क्या आपको कभी शर्मिंदगी उठानी पड़ी ? जब किसी ने आपसे आपका मोबाईल नंबर माँगा हो और आप अपना ही मोबाईल नंबर भूल गए हों ! आज कल अक्सर ऐसा देखा जाता हैं ! जब से आधुनिकता का रंग हमारे ऊपर चढ़ा तब से हम किसी काम के नहीं रहे, उस पर हम सब के ऊपर फैला आंकड़ों का ऐसा जाल जिसमें इन्सान उलझ कर रह गया ! एक इन्सान के पास आज इतने नंबर होते हैं, कि उसे यह भी ध्यान नहीं होता कि किस का नंबर क्या है ! बस यह कह देता है कि, मुझे तो अपना नंबर तक याद नहीं मेरे पास तो इतने नंबर और E-mail ID हैं जिनके पासवर्ड तक में याद नहीं रख पाता ! मैं क्या करूँ लगता है मैं अब सब कुछ भूलने लगा हूँ ! अगर मैं यह सब कहीं डायरी में लिखकर न रखूँ तो पता नहीं क्या होगा ? यह आम बात नहीं यह तो आदत बन गयी है अब ! कई बार ऐसा होता है आपका चश्मा आपकी आँखों पर चढ़ा होता है , और आप उसे यहाँ-वहां ढूंढते रहते है ! आज बात कर रहा हूँ इन्सान के आस-पास बेतरतीब से फ़ैले हुए नंबरों के जाल की जिसमें इन्सान की जिन्दगी उलझ के रह गयी है ! आज इन्सान कितनी भी कोशिश करे इनके जाल में फंस कर ही रहता है ! एक इन्सान क्या क्या याद रखे उसे खुद को पता नहीं होता ! ना जाने कितने ही मोबाईल नंबर, खाता नंबर , जन्म-दिन, शादी की सालगिरह, ATM PASSWORD, E-MAIL ID और पासवर्ड, इतना बड़ा नंबरों का जाल हैं ! जिसे याद रखना आजकल बहुत ही मुश्किल काम हैं ! सब कुछ याद रखना असंभव है !
यहाँ मैं अपनी बात नहीं कर रहा हूँ ! ईश्वर के आशीर्वाद से मेरी याददाश्त अभी तक अच्छी है और आगे भी रहे ऐसी मैं कोशिश करता हूँ ! क्या करूँ ये सब तो मेरे जीवन का हिस्सा हैं ! मैं बात कर रहा हूँ आज के उन सभी लोगों की जो भूलने की आदत से मजबूर हैं और याद नहीं रख पाते या निर्भर हैं दूसरों पर ! एक समय था जब इन्सान के पास आज के आधुनिक साधन या उपकरण नहीं थे ! क्या उस समय इन्सान ज्यादा सुखी था ? या आज के आधुनिक समय में जहाँ इन्सान की जरूरत से कहीं ज्यादा आधुनिक साधन उपलब्ध हैं! जिन पर इन्सान जरूरत से ज्यादा निर्भर हैं ! इस बात का अनुमान हम आज के इन्सान को देखकर ही लगा सकते हैं ! आज जिसे देखो हर समय अपने आप में गुमसुम, बेचैन, हैरान- परेशान और अनेकों बीमारियों से ग्रसित, कभी हार्ट-अटैक कभी ब्लड प्रेशर , कभी ये कभी वो , आज का इन्सान बन कर रह गया बस बीमारियों का पुतला ! आज का इन्सान जरूरत से ज्यादा तनावग्रस्त है ! इसलिए इन बीमारियों का कब्ज़ा इन्सान के ऊपर जल्द हो जाता है ! इन सब से ज्यादा बड़ी एक बीमारी है और वह है भूलने की ! अब यह बीमारी इन्सान की एक आदत बन गयी है ! इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण तो इन्सान स्वयं ही है ! आज इन्सान ने ही इस बीमारी को जन्म दिया है ! ऐसा नहीं कि पहले के लोग इस बीमारी से परेशान नहीं थे ! लेकिन यह आदत बहुत कम लोगों में पाई जाती थी ! कारण था उस समय इन्सान सिर्फ अपने ऊपर निर्भर था, जो इन्सान अपने ऊपर निर्भर रहता है वह जीवन में कम परेशान रहता है ! किन्तु आज का इन्सान अपने ऊपर बिल्कुल भी निर्भर नहीं हैं, अगर निर्भर है तो आज के आधुनिक साधनों पर, जो इन्सान को अन्दर से बहुत कमजोर कर रहे हैं ! क्या आप कमजोर तो नहीं हैं ?
क्या आप सबकुछ याद रखते हैं ? क्या आपको भूलने की आदत तो नहीं ?
धन्यवाद
सही लिखा आपने.......... अंदर खाने सभी का हाल एक सा ही है.
ReplyDeleteसच है हद हर बात की बुरी होती है.. निर्भरता की भी.. :)
ReplyDeletebilkul sahi kaha...actually ham over dependent hote jaa rahe hain.
ReplyDeleteसंजय जी ,
ReplyDeleteशुक्रिया ....आप हमरे द्वार आये .....
आज मनुष्य जितनी आपा-धापी के बीच सैंकड़ों कामोंमें फंसा जिंदगी गाड़ी खींचता है ...ऐसे में क्या क्या याद रखे ...या रख पाए ?
ऐसे में दोष उसका नहीं इस मशीनी जीवन का है .....!!
Beautifully written nice article. !
ReplyDelete