Tuesday, October 9, 2012

क्यों मजबूर हैं बेटियां ? ......>>> संजय कुमार

जहाँ हमारे देश में गिरते हुए लिंगानुपात को देखते हुए कई प्रदेशों में सेंकड़ों " बेटी बचाओ आन्दोलन " चलाये जा रहे हैं ! कन्या भ्रूण हत्यायें रोकने के लिए दुनियाभर की धाराएँ , नियम - क़ानून बनाये जा रहे हैं ! वहीँ दूसरी ओर बेटियों पर कई अत्याचार हो रहे हैं , जो मानवता को एक बार नहीं कई बार शर्मसार कर चुके  है ! सामूहिक बलात्कार और निर्वस्त्र घुमाने की घटनाएँ अब आम बात हैं ! गुवाहाटी , नॉएडा प्रकरण  इसके ताजा उदाहरण हैं ! ऐसे मामले हमारी मानवता , इंसानियत को झझकोरने के लिए काफी हैं ! जो बेटियां अभी तक पैदा भी नहीं हुई हैं उनके लिए ना जाने  कितने अभियान चलाये जा रहे हैं , किन्तु जो बेटियां अस्तित्व में हैं और उनमें से कितनी ही बेटियां ऐसी हैं जिनका जीवन आज कष्ट में है ! कितनी ही बेटियां ऐसी हैं जो हम लोगों के होते हुए आज जिस्मफरोशी के बाजार में उतारी जा रही हैं ! हम और हमारी अंधी - बहरी सरकार हाँथ पर हाँथ धरे बैठी है ! मजबूर बेटियों के दामन को दागदार और फटते हुए  देख रही है ! मजबूर बेटियों को चाहे हमारे पडौसी मुल्क बांग्लादेश , नेपाल से तस्करी कर उनको भारत के बाजारों में बेचा जा रहा हो , या फिर हमारे गांव , कस्बों में रहने वाले गरीब , मजबूरों की बेटियों का सौदा किया जा रहा हो !  हर तरफ से बेटियों का ही शिकार किया जा रहा है ! आज देश का कोई भी शहर हो  वैश्यावृति ( जिस्मफरोशी ) जैसे घ्रणित  धंधे से अछूता नहीं है ! छोटे - छोटे कस्बों , गांवों से लेकर शहर , महानगर की पाश कालोनियों तक ये धंधा अपने पैर पूरी तरह पसार चुका है और ना जाने कितनी मासूम लड़कियां इस धंधे की बलि चढ़ चुकी हैं और ना जाने कितनी लड़कियों की इज्जत की बलि अभी चढ़नी बाकी  है ! मुंबई में छापे के दौरान 400 ग्राहक और लड़कियों का एक साथ पकड़ा जाना , दिन प्रतिदिन  वाली ख़बरें इस बात का सबूत है कि , ये देश और आज की युवा पीढ़ी ( लड़कियां ) किस ओर जा रही है या उन्हें इस ओर धकेला जा रहा है ! कभी ब्यूटीपार्लर की आड़ में , कभी किरायदार बनकर , कभी होटलों में ,कभी पार्टियों के नाम पर  इस धंधे को दलालों  द्वारा चमकाया जा रहा है , और इस काम में गरीब , मजबूर से लेकर अमीर , रसूखदार , नेता , मंत्री , पुलिस , डॉक्टर , साधू - संत सभी इस धंधे में लिप्त हैं ! उदाहरण कई हैं ! अगर इस धंधे में सबसे ज्यादा दुर्गति किसी की होती है तो वो हैं,  इस धंधे में  लिप्त लड़कियां हैं , जिन्हें पकड़े जाने पर " वैश्या " नाम के दंश को जीवनभर झेलना होता है ! आखिर क्यों मजबूर हैं इस देश की बेटियां ? ऐसे काम को करने के लिए ! इसके लिए कौन जिम्मेदार है ?  सरकार , मंत्री , अफसर या फिर लड़कियां या उनकी मजबूरी , गरीबी , जिम्मेदारी , पैसा , भूख , माँ-बाप का दबाव या हमारा सभ्य समाज या फिर इन सभी से बढकर आज की मंहगाई , भ्रष्टाचार , घोटाले , पाश्चात्य संस्कृति , हमारे संस्कारों में कमी , उनका धीरे -धीरे क्षीण होना , आज की आधुनिक चमक-दमक में खोकर अपना आपा  खो देना ..... ऐसी अनेकों  बातें हैं जिनके चलते जिस्मफरोशी जैसे धंधे फलफूल रहे हैं ! और हमारी  बेटियों को मजबूरीवश ये घिनौना काम करना पड़ता है ! कभी झूंठे प्यार के चक्कर में फंसकर ऐसे दलदल में धकेला जाता है ! कभी चंद रुपयों की खातिर माँ-बाप द्वारा बेटी का सौदा कर दिया जाता है ! कभी ऐश की जिंदगी जीने और अधिक पैसे के लालच में आकर लड़कियां खुद ऐसे धंधों में उतर आती हैं ! क्यों जिस्मफरोशी का बाजार दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है ? कौन  जिम्मेदार है इसके लिए !  
गरीबी , मजबूरी इस कलियुग का सबसे बड़ा अभिशाप हैं ! इस अभिशाप से हमें बेटियों को बचाना होगा , उनकी  मजबूरियों का फायदा नहीं उनकी मजबूरियों को मिटाना होगा ! तभी कारगर सिद्ध होगा हमारा  " बेटी बचाओ आन्दोलन "

धन्यवाद                                                                                                                                                                                    

7 comments:

  1. आपने सही कहा,,,और सहमत भी हूँ,,,,,

    गरीबी , मजबूरी इस कलियुग का सबसे बड़ा अभिशाप हैं ! इस अभिशाप से हमें बेटियों को बचाना होगा , उनकी मजबूरियों का फायदा नहीं उनकी मजबूरियों को मिटाना होगा ! तभी कारगर सिद्ध होगा हमारा " बेटी बचाओ आन्दोलन ",,,,,,,,,,,,,,,

    RECENT POST: तेरी फितरत के लोग,

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  2. तब हाल न जाने क्या होगा,
    यदि यही रहा ढर्रा अपना।

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  3. bahut hi ummda lekh sahmat hu aap se ......

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  4. बहुत सही लिखा है आपने संजय जी , आम आदमी की ज़िन्दगी दूभर होती जा रही है और मेरे हिसाब से इस समस्या का सबसे बड़ा जड़ गरीबी और अशिक्षा से पनपी हुई है, जो भारतीय कन्याओं को ऐसे बदत्तर जिंदगी जीने को मजबूर करती है...

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  5. सार्थक चिन्तन........ आभार!!

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