हँसना है कभी रोना है
खोना है कभी पाना है
किस्मत का तो यही फ़साना है !
समझा है यही जाना है
हर लम्हा टल जाना है
किस्मत का तो यही फ़साना है !
कोई कहे चाँदी कोई कहे सोना
इन्सां है मिटटी का खिलौना
जीवन तो है इक सफ़र
कब खत्म हो क्या खबर
इक पल में यहाँ जीना है
दूजे पल मर जाना है
किस्मत का तो यही फ़साना है !
कभी है संवरना कभी है बिखरना
कभी तो है मिलना कभी है बिछड़ना
रिश्ते है क्यों अजनबी
दुस्वार है जिंदगी
उलझन के धागों को
जीवन भर सुलझाना है
किस्मत का तो यही फ़साना है !
आते हैं उजाले जाते हैं अँधेरे
आती हैं फिजायें जातीं हैं बहारें
किस्मत यही सब करेगी
होनी तो होके रहेगी
लिखा है जो होना है
बाकी तो सब बहाना है
किस्मत का तो यही फ़साना है !
देखो ना ये किस्मत की मजबूरी
दिल नहीं चाहे कहना जरूरी
कैसे कहें क्या हुआ
कहना भी है इक सजा
अश्कों के इन समंदर पे
लब्जों को डूब जाना है
किस्मत का तो यही फ़साना है ! किस्मत का तो यही फ़साना है !
(यह सभी पंक्तियाँ एक फिल्म के गीत से ली गयीं हैं )
धन्यवाद
बहुत ही सुंदर कविता |
ReplyDeleteऐसे ही परिभाषित जीवन।
ReplyDeleteशानदार पंक्तियाँ ..
ReplyDeleteकोई कहे चाँदी कोई कहे सोना
ReplyDeleteइन्सां है मिटटी का खिलौना
जीवन तो है इक सफ़र
कब खत्म हो क्या खबर
इक पल में यहाँ जीना है
दूजे पल मर जाना है
Bahut sundar rachana!
अश्कों के समंदर में लफ्जों को डूब जाना है... बहुत खूब..
ReplyDeleteसंजय जी बहुत सुंदर कविता बधाई और शुभकामनाएं |
ReplyDeleteबस जीना है ,जीते जाना है ,फिर किसी एक पल ये सब कुछ लुट जाना है .दोनों रचनाएं भाव जगत का खुलासा करतीं हैं .किताबी नहीं हैं सचेत करतीं हैं .
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