Wednesday, February 15, 2012

" मैं मोबाइल " हर बार ऐसे ही शर्मिंदा होता रहूँगा ? .....>>> संजय कुमार


मैं हूँ आपका करीबी दोस्त या कहें   उससे भी बढकर !  मैं हमेशा रहता हूँ  आपके दिल से चिपककर फिर  चाहें उसका परिणाम अच्छा हो या बुरा  अच्छा तो कुछ नहीं लेकिन दूरगामी परिणाम बुरे हैं ! खैर वाद  में बात करते हैं  ! अभी मैं अपने बारे में अपनी  ताक़त के बारे में आपको बता रहा हूँ !  आज किसी छोटे मोटे देश की जनसँख्या उतनी नहीं है  जीतनी संख्या में  " मैं "  हूँ  !  मैं ना तो जात पात देखता हूँ , ना अमीर और  गरीब का फर्क , ना दोस्त और ना दुश्मन !  मैं हूँ आपका मोबाइल और टेलीफोन ! इस आधुनिक दुनिया में पैसे के बाद सबसे ज्यादा अहमियत मेरी ही है !  एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को जितना प्यार नहीं करता होगा उससे कहीं ज्यादा वो मुझे प्रेम करता है  ( कृपया , प्रेमी - प्रेमिकाएं नाराज ना हों ) आज एक छोटे से छोटा काम हो या कोई बड़ा  हर काम मेरे बिना अधूरा है  !  मैं बहुत खुश होता हूँ जब  मैं दूर बैठे  इंसानों की आपस में बात कराता हूँ  और  मैं चिट्ठी भी भेजता हूँ  ! मुझ पर विडियो , फ़िल्में, गाने  और भी मनोरंजन के साधन उपलव्ध हैं ! अब में  " २ जी "  " ३ जी " भी हो गया हूँ ! जब मेरा उपयोग अच्छे काम के लिए होता है, अच्छे सन्देश पहुँचाने के लिए होता है , जब मेरे द्वारा किसी के व्यवसाय में तरक्की होती है तो मन को  बहुत ख़ुशी  होती है  ! और मैं अपने आप के होने पर गर्व भी महसूस करता हूँ , कि जैसे देश को जितनी जरूरत प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की  हैं  उतनी ही जरुरत मेरी भी ,  आज मैं बहुत खुश हूँ ........
पर ये क्या हो रहा है मेरे साथ , किन्तु मेरा  उपयोग  कम दुरूपयोग ज्यादा हो रहा है ! अरे इंसानों  मेरा उपयोग तो सही से करो , आप लोग तो कभी - कभी अपनी जान की  भी परवाह नहीं करते ! आप  मेरा उपयोग करते समय कुछ तो ध्यान रखा करो क्योंकि  जब आप गाड़ी चलाते हैं तो बिलकुल लापरवाह हो जाते हैं , ऐसा क्यों करते हो भाई क्या अपनी जान की भी परवाह नहीं !  कुछ तो शर्म करो, क्यों अपनी मौत का जिम्मेदार मुझे ठहराते हो , सरकार कितना आपको नियम कानून बताती है , पर आप लोग नहीं सुधरते और ना कभी सुधरेंगे  !  गलती आप लोग करते हैं और भुगतना आपके परिवार को पड़ता है !  अरे भाई ऐसा ना करे !  मुझे तो उस वक़्त  बहुत शर्म आती है जब आप लोग  मुझे अपने घर के टायलेट और बाथरूम तक ले जाते हैं , ऐसा क्यों करते हो भाई ऐसा भी क्या ?  कम से कम वहां तो चैन से जाइये ... ( निवेदन ) कृपया वहां पर मुझे ना ले जाएँ  !  मुझे बहुत शर्म आती है , जब आप लोग मुझे किसी की  शमशान यात्रा में  ले जाते हैं , और वहां पर भी मेरा मुंह बंद नहीं करते , हद तब होती है जब " राम नाम सत्य है "  की जगह  " शीला - मुन्नी - पप्पू कांट डांस साला "  बज जाता है !  उस जगह जो शर्मिंदगी मुझे होती है वो थोड़ी सी आप भी किया  करो !  आज मुझे सबसे ज्यादा बदनाम होना पड़ा एक मंत्रीजी के कारण " विधानसभा " भवन जिसे हम मंदिर कहते हैं वहां बैठकर इतना घटिया काम ... इससे अच्छा होता मेरा उपयोग ही बंद हो जाए .......
वर्ना   " मैं मोबाइल " हर बार ऐसे ही शर्मिंदा होता रहूँगा और ..... इन्सान बेशर्म का बेशर्म  ......  मुझे तो बहुत शर्म आती है, और आप लोगों को .......... तो  थोडा सा सोचिये  ... 


धन्यवाद 

7 comments:

  1. बड़ी बुरी तरह रगड़े जा रहे हैं बेचारे...

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  2. mobile ki aap biti bahut badiya andaaz me baya ki hai aapne.
    bahut acha likha hain.

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  3. मोबाइल - तुम्हारी बात सही है, पर पता न बेशर्म बेशर्म ही रहते हैं , मत दुखी होवो .

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  4. सार्चक पोस्ट । मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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  5. "सर " सच कहा आपने मोबाईल और फोन हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हें यह हमारे शरीर के अभिन्न अंगो कि तरह हें पर कुछ कारणों से यह हमारे लिए नुकसान दायक भी हो रहे हें जेसे कि इनकी नेटवर्क तरंग जो हार्ट के लिए ठीक नहीं और कई आकास्मिक घटनाए एवं कई कारनामे | पर सर आपके कहें अनुसार यह सच हें कि हम दोष मोबाईल को नहीं दे सकते क्यों कि मोबाईल का काम तो मोबाईल कर रहा हें पर कई जगह मोबाईल को यूज (उपयोग) करने का तरीका गलत हें | और इसी कारण मोबाईल को बदनाम होना पड़ रहा हें |

    प्रेषक :- शंकर

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  6. बहुत ही inspire करती पोस्ट

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