Saturday, April 21, 2012

सपने ......सस्ते और मंहगे ...........>>> संजय कुमार

सपने देखना किसी परी कथा के जैसा होता है ! रोमांच और ख़ुशी से भरपूर ! जहाँ पर आपकी अपनी खुशियों का अपना संसार होता है , चारों ओर आनंद ही आनंद  " स्वर्ग मिलने का अहसास है सपने  "  सपना तो हमारे पूर्वजों ने देखा था आजादी का और कुशल राष्ट्र निर्माण का , जब वो अंग्रेजों की गुलामी में अपना जीवन बसर कर रहे थे ! सपना तो हमारे क्रांतिवीरों और देश के सच्चे सपूतों ने देखा था ! आजाद भारत का ! सेंकड़ों वीरों और वीरांगनाओं ने अपना वलिदान दिया तब जाकर उनका ( आजादी )  सपना पूरा हुआ , किन्तु जो स्थिति और हालात आज  इस देश के हैं , शायद ऐसी  आजादी का सपना किसी ने नहीं देखा होगा ! सपने सच हुए किन्तु देश की हालत आज चिंताजनक है ! सपना तो आज पूरा हिन्दुस्तान देख रहा है , भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र का ! क्या ये सपना कभी पूरा होगा  ?  सपना तो आज का हर बेरोजगार युवा देख रहा है ,  रोजगार का ! सपना तो देश की आम और गरीब जनता देख रही है मंहगाई कम होने का ! आज देश की संसद भी देख रही है सपना , सच्चे राजनेताओं का , वे राजनेता जो उसके मान - सम्मान को बढ़ाएं ना कि उसे शर्मसार करें  ! ये तो वो सपने हैं जो इस जीवन में तो नहीं लगता कि,  कभी पूरे होंगे ! क्योंकि सपने तो सपने होते हैं ! सपने कभी सच होते हैं तो कभी टूट और बिखर जाते हैं ! ( अगर आज  मुंगेरीलाल जैसा सपना देखोगे तो अवश्य टूट जायेगा )  सपने  भी  कई  तरह  के  होते  हैं  सस्ते ( गरीब देखता है )  मंहगे ( अमीर देखता है ) अपने  लिये ( १०० % लोग ) अपनों  के  लिए ( १० % लोग )  दूसरों के लिए ( इस तरह के सपने अब कम लोग ही देखते हैं ) फ़ालतू के सपने , ( नकारा और कामचोर  ) लोग ही देखते हैं ! सपने झूंठे भी होते हैं जो सिर्फ दूसरों को दिखाए जाते हैं ! ( झूंठे सपने दिखाने में देश के नेता पारंगत है , और बेचारी जनता देखने में ) ! जैसे जैसे वक़्त तेजी से बदल  रहा है , आधुनिकता की आगोश में समा रहा है , सपने भी तेजी के साथ बदल रहे हैं ! आज सपने  जितने मंहगे हैं शायद उतने पहले कभी नहीं थे ! कहा जाता है सपने तो कोई भी देख सकता है ! हर इंसान को सपने देखने का अधिकार है !  गरीब , अमीर बनने के ,  अमीर और अमीर बनने के सपने देखता है ! 
मंहगे सपने सिर्फ अमीर देखता है ! मसलन . मंहगी कार होते हुए भी उससे महंगी कार खरीदने का सपना , पेट्रोल की कीमतें कहीं भी हों उसे फर्क नहीं पड़ता ! मंहगे से मंहगे फ़्लैट , कोई दुबई में बुक करने के सपने देखता है तो कोई चाँद पर रहने के , तो कोई " अंबानी " के " एंटीलिया "  बिल्डिंग के सपने देख रहा है ! हर मंहगी से मंहगी बस्तु खरीदने का सपना , मंहगे से मंहगे शौक पूरे करने का सपना सिर्फ और सिर्फ अमीर ही देखता है ! ऐसे सपने तो गरीब सपने में भी नहीं देखता !
सस्ते सपने तो सिर्फ गरीब देखता है ... मसलन.......... सस्ता घर , सस्ता खाना , सस्ते दैनिक उपयोग के सामान , मुफ्त का माल जितना ज्यादा से ज्यादा ( रस्ते का माल सस्ते में ) , सस्ती गाड़ी , सस्ता पेट्रोल , सस्ता मोबाइल , वो ,  वह सभी चीजें सस्ती खरीदना चाहता है जो बाजार मूल्य से कम कीमत पर उसे मिल जाए ! ऐसे सस्ते सपने होते हैं एक गरीब के !    
सस्ते और मंहगे सपने , दौनों तरह के सपने सिर्फ मध्यमवर्ग परिवार ही देखते हैं ! हमेशा दो पाटों की बीच पिसने वाला यहाँ भी पिसता रहता है ! समाज के साथ चलने , अच्छा लिविंग स्टेटस , नए फैशन को अपनाने का सपना देखते तो हैं , किन्तु इस मंहगाई के दौर में उनकी जेब इस तरह के सपने देखने को गवारा नहीं करती ! वो सपना देखते हैं ये सब पाने का किन्तु सस्ते में ही उनका  काम निकल जाए ऐसा वो सपना हर दिन देखते हैं ! इसलिए माध्यम वर्ग इन्ही सस्ते और मंहगे के चक्कर में अपना पूरा जीवन निकाल देता है ! यहाँ कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो ना तो सपना देखते हैं ,और  ना ही उन्हें फुर्सत होती है सपना देखने की !
कुछ लोग राष्ट्र हित का सपना देखते हैं ! कुछ समाज हित का सपना देखते हैं ! कुछ परिवार हित का सपना देखते हैं ! कुछ अपना हित देखते हैं ! और कुछ ............. आप कौन सा सपना देखते हैं ? 


धन्यवाद 

8 comments:

  1. गहन अभिवयक्ति......

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  2. सबके सपने अपने स्तर के अनुसार मँहगे होते हैं।

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
    आपकी प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ!

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  4. भारतवर्ष में अधिकतर लोग कोई सपना नहीं देखते. सपना देखने वालों का प्रतिशत तो बहुत कम है. और जो देखते भी हैं वह भी अपनी औकात में रह कर. विचारोत्तेजक आलेख.

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  5. सपने अपने-अपने....
    देश के लिए सपना देखो अपना भला तो अपने आप हो जायेगा....

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  6. इस दुनियां में इन्सान तो कई तरह के होते हें,
    पर उनके सपने भी उनकी तरह अलग -अलग होते,
    सपने तो अपने-अपने होते हें |
    " बहुत सुन्दर प्रस्तुति "

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  7. sarthak lekh.......sab dekhte hai apne hisse ke sapne,kuchh rahte adhure to kuchh hote sachhe....mere blog par aapka swagat hai !

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  8. खुली आँखों के सपनों और वास्‍तविक सपनों में अन्‍तर होता है।

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