आज से ३०-४० बर्ष पूर्व इस देश की राजनीती इतनी भ्रष्ट और गन्दी नहीं थी जितनी कि आज की राजनीति हो गई है ! आज राजनीति का स्तर इनता नीचे गिर गया है जैसे कि ये गिरे हुए लोगों की राजनीति हो ....पहले की राजनीति में और आज की राजनीति में जमीन आसमान का अंतर हो गया है ! पहले नेता देश के लिए जीते थे किन्तु आज के नेता सिर्फ अपने लिए और अपनी तिजोरियां भरने के लिए ही पैदा हुए हैं ! पुराने समय के सच्चे और देशभक्त राजनेता , मंत्री इतने भ्रष्ट नहीं थे, जितने की आज के हैं ! पहले राजनीति देश को चलाने के लिए की जाती थी , जनता के हितों का ध्यान रखा जाता था , सब कुछ अनुशासन में होता था ! भ्रष्टाचार क्या होता है ? घोटाले क्या होते हैं ? कैसे अपनी और विदेशी तिजोरियों ( स्विस बैंक ) को आम जनता के खून - पसीने की कमाई से कैसे भरा जाता है ? कैसे गरीबों के हक का पैसा अपने ऐशो आराम पर खर्च किया जाता है ? कैसे अपने सीने पर गोलियां खाकर इस देश को दुश्मनों से बचाने वाले फौजियों की विधवा औरतों और उनके बच्चों को दी जाने वाली मदद से , इस देश के नेता अपने भाई - बंधुओं , रिश्तेदारों की मदद करते हैं ? ये तो हमने भ्रष्टाचारी नेताओं से सीखा है ! खैर ये तो इस देश का दुर्भाग्य है कि देश की कमान अभागों के हाँथ में है , जो इस देश का भला तो नहीं कर सकते किन्तु बुरा करने में आज कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं ! बात इतनी सी है कि, जब से हमें आजादी मिली है तब से हम पूरी तरह आजाद तो हुए है वो भी सिर्फ बोलने के लिए , कुछ भी , कैसे भी , कभी भी जिस पर कोई रोक या लगाम नहीं है ! पुराने और समझदार नेता कोई भी भाषण देने से पूर्व कई बार अपने भाषण का अध्यन करते थे और तब जाकर उसे आम जनता के समक्ष पेश करते थे , और इस बात का भी विशेष ध्यान रखते थे कि, वो अपने भाषण में कुछ ऐसा तो नहीं बोल रहे हैं , जिससे इस देश की आन-बान-शान में कोई दाग ना लगता हो ! इस बात का भी ख्याल रखते थे कि उनके भाषण से देश के किसी भी नागरिक का अपमान तो नहीं हो रहा है ! धर्म, जातिवाद विशेष का अपमान तो नहीं हो रहा है ! देश की नारियों का अपमान तो नहीं हो रहा है , उनके सम्मान में कहीं कुछ गलत तो नहीं कह दिया है ..... आदि बातों का विशेष ध्यान रखा जाता था , और इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखकर कोई भी बात आम जनता के बीच बोली जाती थी ! आम जनता भी इस बात से खुश होती थी, और उनके दिलों में अपने प्रिय नेता का मान-सम्मान कहीं ज्यादा होता था और अपने नेता के लिए अपनी जान न्योछावर करने तक को तैयार रहते थे ! तब कहलाती थी असली राजनीति और असली राजनेता ! किन्तु आज की जनता आज के नेताओं के भाषणों पर अपनी जान देने की बात तो नहीं करती अपितु नेताओं द्वारा दिए गए असभ्य और अश्लील भाषणों पर उनकी जान ना ले ले इस बात के बारे में आज के घटिया नेताओं को सोचना होगा ? जैसे जैसे समय का पहिया आगे बढ़ता गया और वक़्त के साथ इस देश की राजनीति में भी बहुत उठापटक होने लगी ! किसी के लिए भी राजनीति में आना कोई मुश्किल काम नहीं था ! जब से इस देश की राजनीति में हर किसी का आना सरल हुआ तब से राजनीति का स्वरुप तेजी से बदला है ! जब से इस राजनीति रुपी तालाब में गन्दी मछलियों का आगमन हुआ हैं तब से यह तालाब पूरी तरह गन्दा हो गया है ! आज हमारे यहाँ राजनीति में ऐसे ऐसे लोग भरे पड़े हैं जिन्हें राजनीति का "क ख ग " भी नहीं आता और आज देश के ऊचे पदों पर बैठकर देश की नैया को डुबो रहे हैं ! आज इस देश में ऐसे नेताओं की बहुत लम्बी चौड़ी सूचि है जो बिना सोचे समझे, कहीं भी खड़े होकर इस देश और देश की आम जनता, धर्म-मजहब, जातिवाद, देश की रक्षा करने बाले वीर-जवान, और आम इन्सान की धार्मिक भावनाओं को लगातार ठेस पहुंचा रहे हैं ! उदाहरण कई हैं .... पूर्व में एक नेताजी ने जिन्होंने बिना सोचे समझे इस देश की रक्षा करने बाले वीर-जवानो ( सैनिकों ) को डकैत और तस्कर तक कह दिया था ! किन्तु आज के नेता स्वयं क्या हैं ? यह पूरा देश जानता हैं ! तजा बयान देश की सरकार में ऊंचे पद पर बैठे मंत्रीजी का है जिन्होंने ये कह दिया कि " शादी जितनी पुरानी हो जाती है ...उसमें ज्यादा मजा नहीं आता .... मैं तो कहता हूँ ....... ये बात मंत्रीजी पर भी लागू होती है ....... खैर अभी तो इन नेताओं का घटियापन अभी बहुत देखना बाकी है ! जब ऐसे नेताओं को अपनी इस गलती का अहसास होता है या उन्हें लगता है कि अब शायद मेरी कही बात पर बबाल हो जायेगा ...... तो बही पुराना फ़ॉर्मूला जो आज तक के सभी घटिया नेता करते आये हैं ......" थूंक कर चाटने बाला " तुरत-फुरत अपने बयान पर लीपापोती कर शब्दों और बयानों को बदलने की कला जिसमें वो जन्मजात माहिर हैं ! यह कोई अकेला मामला तो नहीं है इस देश में , इस तरह की बयानबाजी आज जिसे देखो एक दूसरे के बारे में बिना सोचे समझे कर रहा है ! जब कुछ गलत बोल देते हैं , और अपनी गलती का अहसास होता है, तो तुरंत अपने बयान से ऐसे पलटते हैं , जैसे हमने तो कुछ गलत कहा ही नहीं ! अगर इन नेताओं का बस चले तो पता नहीं, दिन को रात और रात को दिन कह दें ! जिस तरह इनके बार बार बयान बदलते हैं ठीक उसी प्रकार पल पल पर इनका ईमान बदलता है ! अब क्या कहूँ ऐसे हैं आज के यह दल-बदलू माननीय नेताजी ...
किन्तु हमारे बुजुर्ग सच कह गए हैं " जिस तरह मुंह से निकला हुआ शब्द बापस नहीं होता, बन्दूक से निकली हुई गोली, और कमान से निकला हुआ तीर " जिस तरह निकलने के बाद किसी का भी अहित कर सकते हैं ! ठीक उसी तरह किसी भी राजनेता का दिया गया बयान इस देश का अहित कर सकता हैं ! आज के भ्रष्ट नेता इस बात को पूरी तरह भूल जाते हैं , और इस आदत को हम देशी भाषा में बोलते हैं " थूंक कर चाटना " जो आज के नेताओं की नई आदत है ! सच तो ये है जैसे पुरानी शादी - पत्नी मजा नहीं देती ( नेताजी के अनुसार ) ठीक वैसे ही इस देश के पुराने और घटिया नेता मजा नहीं दे रहे हैं !
धन्यवाद
किन्तु हमारे बुजुर्ग सच कह गए हैं " जिस तरह मुंह से निकला हुआ शब्द बापस नहीं होता, बन्दूक से निकली हुई गोली, और कमान से निकला हुआ तीर " जिस तरह निकलने के बाद किसी का भी अहित कर सकते हैं ! ठीक उसी तरह किसी भी राजनेता का दिया गया बयान इस देश का अहित कर सकता हैं ! आज के भ्रष्ट नेता इस बात को पूरी तरह भूल जाते हैं , और इस आदत को हम देशी भाषा में बोलते हैं " थूंक कर चाटना " जो आज के नेताओं की नई आदत है ! सच तो ये है जैसे पुरानी शादी - पत्नी मजा नहीं देती ( नेताजी के अनुसार ) ठीक वैसे ही इस देश के पुराने और घटिया नेता मजा नहीं दे रहे हैं !
धन्यवाद
Raajneeti ka ye haal Indira Gandhi ke zamane se shuru gaya. Indiraji ne bhrashtachar ko hee neeti bana lee.
ReplyDeleteबेह्तरीन अभिव्यक्ति .आपका ब्लॉग देखा मैने और नमन है आपको
ReplyDeleteऔर बहुत ही सुन्दर शब्दों से सजाया गया है लिखते रहिये और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
अब मजा नहीं, सजा दे रहे हैं, और सजा पा भी रहे हैं।
ReplyDeleteekdam dhang ka palatwaar kiya.. badhiya post.
ReplyDeleteचुनाव भी शीघ्र ही आने वाले है यह विचार जितना ज्यादा लोगो तक पहुंचे अच्छा है.
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