सच कहूँ तो प्रेम की कोई उम्र नहीं होती , जन्म से लेकर मृत्यु तक और मृत्यु के बाद भी ये प्रेम का सिलसिला यूँ ही चलता रहता है ! प्रेम तो अनंत है और इसकी कहानियां भी अनंत हैं ! माँ - पुत्र का प्रेम , पिता - पुत्र का प्रेम , पति-पत्नी का प्रेम , देश - प्रेम , धर्म-प्रेम , राधा - कृष्ण का प्रेम ......... अब जरा इन्हें भी याद कीजिये लैला-मंजनु , हीरा-राँझा , सोहनी-महिवाल ( सच्चे प्रेमियों के आदर्श ) किन्तु आज जिस तरह का प्रेम या प्रेमी होते हैं उनका आदर्श कौन है ? प्रेम की अनेकों कहानियां हमारे बीच हैं , जिनकी बात हम यदा कदा करते रहते हैं ! किन्तु मैं जिस प्रेम की बात कर रहा हूँ वो है आज का दूषित प्रेम ( आकर्षण, जहाँ उम्र का कोई बंधन नहीं और 90% की चाहत सेक्स ) आज का प्यार जिसे हम देशी भाषा में सड़क छाप मंजनु का प्यार ज्यादा कहते हैं वो मंजनू जिसके पास सिर्फ समय ही होता है और इसके आलावा कुछ नहीं ! जैसे जैसे समय बदला प्रेम की परिभाषा भी बदलती गयी ...और वैसे ही प्रेम का इजहार करने का तरीका और प्रेमी भी बदल गए ! ( मोबाईल रामबाण का काम करता है ) जिस उम्र में आज के बच्चों को अपना ध्यान अपनी पढ़ाई - लिखाई और अपने भविष्य पर देना चाहिए वहीँ आज 12 से 15 साल के बच्चों की पीढ़ी ( इस उम्र को हम क्या कहें ? युवा पीढ़ी या फिर बच्चे ) प्रेम - प्यार के चक्कर में घिरे हुए से दिख रहे हैं ! मैं किसी के प्रेम का दुश्मन नहीं हूँ और ना ही प्यार करने वालों का कोई विरोधी , बात सिर्फ इतनी सी है कि , आज हमारे घर के बाहर का वातावरण कुछ ठीक नहीं है , आज हम जिस माहौल में जीवन यापन कर रहे हैं , आज जहाँ हमारे बच्चे अपना बहुमूल्य समय गुजार रहे हैं क्या वो जगह उनके लिए सुरक्षित हैं ? कई लोगों का ये मत होता है कि , क्या हमारे घर सुरक्षित हैं ? जबाब हाँ और ना दोनों ही हैं , फिर भी बच्चे घर से ज्यादा बाहर असुरक्षित हैं और उनका ज्यादा वक़्त घर के बाहर ही व्यतीत होता ! आज कुछ बच्चे गलत राह पकड़ लेते हैं या कुछ ऐसा कर बैठते हैं जो उनके लिए या उनके माता-पिता के लिए दुःख का कारण बनते हैं ! शुरुआत कई जगहों से हो सकती है ........ ट्यूशन , कोचिंग क्लासेस का बढ़ता चलन , माता- पिता का बच्चों पर नियंत्रण का ना होना , कुछ बच्चों द्वारा आजादी का गलत फायदा उठाना , चाही - अनचाही मांगों की पूर्ती का होना ( मोबाईल, गाड़ी , जेब खर्च के लिए पैसे ) आज के बच्चों को किस ओर ले जा रहा है थोड़ा चिंतनीय और सोचने का बिषय है ! माता-पिता को अब इस ओर ज्यादा ध्यान देना आवश्यक है ! हो सकता है आपके बच्चे - बच्चियां छोटी सी उम्र में प्रेम जैसे संवेदनशील मामले में सोचने समझने की क्षमता ना रखते हों और इस पर अपना समय बर्बाद कर रहे हों ! क्योंकि ये उम्र का एक बहुत ही नाजुक पड़ाव होता है जहाँ बच्चे ना तो बड़े होते हैं और ना ही हम उन्हें छोटा कह सकते हैं ! फिर भी इस उम्र के सभी बच्चों की सभी तरह की गतिविधियों पर निगरानी रखना हर माता-पिता की ड्यूटी होती है ! आपके बच्चों के दोस्त कैसे हैं ? उनका नजरिया क्या है ? उनकी सोचने समझने की क्षमता क्या है इस बात की जानकारी हर माता-पिता को होना आवश्यक है !
मेरे देश के नन्हे मुन्हे बच्चों अभी उमर नहीं है प्यार की ........ करें सही वक़्त का इन्तजार ....... जब प्रेम की परिभाषा को अच्छे से समझ लें तब अवश्य करें प्यार .............ये दुनिया वो दुनिया नहीं है जहाँ प्रेम पर मर मिटने वाले हजारों थे ......... आज जहाँ देखों हो रहा प्रेम का व्यापार
धन्यवाद
मेरे देश के नन्हे मुन्हे बच्चों अभी उमर नहीं है प्यार की ........ करें सही वक़्त का इन्तजार ....... जब प्रेम की परिभाषा को अच्छे से समझ लें तब अवश्य करें प्यार .............ये दुनिया वो दुनिया नहीं है जहाँ प्रेम पर मर मिटने वाले हजारों थे ......... आज जहाँ देखों हो रहा प्रेम का व्यापार
धन्यवाद
सही कहा आपने, आपसे सहमत......
ReplyDeleteप्यार घर में मिलता रहे, बाहर लालायित नहीं होंगे।
ReplyDeleteअपने बच्चों की सभी तरह की गतिविधियों पर निगरानी रखनी चाहिए,माता-पिता का यही कर्तव्य है,,,
ReplyDeleteRECENT POST - मेरे सपनो का भारत
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ReplyDeleteबिलकुल सही और विचारणीय पोस्ट...और विषय हमेशा की तरह ज्वलंत......
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