम चेहरे नजर आते हैं ! बच्चे किसी के भी हों बहुत मासूम होते हैं और हर कोई उन्हें बहुत प्यार करता है ! यहाँ तक की हम पशु -पक्षियों के बच्चों को भी उतना प्यार करते हैं जितना कि अपने बच्चों को ! किन्तु आज जो कुछ बच्चों के साथ हो रहा है , आज जो उनकी स्थिति है उसे देखकर कभी-कभी इंसान होने की आत्मग्लानी हमारे मन में अवश्य होती हैं ! हमारे सामने आज ऐसे हजारों उदहारण हैं जो इंसानियत और मानवता के लिए एक बदनुमा दाग हैं ! क्या हम इंसान ही हैं ? जो अपने बच्चों की खुशियों के लिए जीवनभर तकलीफें उठाते हैं , उन्हें एक अच्छी जिंदगी देने के लिए अब अपना सब कुछ दांव पर लगाने से भी नहीं चूकते , तो दूसरी ओर कुछ लोग अपने ही बच्चों के साथ दिल को दहलाने वाली अमानवीय घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं ! ऐसे कार्य जो जघन्य अपराध की श्रेणी में आते हैं , कर रहे हैं ! हमारे देश में कुछ अजन्मे बच्चों को " माँ " की कोख में ही मार डाला जाता है और इस तरह का कार्य पिता और परिवार के लोगों द्वारा ही किया जाता है ! कहीं दो साल की बच्ची के साथ बलात्कार जैसी इंसानियत और मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटनाएँ हो रही हैं ! कहीं पिता , परिवार और सगे रिश्तेदारों के द्वारा मासूम बच्चे -बच्चियां यौन शोषण का शिकार हो रहे हैं ! तो कहीं माता-पिता अपना पेट भरने के लिए अपने ही मासूम बच्चे का सौदा कर उन्हें बेच रहे हैं ! कहीं बच्चों को माता-पिता के गुस्से का शिकार होना पड़ता है , कहीं माँ तो कहीं पिता बच्चों को मारकर खुदख़ुशी कर लेता है ! तो कहीं स्कूल में टीचर का दुर्व्यवहार बच्चों को सहना पड़ता है ! गरीबी से तंग आकर माता -पिता बच्चों के साथ अन्याय कर रहे हैं ! कहीं ट्रेन में कोई ६ महीने का बच्चा ( बेटी ) छोड़ जाता है , तो कोई नवजात को कचरे के ढेर पर फेंक जाता है ! आज बच्चे कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं ! चारों तरफ बच्चों का भक्षण करने वाले भेड़िये सिर उठाकर खुलेआम घूम रहे हैं ! " निठारी कांड " अरुशी मर्डर " जैसी कई घटनाएँ बच्चों पर हुए निर्मम अत्याचार की गवाह हैं ! बच्चों पर होने वाली इन घटनाओं , उन पर होने वाले अत्याचारों को देखकर लगता है जैसे मासूम बच्चे हम इंसानों की आँख की किरकिरी बन गए हैं ! वर्ना इतना तो शायद ही बच्चों ने कभी सहा हो जितना कि पिछले १०-१५ सालों में ! ऐसा नहीं है इस तरह की घटनाएँ भारत में ही हो रही हैं बल्कि बच्चों के साथ यौन शोषण जैसी घटनाएँ विदेशों में भी कई हुई हैं कई बड़ी हस्तियों का नाम " बाल यौन शोषण " से जुड़ा रहा ! आज जो अत्याचार बच्चों के साथ हो रहे है उसे देखकर तो भगवान भी डरता होगा कि कहीं हमें इस दौर में बच्चे के रूप में जन्म ना लेना पड़ जाये ....... वर्ना पता नहीं इस रूप में हमें और क्या क्या देखना और सहना पड़ता ........ " सारे जग की आँखों के तारे ........ ( इस जग को ) अब नहीं लगते प्यारे " और आपको .....................
धन्यवाद
धन्यवाद
Haan....hamare desh me ladkiyan aksar anchahi aulad rahee hain.....aise kayi so called padhe likhon ko janti hun,jinhen betiki chah nahee thee.
ReplyDeleteबेटियों के प्रति समाज की बेरुखी को इंगित करती पोस्ट.
ReplyDeleteसाधुवाद.
बाल शोषण बढ़ रहा, बढ़ता जा रहा प्रकोप
ReplyDeleteजबतक हम सुधरेगें नही, बढ़ता जाए रोग
बढ़ता जाए रोग, समाजिक क़ानून बनाए
बहिस्कार कर समाज से,घर से दूर भगाए,,,,
MY RECENT POST...:चाय....
बचपन बचा रहे..
ReplyDeleteसार्थक पोस्ट
ReplyDeleteबहुत ही विचारक पोस्ट ,
ReplyDeleteजिसमे हम देखें तो इन्सान की सोच ही इन्सान को खा रही हें जिसका अंजाम एक दिन सबको भुगतना पड़ेगा |
जब परिवारों में संस्कारों के स्थान पर आधुनिकता का पाठ पढाया जाएगा तब मानव भोगवादी बनककर अनर्थ ही करेगा।
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