Saturday, December 1, 2012

मैं खुशियाँ खरीद लाया ......>>> संजय कुमार

जिस तरह " पैसे " पेड़ों पर नहीं उगते , ठीक उसी प्रकार खुशियाँ भी किसी पेड़ पर नहीं उगती और ना ही बाजार में मिलती हैं कि , जिन्हें बाजार से खरीदा जा सके ...... फिर सवाल उठता है कि , खुशियाँ कहाँ से मिलती हैं ? ऐसा क्या किया जाय जिससे खुशियाँ हांसिल की जा सकें ! हर इंसान के जीवन में  खुशियों का अपना अलग महत्व होता है ... कोई नौकरी पाकर खुश है तो कोई छोकरी , कोई नेता बनकर  खुश है तो कोई अभिनेता ,  कोई KBC में जाकर खुश है , तो कोई वहां से आकर , कोई व्यापार से खुश है तो कोई सरकार ( उत्तर प्रदेश ) बनाकर खुश है ! बच्चे कार्टून देखकर खुश हैं तो सरकार " कार्टूनिस्ट " को हवालात में बंद कर ! " कसाब " जैसे आतंकवादी को फांसी होने पर पूरा देश खुश है ( देश के गद्दार शायद दुखी हों ) !  खैर खुशियाँ तो अनेकों प्रकार की होती है ... सुख और दुःख हर इंसान के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है , किन्तु इस हिस्से में दुःख का पलड़ा हमेशा ज्यादा भारी होता है और थोड़ी सी ख़ुशी पाने के लिए इंसान अपना पूरा जीवन " जीवन की आपाधापी " में निकाल देता है ! ( सिर्फ देश के गरीब , बेरोजगार और आम नागरिकों के लिए जिनके लिए खुशियों के मायने सिर्फ पैसा है और वो पैसों को ही खुशियों का साधन मानते हैं ) हालांकि पैसा आज हर किसी की जरुरत है और  सभी को जरुरत से ज्यादा चाहिए भी ...... ( इंसान के पास कितना भी पैसा हो उसे उससे कहीं अधिक की ही चाहत होती है ) .. क्योंकि पैसा है तो सब कुछ है !  फिर भी इस बात को कुछ लोग पूरी तरह से  नकार देते हैं कि , पैसा ही सब कुछ नहीं होता ..... खुशियाँ पाने के लिए पैसे की जरुरत नहीं पड़ती ... उसके लिए हमें ये करना चाहिए , वो करना चाहिए,  तो फिर खुशियाँ अपने आप आपके पास खिंची चली आएँगी ! इसके लिए हमें तर्क दिए जाते हैं कि , ...... हमें संयुक्त परिवार में रहना चाहिए , हमें ज्यादा से ज्यादा वक़्त अपने परिवार के साथ विताना चाहिए , हमें अधिक की चाह ना रखते हुए थोड़े में संतोष करना चाहिए ! एक दुसरे के प्रति आदर , विश्वास होना चाहिए , हमें अपनी आवश्यकताएं कम करनी  चाहिए ...  हमें मशीनों की तरह काम नहीं करना चाहिए , पैसे की जगह इंसान को महत्व देना चाहिए ,.... इत्यादि ,! इन दिए हुए तर्कों को यदि हम अपने जीवन में अपनाते हैं तो शायद आप खुशियाँ हांसिल कर सकते हैं  ! किन्तु इन बातों को सोचने और करने के लिए " वक़्त " चाहिए जो आज किसी के पास नहीं है , क्योंकि हम सब पैसा कमाने में लगे हुए हैं , क्योंकि हम ये बात जानते हैं यदि पैसा नहीं कमाएंगे तो कुछ भी हांसिल नहीं कर सकते ! बिना पैसे हम अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं दे सकते उनको इंजिनियर , डॉक्टर , एक्टर , कलेक्टर नहीं बना सकते ! हम अपने बच्चों की शादी बड़ी ही धूम-धाम से नहीं कर सकते ! अच्छा जीवन-यापन करने के लिए एक अच्छा घर होना बहुत जरुरी है , एक कार , मोबाइल , कंप्यूटर आदि भी हो तो बहुत अच्छा है ! और इसके लिए सबसे ज्यादा पैसे की जरुरत होती है , यदि हम ये सब अपने परिवार को देते हैं तो शायद वो खुश होंगे ? जिस तरह  एक अंधे व्यक्ति के लिए आँखें मिलना उसके लिए सबसे बड़ी ख़ुशी होती है ठीक उसी प्रकार एक रोजमर्रा काम कर अपना जीवन- यापन करने वाले व्यक्ति के लिए पैसा ही उसकी सबसे बड़ी ख़ुशी होती है ! हम कितने भी तर्क दें किन्तु सत्य तो यही  है कि , इंसान का पूरा जीवन सिर्फ और सिर्फ पैसा कमाने पर ही केन्द्रित होता है क्योंकि हम जानते हैं आज बिना पैसे जीवन संभव नहीं है ! एक आम आदमी ( गरीब , प्रतिदिन मजदूरी कर अपना और अपने परिवार का भरण - पोषण करने वाला ) जब अपने परिवार की छोटी - छोटी ख्वाहिशों को पूरी करता है और उस वक़्त जो ख़ुशी और सुकून उसे मिलता है तो वो उस पल को हर बार जीना चाहता है ! और ये ख़ुशी उसे तभी मिलती है जब उसके पास पैसा होता है ! 
परिवार को खुश देखकर वो अपने मन में सोचता है ........ मैं खुशियाँ खरीद लाया !

धन्यवाद   

6 comments:

  1. अस्तित्व को बचाये रखना ही खुशी है बहुतों के लिये..

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  2. सुन्दर गवेषणा प्रस्तुत की है आपने इस आलेख में!

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  3. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    दो दिनों से नेट नहीं चल रहा था। इसलिए कहीं कमेंट करने भी नहीं जा सका। आज नेट की स्पीड ठीक आ गई और रविवार के लिए चर्चा भी शैड्यूल हो गई।
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (2-12-2012) के चर्चा मंच-1060 (प्रथा की व्यथा) पर भी होगी!
    सूचनार्थ...!

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  4. सच पूछिए तो... ' मन का सुक़ून ही सबसे बड़ी खुशी है ' ! जिसके पास "सुक़ून" की दौलत है... वही इंसान खुश है !
    ~सादर !!!

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