Friday, January 20, 2012

रुपया एक .............. प्रश्न अनेक .....>>> संजय कुमार

कल जब मैं बस से जा रही थी कौलेज
तब बस पर आया , तोंदू बच्चा एक
बिलकुल मटके जैसा था , उसका पेट
दिखाकर जिसको , उसने माँगा रुपया एक
मैंने कहा " दर्द और व्यंग्य " से
तुम्हें दिया यह किसने , काम नेक
गिड़गिडाकर बोला " माई "
बाप नहीं घर में , मेहताई है भूखे पेट !
लगा जैसे वह , किसी शिकारी का रट्टू तोता हो एक !
दांत थे उसके गुटखे से सने हुए ,
देख जिन्हें मैंने कहा
गुटखा खाते हो !
नहीं दूँगी तुम्हें , रुपया एक
पर गिड़ गिड़ाहट से अपनी
उसने जगाया , ह्रदय में तीव्र करुण भाव
और
जाने -अनजाने में
मैंने दिए उसे, रूपए दो ,
और जाते-जाते वह मुझे
दे गया प्रश्न अनेक !

( प्रिये पत्नि गार्गी की कलम से )

धन्यवाद

5 comments:

  1. हर बार यह दृश्य सोचने पर विवश करता है

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    1. Sach....sawaal sochne pe wiwash to karta hai....sundar rachana!

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  3. बहुत सुन्दर सन्देश और हौसला बढ़ाती हुवी

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