Sunday, September 18, 2011

जल्द ही गधों की बुकिंग कराइये ......>>> संजय कुमार

जिस तरह से हमारे देश में मंहगाई अपनी सभी सीमायें तोड़ चुकी है , सारी हदें पार कर चुकी है , डीजल - पेट्रोल के दाम आसमान छू रहे हैं , रसोई गैस , राशन , सब्जियां , फल सभी इतने मंहगे है कि एक दिन सिर्फ अमीर ही इनको इस्तेमाल कर पाएंगे ! आज इस मंहगाई रुपी दानव के आतंक से आम जनता त्राहि-त्राहि कर रही है ! मंहगाई को देखकर अब ऐसा लगने लगा है कि आम आदमी तो सिर्फ तिल - तिल कर मरने के लिए ही पैदा हुआ है ! आज उसके चूल्हे में आग तो जल जाती है किन्तु उसमे पकाने को कुछ नहीं होता ! जिस तरह चूल्हे में जल रही लकड़ी जलकर राख हो जाएगी ठीक उसी तरह आम आदमी इस मंहगाई से तिल - तिल कर मर जायेगा ! मंहगाई से एक फायदा अवश्य होगा , हमारे पुराने दिन जल्द ही बापस आ जायेंगे ! जल्द ही हम लोग कार , मोटरसाइकल , चलाना भूल जायेंगे या ये सब गुजरे जमाने की बात हो जाएँगी ! इस तरह के सभी वाहन संग्रहालय की सोभा बढायेंगे या फिर हमारे वाहनों को हम लोगों को गधों से खिंचवाने पड़ेंगे ! क्योंकि वाहन तो हमारे पास होंगे किन्तु उनमें डीजल-पेट्रोल नहीं होगा , जिनकी गाड़ियाँ डीजल-पेट्रोल से चलेंगी वो देश के ऊंचे पदों पर बैठे हुए नेता और अफसर होंगे ! मंहगाई का असर उन पर कभी नहीं पड़ेगा जिसके पास भ्रष्टाचार और बेईमानी का पैसा आ रहा है उसे किसी भी मंहगाई का कोई फर्क नहीं पड़ता वो अपना कमीशन थोडा सा और बड़ा देगा ! ( आज पूरा देश कमीशन पर ही तो चल रहा है ) मरना तो हम लोगों का जिनके पास आय के सीमित साधन के रूप में महीने की पहली तारीख को मिलने वाला पैसा है, जो १० तारीख तक समाप्त हो जाता है ! आम आदमी या सीमित आय वाला इंसान तो जीवन भर उधारी की जिंदगी जीता है ! इससे लिया उसको दिया , उससे लिया इसको दिया बस यही करता है जीवन भर ! उसके पास एक साधन और बचता है और वो है बेईमानी का किन्तु ये भी आसान नहीं है ! खैर इस मंहगाई से विलुप्त होती गधों की प्रजाति को काम अवश्य मिल जायेगा ! क्योंकि आज का आदमी पैदल चलना तो कबका भूल चुका है ! जब हम ये सोचने बैठेंगे कि हम कब से पैदल नहीं चले तो आपको अपने आलसी होने का अहसास तुरंत हो जायेगा ! इसलिए कहता हूँ डीजल -पेट्रोल के दाम बढ़ने पर इतनी हाय - तौबा अच्छी नहीं है ! आज ही गधा मालिकों के साथ अनुबंध कीजिये और कई गधे बुक करवा लीजिये ! यही एक रास्ता है अब हमारे पास ! जल्द ही गधों की बुकिंग कराइये .... क्योंकि अब गधे हमारे वाहन खींचेंगे .........

धन्यवाद

6 comments:

  1. गधों की बुकिंग कराने ...देखिए मैं जल्दी ही आ गई....
    आपकी लेखनी में जादू है |
    बधाई और शुभकामनाएं |

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  2. गधे तो हम सभी हो गये हैं, बुकिंग किसकी करायें।

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  3. हम गधे ही तो है ! महंगाई का बोझ धोते है , भ्रष्टाचार का बोझ ढोते हैं इत्यादि और बिरोध बिलकुल नहीं करते चाहे बोझ कितना ही बढ़ा दो |

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  4. कुछ नहीं बचा महंगाई ने मार डाला

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  5. संजय जी नमस्कार सत्य कहा है आपने आम आदमी तो महंगाई के बोझ तले दबा जा रहा है।

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