Wednesday, July 20, 2011

तेरी गोद में .....>>>> संजय कुमार

अब कैसे कहूँ , मेरा देश महान ,
भारत " माँ " आप तो हैं महान ,
तेरी मिटटी को अनगिनत प्रणाम ,
पर तेरी गोद में
अब जो खेल रही संतान ,
कर रही तुझको वदनाम ,
राम-कृष्ण को अपना आदर्श माने ,
पर ये क्या ? खुद अन्दर रावण धारे ,
रावण को सिर्फ दशानन कहते ,
पर अबकी संतान के तो अनगिनत चेहरे


( प्रिये पत्नि गार्गी की कलम से )

धन्यवाद

10 comments:

  1. यही तो विडंबना है , रोती धरती माँ.....

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  2. रावण को सिर्फ दशानन कहते ,
    पर अबकी संतान के तो अनगिनत चेहरे
    ...yahi to hamari Bharat MAA ki bahut badi bidambana hai..

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  3. कमाल के भाव लिए है रचना की पंक्तियाँ .......

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  4. भाव और लक्ष्‍य अच्‍छा है लेकिन इसे और सुधारा जा सकता है. आप प्रयास करेंगे तो और बेहतर और उम्‍दा लिख पाएंगे.

    दुनाली पर देखें-
    अन्‍ना को मनमौन की जवाबी चिट्ठी

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  5. वाह बेहतरीन !!!!
    बहुत ही सुंदर कविता भाई संजय जी बहुत बहुत बधाई |

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  6. रचना और भाव दोनों ही सुन्दर हैं!

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  7. अब रावण के रूप भी समझ नहीं आते .. अच्छी प्रस्तुति

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  8. सुन्दर संवेदनशील अभिव्यक्ति के लिए गार्गी जी को हार्दिक बधाई।

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