सर्वप्रथम सभी भारतियों को और सभी भारतवासियों को ६४ वे स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं ढेरों शुभ-कामनाएं
------------------------------------------------------------------------------------------------आज हमारे देश को आजाद हुए ६४ बर्ष पूरे हो चुके हैं ! इन चौंसठ बर्षों में हम हिन्दुस्तानियों ने सही मायने में आजादी का मतलब जाना ! इन चौंसठ बर्षों में देश ने बहुत तरक्की की है और आज भी प्रगति कर रहा है ! आज भारत का नाम विश्व स्तर पर छाया हुआ है जिसे देख कर आज हर भारतीय गर्व महसूस करता है ! एक आजाद इंसान वो सब कुछ कर सकता है जो एक आदमी गुलाम होकर नहीं कर पाता ! एक आजाद इंसान को अपनी बात सभी के समक्ष रखने की आजादी होती है ! आजादी का मतलब बही लोग जानते हैं जो अंग्रेजों के अधीन थे ! आजादी के इतने बर्षों के बाद भी एक सवाल हमारे जेहन में दौड़ता है ! क्या हम वाकई में आजाद हो चुके हैं ? इस सवाल के जबाब में लगभग सभी लोगों का मत ये है कि हम आजाद हो चुके हैं ! ये सच भी है क्योंकि आजाद होकर ही हमने अपने देश का नाम विश्व स्तर पर ऊंचा किया है ! कहने को तो हम सब आजाद हैं , वो भी सिर्फ अंग्रेजों की गुलामी से , किन्तु आज भी इस देश में एक बड़ा तबका ऐसा है जो किसी ना किसी रूप में किसी ना किसी का गुलाम है ! आज अभी इस देश में लाखों मजदूर , गरीब परिवार ऐसे हैं जिन्हें आजादी का असली मतलब तक नहीं मालूम ! आज आजादी के दिन भी देश में लाखों मजदूर गुलाम बनकर बंधुआ मजदूरी कर रहे हैं ! आज भी हमारा देश साहूकारी जैसी कुरीतियों से आजाद नहीं हो पाया , आज भी खाप पंचायतों जैसी प्रथाएं हमारे देश में हैं , ये वो प्रथाएं हैं जिसमें माँ-बाप अपने ही बच्चों के खून से अपने हाँथ रंग रहे हैं ! आज भी पढ़ा - लिखा समाज समाज उंच-नीच , जातिवाद , दहेज़ प्रथा जैसी बेड़ियों में जकड़ा हुआ है ! आज भी हजारों दुल्हन परम्परा के नाम पर अपने घरों में कैद हैं ! आज भी देश में लाखों लोग गुलामी की मानसिकता में जी रहे हैं ! और शायद ऐसे ही मर जायेंगे ! हम आजाद जरुर हुए हैं वो सब कुछ करने के लिए जिस पर अंकुश लगना चाहिए था ! किन्तु हमने आजादी का गलत फायदा ही उठाया ! आज हमने अपने बच्चों को आजादी दी तो उन्होंने कई ऐसे काम कर डाले जिनसे माँ-बाप का सिर शर्म से झुक गया ! आज हर कोई आजाद है , किसी की जुबान पर आज कोई ताला नहीं है जिसको जो बकना है सो बक रहा है वो भी पूरी आजादी के साथ बंधनमुक्त होकर ! आज जिसे देखो सब कुछ खुल्लम- खुल्ला कर रहा है और हम मूक बन देख रहे हैं ! देश में ढोंगी, साधू-महात्मा धर्म के नाम पर, आध्यात्म के नाम पर भगवान् को बेच रहे हैं , गरीबों की मेहनत की कमाई से अपनी तिजोरियां भर रहे हैं ! वहीँ कुछ धर्मात्मा बनकर अबलाओं की इज्जत नीलाम कर रहे हैं ! देश के बड़े बड़े राजनीतिज्ञ, मंत्री -संत्री पूरी तरह आजाद हैं देश को बेचने के लिए और ये सभी आजादी के साथ अपना ईमान बेच रहे हैं , देश में भ्रष्टाचार, घूसखोरी, और रिश्वतखोरी , घोटाले कर रहे हैं ! इंसानों का सौदा उनको खरीदने -बेचने का काम कर रहे हैं वो भी आजादी के साथ ! कभी खेल के नाम पर, कभी मनोरंजन और रियलिटी शो के नाम पर हमारी संस्कृति को नीलाम कर रहे हैं वो भी सब कुछ पूरी आजादी के साथ ! आज हम सब आजाद हैं वो सब कुछ करने के लिए जिसे रोकने -टोकने की हिम्मत शायद किसी में भी नहीं है ! आज हम फिर से धीरे -धीरे पश्चिमी सभ्यता के गुलाम होते जा रहे हैं ! पूरी आजादी के साथ हम अपनी सभ्यता छोड़ विदेशी कल्चर अपना रहे हैं ! आज हमारे बच्चे पूरी तरह आजाद हैं अपने माँ-बाप का अपमान करने के लिए ! आजाद हैं नशे की दुनिया में जाने के लिए, आजाद हैं अपना भविष्य बनाने और बिगड़ने के लिए ! आज आतंकवाद आजाद है पूरी तरह अपने पैर पसारने के लिए ! आज हजारों बीमारियाँ पूरी तरह आजाद हैं इन्सान को अपनी गिरफ्त में लेने के लिए ! आज देश में वो सब लोग पूरी तरह से आजाद हैं , जो इंसानियत, समाज, और राष्ट्र को डुबोने के लिए पूरी तरह और हमेशा तैयार रहते हैं ! असलियत में आजादी का असली मतलब तो यही लोग जानते हैं ! और इस देश में यही लोग आज पूरी तरह से आजाद हैं ! हम सब तो कहीं ना कहीं गुलाम और कैद हैं अपनी परिस्थितियों और हालातों से मजबूर होकर , आज देश में आम इन्सान आजाद नहीं हैं ! आम इन्सान कैद है अपनी समस्याओं में , गुलाम है दकियानूसी प्रथा और रीति -रिवाजों का ! आज भी इंसान आजाद नहीं हुआ है अपनी विकृत मानसिकता से जो इंसानियत पर एक बदनुमा दाग लगाती हैं ! आज भी आजाद नहीं है वो औरतें जो दहेज़ लोभी घरों में कैद हैं, सिर्फ किसी के लालच के कारण ! इस दूषित वातावरण में आम आदमी आजाद नहीं है ! आम इन्सान लगभग भूल गया अपनी आजादी का असली मतलब !
क्या आप आजाद हैं ?
जब मेरे वतन को मेरे चाहने वाले होंगे
कौन कहता है मेरे पाँव में छाले होंगे
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत हार्दिक बधाई एवं ढेरों शुभ-कामनाएं
संजय - गार्गी
देव कुणाल
धन्यवाद
सम सामयिक आलेख...बढ़िया मुद्दे को उठाया है आपने..बहुत सुन्दर...
ReplyDeleteबहुत सार्थक प्रस्तुति .
ReplyDeleteभारतीय स्वाधीनता दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं .
आपकी हर बात हकीकत को सामने रखती है .....एक प्रासंगिक मुद्दे को आपने अपने अंदाज में हमारे सामने रखा है ....!
ReplyDelete्हमने सिर्फ़ आज़ाद शब्द सीखा है मगर उसे ज़िन्दगी मे उतारा नही उसके अर्थ को नही जाना………सम सामयिक आलेख्।
ReplyDeleteआज 14 - 08 - 2011 को आपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
ReplyDelete...आज के कुछ खास चिट्ठे ...आपकी नज़र .तेताला पर
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आजादी का असली मतलब ! bahut bada anuttarit prashn
ReplyDeleteबहुत ही प्रासंगिक आलेख.
ReplyDeleteस्वाधीनता दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएं .
बहुत सार्थक लेख ...
ReplyDeleteयाद कीजिए...... आज़ादी ६४ सालों में आपको ऐसी कौन सी घटना ऐसी लगी - गोया हम आज़ाद हैं.
ReplyDeleteजब तक समस्याओं का दलदल है, कहाँ की उड़ानें?
ReplyDeleteस्वयं को गुलाम समझने में ही समझदारी है।
ReplyDeleteसच को प्रतिबिम्बित करती बेहतरीन रचना...
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
जब मेरे वतन को मेरे चाहने वाले होंगे
ReplyDeleteकौन कहता है मेरे पाँव में छाले होंगे
आन्तरिक भावों के सहज प्रवाहमय सुन्दर रचना....
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
ऐसे दूषित वातावरण में आम आदमी कैसे आजाद रह सकता है ??.. आपके इस सुंदर सी प्रस्तुति से हमारी वार्ता भी समृद्ध हुई है !!
ReplyDeleteवाह बेहतरीन
ReplyDeleteबहुत ही प्रासंगिक आलेख!!!!
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं….!
जय हिंद जय भारत