हजार उधेड़बुनों के बीच घिरी जिंदगी
जिंदगी नहीं , लगती एक झमेला है !
परियों और भूतों का लगता यहाँ मेला है !
आज सचिन फिर " महाशतक " के लिए खेला है !
लोकपाल पर " अन्ना " अब फिर से बोला है !
घोटालेबाजों ने अभी तक , ना अपना मुंह खोला है !
मंहगाई , भ्रष्टाचार का राक्षस
आज फिर मुंह उठाकर बोला है !
गरीब की जेब में बचा अब एक ना धेला ( रुपया ) है !
आज राजनीति का अखाडा, अब लगता बन गया तबेला है !
सच कहूँ तो " प्रधान-मंत्री " आज भी बड़ा भोला है !
हर जगह चमचों और चेलों का रेला है !
चेला बन गया गुरु , गुरु अब चेला है !
सास-बहु के झगडे में पड़ता बेटा हर बार अकेला है !
" जीवन की आपाधापी " में लगा इंसान
हजार खुशियाँ होते हुए भी , जीवनभर अकेला है !
धन्यवाद
Dear sanjay sir,
ReplyDeleteye sari panctiya aapne bahut achi likhi hain.
hame lagta hain, inhe sabhi log bahut pasand karenge.
Kyunki ye hame bahut pasand aayi hain.
from
Shankar & Raju
Hmmmmmm...insaan to hamesha akela hota hai!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर।
ReplyDeleteजीवन की आपाधापी " में लगा इंसान ....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर.
" जीवन की आपाधापी " में लगा इंसान
ReplyDeleteहजार खुशियाँ होते हुए भी , जीवनभर अकेला है !
बहुत खूब एवं सार्थक अभिव्यक्ति,समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
सब कह दिया आपाधापी में भी .. अच्छी लगी .
ReplyDeleteसरल शब्दों में अच्छा व्यंग...
ReplyDeleteसही ,सटीक और सार्थक पोस्ट ...
ReplyDeleteप्रधान-मंत्री आज भी बड़ा भोला है
ReplyDelete...ye to satya kaha aapne sanjay bhai
बढिया है आभार
ReplyDeleteप्रधान-मंत्री आज भी बड़ा भोला है
ReplyDeleteबहुत खूब एवं सार्थक अभिव्यक्ति
मेरा शौक
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आज रिश्ता सब का पैसे से
घोटालेबाजों ने अभी तक , ना अपना मुंह खोला है !
ReplyDeleteमंहगाई , भ्रष्टाचार का राक्षस
आज फिर मुंह उठाकर बोला है !
गरीब की जेब में बचा अब एक ना धेला ( रुपया ) है !
आज राजनीति का अखाडा, अब लगता बन गया तबेला है
bahut khub kaha aapne
welcome to my blog :)
So thank dear but some mistakes rhythm of poem.So improve next time .
ReplyDeleteThanks