Tuesday, December 6, 2011

प्रधान-मंत्री आज भी बड़ा भोला है ....>>> संजय कुमार

हजार उधेड़बुनों के बीच घिरी जिंदगी

जिंदगी नहीं , लगती एक झमेला है !

परियों और भूतों का लगता यहाँ मेला है !

आज सचिन फिर " महाशतक " के लिए खेला है !

लोकपाल पर " अन्ना " अब फिर से बोला है !

घोटालेबाजों ने अभी तक , ना अपना मुंह खोला है !

मंहगाई , भ्रष्टाचार का राक्षस

आज फिर मुंह उठाकर बोला है !

गरीब की जेब में बचा अब एक ना धेला ( रुपया ) है !

आज राजनीति का अखाडा, अब लगता बन गया तबेला है !

सच कहूँ तो " प्रधान-मंत्री " आज भी बड़ा भोला है !

हर जगह चमचों और चेलों का रेला है !

चेला बन गया गुरु , गुरु अब चेला है !

सास-बहु के झगडे में पड़ता बेटा हर बार अकेला है !

" जीवन की आपाधापी " में लगा इंसान

हजार खुशियाँ होते हुए भी , जीवनभर अकेला है !


धन्यवाद

13 comments:

  1. Dear sanjay sir,
    ye sari panctiya aapne bahut achi likhi hain.
    hame lagta hain, inhe sabhi log bahut pasand karenge.
    Kyunki ye hame bahut pasand aayi hain.

    from
    Shankar & Raju

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  2. Hmmmmmm...insaan to hamesha akela hota hai!

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  3. जीवन की आपाधापी " में लगा इंसान ....
    बहुत ही सुन्दर.

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  4. " जीवन की आपाधापी " में लगा इंसान

    हजार खुशियाँ होते हुए भी , जीवनभर अकेला है !

    बहुत खूब एवं सार्थक अभिव्यक्ति,समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

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  5. सब कह दिया आपाधापी में भी .. अच्छी लगी .

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  6. सरल शब्दों में अच्छा व्यंग...

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  7. सही ,सटीक और सार्थक पोस्ट ...

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  8. प्रधान-मंत्री आज भी बड़ा भोला है
    ...ye to satya kaha aapne sanjay bhai

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  9. बढिया है आभार

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  10. प्रधान-मंत्री आज भी बड़ा भोला है
    बहुत खूब एवं सार्थक अभिव्यक्ति
    मेरा शौक
    My New Post
    आज रिश्ता सब का पैसे से

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  11. घोटालेबाजों ने अभी तक , ना अपना मुंह खोला है !
    मंहगाई , भ्रष्टाचार का राक्षस
    आज फिर मुंह उठाकर बोला है !
    गरीब की जेब में बचा अब एक ना धेला ( रुपया ) है !
    आज राजनीति का अखाडा, अब लगता बन गया तबेला है
    bahut khub kaha aapne
    welcome to my blog :)

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  12. So thank dear but some mistakes rhythm of poem.So improve next time .
    Thanks

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