Friday, August 20, 2010

हिंसक होता हमारा भविष्य.................एक विचारणीय मुद्दा .......>> संजय कुमार

कहा जाता है ---हमारे बच्चे और आज का युवा इस देश का भविष्य हैं आज की यही युवा पीढ़ी देश के स्वर्णिम भविष्य का निर्माण करेगी , क्योकि युवा जोश से भरा होता है ... यह कितना सच है - कहना बहुत मुश्किल है ! क्योंकि आज हमारा भविष्य कहाँ है, आज हमारा भविष्य क्या कर रहा है ? यह बात किसी से छुपी नहीं है ! , आज का युवा अपने लक्ष्य से पूरी तरह भटका हुआ है, और इस भटकाव के कारण हिंसक प्रवृति का होता जा रहा है ! और यही हिंसा उसे गलत राश्ते पर ले जा रही है ! आज हमारा युवा किस ओर जा रहा है--यह बहुत ही विचारणीय मुद्दा है !आज के हिंसक युवा ना तो रिश्ते नातों को मानते हैं और ना हीं उनके महत्व को ! आज देश में जितनी भी हिंसात्मक घटनाएं हो रही हैं उनमें ज्यादातर हिस्सेदारी हमारे युवाओं की होती है ! आज बहुत सी ऐसी घटनाएँ सुनने में आ रही है, जो यह बताती है कि आज का युवा दिन-प्रतिदिन हिंसक होता जा रहा है ! किसी कॉलेज में अपने ही सहपाठियों पर एक छात्र द्वारा अंधाधुंध गोलीबारी, किसी स्कूल में बात बात पर एक छोटे से बच्चे द्वारा दूसरे बच्चे पर बन्दूक चला देना ! इस तरह की घटनाएं अब आम हो गयी हैं !

उत्तर-प्रदेश, मध्य-प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और बड़े बड़े महानगरों में, छोटे बड़े अपराध करने वालों में आज देश का युवा बढ-चढ़कर हिस्सा ले रहा है ! देश के असामाजिक तत्व हिंसक घटनाओं में, भटके हुए युवाओं का पूरी तरह इस्तेमाल कर रहे हैं , टेलीविजन पर बढ़ते हिंसक सीरियल , और हिंसक फ़िल्में देखकर भी युवाओं में हिंसक मनोवृति जन्म ले रही है ! आज ज़रा सी बात पर हिंसक होते युवा, सारे रिश्ते-नाते ताक पर रख अपनों का खून बहा रहे हैं ! माँ-बाप, भाई-बहन उनके लिए आज कोई मायने नहीं रखते (ऑनर-किलिंग ) जैसे मामलों में अक्सर यह देखा गया है --- हिंसा पर उतारू भाई ने ले ली अपनी ही बहन की जान !बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, घूसखोरी जैसे और भी बहुत से कारण हैं जो आज के युवा को हिंसक बना रहे हैं ! आज के दूषित वातावरण में कई युवा ऐसे हैं जिन्हें घुटन महसूस होती हैं ! आज के माहौल को देखकर युवा जल्द ही अपना सब्र खो देता है और कभी कभी हिंसा करने पर मजबूर हो जाता है ! आज महात्मा गाँधी के आदर्शों को मानने वालों की कमी है ! आज का युवा --- थप्पड़ का जबाव थप्पड़, खून के बदले खून, इस तरह के आदर्श अपने मन में बनाये बैठा है !

आज देश में जो अफरा-तफरी का माहौल है उसे देखकर नहीं लगता कि आज के युवा उन आदर्शों पर चलेंगे जहाँ हर समस्या का समाधान हिंसा नहीं है ! अहिंसा से भी समस्या का समाधान हो सकता है ! अगर आज युवाओं ने नहीं सोचा तो हम सबका भविष्य हिंसा से भरा होगा ,एक चिंताजनक और भयावह स्थिति ..................... हिंसक होता हमारा भविष्य .........

धन्यवाद

7 comments:

  1. ये तो वैसे हमेशा से होता आ रहा है.. हर युग में हर देश में.. लेकिन अपने यहाँ कुछ जयादा ही है या कहें कि गरीब देशों में इसका प्रतिशत कुछ ज्यादा है.. स्वाभाविक प्रक्रिया है.. अच्छे विषय पर लिखा संजय जी.. आभार..

    ReplyDelete
  2. देश की वर्तमान मुख्य समस्याओं में से एक यह भी है. एक कारण यह भी है कि युवाओं के पास अनुकरण करने लायक कोई रोल मॉडल नहीं है.

    ReplyDelete
  3. ये स्थिति भयानक है ... आज की अंधाधुन पैसे की दौड़ इस बात के लिए ज़्यादा ज़िम्मेवार है ... मूल्य खो रहे हैं, सांस्कृति बिखर रही है ...

    ReplyDelete
  4. संभवतः,ये समस्याएँ कमोबेश हर युग में रही हैं। तरक्की का आज जो पैमाना है,उससे ऐसे ही युवा की उम्मीद की जा सकती है। असमान विकास ने हमसे बहुत कुछ छीना है जिनमें आदर्श,मूल्य और नैतिकता भी शामिल हैं।

    ReplyDelete
  5. बस पहलेवाले आदर्श नहीं रहे ,ना ही तो अब वो संस्कार ही रह गए, त्रुटियाँ तो हर युग ने दिखई हैं पर अब ये घड़ा ज्यादा ही भरने लगा है जिसमे ,हमारा युवा वर्ग समा गया है. जो गर्त में ही लेजाने की सूचना दे रहा.

    ReplyDelete
  6. निराश इतना भी न हों कि आशा का दामन हम छोड़ने लगें। हम युवा हैं ये हमारा काम है कि हम खुद के आदर्श चुनें। भगत सिंह की कड़ी नहीं टूटी है। ये ठीक है कि आज अपराध ज्यादा बढ़ गए हैं। पर कानून को सही तरीके से बस लागू करने की जरुरत है। अगर हम युवा ही निराश हो जाए तो काम नहीं चलेगा। विरोध गलत चीजों का कहीं न कहीं करना ही होगा। किसी एक मंच पर ही सही पर करें..परिवर्तन होते देर नहीं लगेगी।

    ReplyDelete
  7. पिछली पीढ़ी के पास तो हमसे बेहतर आदर्श थे.....पर उन्होंने कौन सा आदर्श का पहाड़ हमारे सामने रखा है। तो हमें खुद ही आदर्श चुनने की जगह आदर्श बनाना होगा।

    ReplyDelete