आज पूरा विश्व जिस महाप्रलय से डर रहा है , उसका जिम्मेदार  कोई और नहीं हम मानव ही हैं ! आज हम लोगों ने ही इस महाप्रलय को स्वयं निमंत्रण दिया है ! पिछले बर्ष  जो जापान के साथ हुआ था  , वो महाप्रलय हम सभी ने अपनी आँखों से देखा है ! क्या हमने  उससे कुछ सबक लिया  ?  प्रक्रति 
आप सभी से मेरा विनम्र निवेदन है ........ अभी भी वक़्त है ...... रूठी हुई प्रकृति को मनाने का ....... तो मना लीजिये .. अब देर ना कीजिये 
ये प्रकृति और पर्यावरण आपके हैं ..... अपनों का ख्याल रखिये ...................
धन्यवाद
 
अपनों का ख्याल रखिये ..
ReplyDeleteसुंदर सन्देश.
पर्यावरण को बचाने से हम भी बचे रहेंगे।
ReplyDelete"प्रकृति का बचाव यानि मानव जाति का ही नहीं बल्कि संसार में निवाश करने बाले हर प्राणी का बचाव हे "
ReplyDeleteप्रकर्ति के पक्छ में लिखी बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
पर्यावरण प्यार करो, इससे न खिलवाड करो,
ReplyDeleteयही हमारी प्राण रक्षक,इसको न विषाक्त करो,,,,,
MY RESENT POST,,,,,काव्यान्जलि ...: स्वागत गीत,,,,,
अभी भी वक़्त है ...... रूठी हुई प्रकृति को मनाने का ....... तो मना लीजिये .. अब देर ना कीजिये
ReplyDeleteये प्रकृति और पर्यावरण आपके हैं ..... अपनों का ख्याल रखिये ...................
सही कहा आपने समय रहते चेत गए तो ठीक वर्ना अंजाम सबको ही भुक्तना होगा ... बहुत बढ़िया प्रस्तुति..
Paryawaran kee suraksh hamare hee haathon me hai lekin ham hee hatbal hoke baith jate hain!
ReplyDeleteपर्यावरण दिवस पर
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
क्या बात है....बहुत ही सुंदर प्रस्तुति । आपकी लेखनी का दायरा विस्तृत होता जा रहा है । मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है । कामना है कि आप निरंतर सृजनरत रहें । धन्यवाद ।
ReplyDeleteआवश्यक अपील ...
ReplyDeletesahi kaha agar abhi nahi chete to fir kabhi nahi
ReplyDeletebadhai
rachana
पर्यावरण दिवस पर एक सार्थक प्रस्तुति ...
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