Monday, July 4, 2011

इनसे बड़ा कोई राजा नहीं, फिर भी ये हैं ........ >>> संजय कुमार

अरे भई मैं वो राजा नहीं हूँ जो आजकल जेल में कैदियों की तरह अपना जीवन गुजार रहा है ! और ना ही मैं वो राजा हूँ जो किसी राज्य पर राज कर रहा हूँ ! मैं अपनी आदतों और कर्मों से आपने आपको राजा मानता हूँ ! मैं हमेशा अपने मन की करता हूँ , मैं कभी किसी की नहीं सुनता और ना ही कोई मेरा कुछ बिगाड़ सकता है ! चोंकिये मत मैं जिस राजा की बात कर रहा हूँ वो है सबसे बड़ा राजा " भिखारी राजा " आज मैं इनके राजपाठ के बारे में कुछ कहना चाहता हूँ ! आजकल हमारे शहरों में भिखारियों की संख्या में दिन प्रतिदिन इजाफा हो रहा है ! समझ नहीं आता इनकी संख्या इतनी तेजी क्यों बड़ रही है ? क्या भारत भिखारियों का देश के नाम से भी जाना जायेगा ! क्योंकि आजकल भ्रष्टाचार और घोटालों के कारण हमारा देश बहुत चर्चा में है ! एक समय था जब हमारे घर एक निश्चित दिन , महीना कोई फ़कीर या जोशी या कोई ब्रह्मण भिक्षा लेने आता था ! हम उसे अपने घर से आटा या रोटी दिया करते थे और वो प्रेम पूर्वक हमें आशीर्वाद देकर चला जाता था ! अब इस तरह के भिक्षुक लोग तो कम ही नजर आते हैं किन्तु इनकी जगह अब भिखारियों ने ले ली है ! वो भिखारी जो आटा या रोटी नहीं मांगते हैं, मांगते हैं तो पैसा ! जिनका ना तो कोई दिन होता है और ना कोई समय , यह कभी भी कहीं भी आ पहुंचते हैं ! इनकी संख्या कभी कभी किसी जगह इतनी अधिक हो जाती है , कि समझ नहीं आता कि, यह आम इंसानों का देश है या भिखारियों का ! हमारे देश में इतने भिखारी कैसे और कहाँ से आ गए ? क्या कारण हैं जो इनकी आबादी इतनी तेजी से बड़ती जा रही है ? हमारे यहाँ हर शनिवार को ८-१० साल के बहुत सारे बच्चे पूरे शहर में अपने हांथों में छोटी सी बाल्टी लेकर " शनि देव " के नाम पर मांगने आते हैं , ऐसा लगता है जैसे इन बच्चों से मांगने का धंधा करवाया जा रहा हो या जानबूझकर ये सब करतेk हों ! भिखारी, इंसानी दुनिया का सबसे तिरष्कृत इन्सान होता है , जो हर जगह से ठुकराया जाता है ! वह इन्सान जिसकी ना तो कोई जात होती और ना ही कोई धर्म ! फिर भी हमने अक्सर यह देखा है कि यह भिखारी ज्यादातर धर्म के नाम पर ही भीख मांगते हैं ! चाहे मंदिर हो या मस्जिद , गुरुद्वारा या चर्च, हर जगह इनकी पहुँच होती है ! यूँ कह सकते हैं, इनका कार्य-क्षेत्र या इनकी कर्म-भूमि यही जगह होती हैं ! इसके अलावा बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन हर जगह बड़ी तादाद में मिलेंगे ! लेकिन हमारे देश में अब भिखारियों की संख्या में दिन-प्रतिदिन इजाफा होता जा रहा हैं ! कुछ जन्म से तो कुछ कर्म से कुछ मजबूरीवश तो कोई जानबूझकर भीख मांगने का काम कर रहा हैं ! अब हर जगह ये लोग देखे जा सकते हैं , कोई भी रूप लेकर आपके सामने आ सकते हैं ! एक बच्चे के रूप में, एक बूढ़ी और बेसहारा माँ के रूप में तो कभी अपनी जिंदगी का बोझ ढोती हुई किसी बुजुर्ग के रूप में , दयनीय हालत असहाय और ठुकराए हुए ! ये तो भिखारियों का एक पहलु है जो दयनीय एवं दुखद है किन्तु एक दूसरा भी पहलु है जो बहुत लोग जानते ही नहीं वो है इनका अड़ियल रवैया , आप इनको कितना भी समझाएं की भीख माँगना अच्छी बात नहीं है , आप इसे छोड़ दीजिये , इस तरह के मशविरे को ये लोग सिर्फ भाषण देना समझते हैं ! आप इन लोगों की मदद करने के लिए भले ही दिन रात एक कर दें किन्तु ऐसे लोग मेहनत कर कहीं काम नहीं करना चाहते , एक - दो दिन काम करने के बाद पुनः भीख मांगने का काम करने लगते हैं ! कुछ भिखारी बुरी आदतों के आदि होते हैं जैसे , जुआ खेलना , शराब पीना , पीकर गन्दी - गन्दी गालियाँ देना , राह चलते मुसाफिरों को परेशान करना , बीच सड़क पर लेटकर आवागमन अवरुद्ध करना आदि ! कुछ भिखारी भीख मांगकर इतना कम चुके हैं कि , गाड़ियों मकानों तक के मालिक बन चुके हैं फिर भी समाज में बड़े फक्र से भीख मांगते हैं ! कुछ भिखारियों के पास तो अच्छा बैंक बैलेंस है और ब्याज पर पैसा देते हैं और एक - एक रूपए की भीख मांगते हैं ! आम जनता की नजर में दया का पात्र बनना चाहते हैं ! आम जनता की आँखों में धुल झोंकते हैं ! क्या वाकई में यह लोग भीख मांगकर अपना पेट भरना चाहते हैं ? या उनकी मजबूरी उनसे यह सब करवा रही है ! कुछ लोगों के साथ यह बात हो सकती है जिनका कोई नहीं है ( आजकल अपनों के अपने नहीं होते ) वो लोग जिनके सर पर ना तो कोई छत है और ना ही उनकी देख-रेख करने बाला कोई होता है ! कुछ बूढ़े माँ-बाप अपने बच्चों द्वारा ठुकराए हुए होते हैं तो कुछ बच्चों को उनकी माँ (बिन-व्याही) समाज के डर से किसी कचरे के ढेर पर यूँ ही फेंक जाती है अगर वह कुत्तों और सूअरों के मुंह का निबाला नहीं बना तो क्या होगा उनका भविष्य ? उनका भविष्य होगा अंधकारमय , दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर या फिर बन जाते हैं भिखारी ! आज कुछ लोगों का यह धंधा बन गया हैं , हमारे महानगरों में तो यह एक व्यवसाय के रूप में प्रचलित हैं ! ( लगभग २०० करोड़ का धंधा ) घरों से भागे हुए बच्चों का, अपहरण किये हुए बच्चों का इस धंधे में शामिल लोग पूरी तरह इस्तेमाल करते हैं ! कभी उन्हें अपंग बना कर तो कभी उनको डरा धमकाकर इस धंधे में जबरन घुसेड़ दिया जाता है ! कुछ लोग इस धंधे को छोड़ना नहीं चाहते उन्हें लगता है कि जब आराम से सब मिल रहा है तो ज्यादा मेहनत क्यों की जाए ! आजकल बहुत से ऐसे बच्चे देखने को मिल जाते हैं , जो स्कूल तो जाते हैं लेकिन एक निश्चित दिन कभी "शनिदेव" के नाम पर तो किसी और भगवान् के नाम पर हर हफ्ते यहीं काम करते हैं ! जब एक जवान आदमी भीख मांगता है तो बड़ा अजीव सा लगता है और उस पर गुस्सा भी बहुत आता है ! जब छोटे-छोटे बच्चे दिन-दिनभर कचरा बीन कर अपना पेट भर सकते हैं तो जवान आदमी यह क्यों नहीं करना चाहता ! वो सभी भिखारी जो किसी मजबूरी के चलते भीख मांगने का काम करते हैं और उनके पास और कोई चारा नहीं है तो उनका भीख मांगना कुछ हद तक ठीक भी लगता है ! क्योंकि आज एक आम इन्सान अपनी मदद तो स्वयं कर नहीं पाता तो फिर किसी और की मदद कैसे करेगा ! हम सिर्फ उनसे सहानुभूति रख सकते हैं ! कोई भी इनकी मदद को आगे नहीं आता है, सरकार या कोई समाजसेवी संस्था सब की सब अपनी रोटियां सेंकने में लगे हुए हैं !


एक भिखारी अपना पूरा जीवन भीख मांगकर ही निकाल देता हैं फिर भी एक अच्छा जीवन उसे कभी भी भीख में नहीं मिलता


धन्यवाद

10 comments:

  1. सटीक लेख ... भीख मांग मांग कर आदत ऐसी हो गयी है कि कोई काम भी नहीं करना चाहता ..

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  2. भिखारियों को देख कर देश की समृद्धि पर शंका होने लगती है।

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  3. सामयिक चिंतन !शुभकामनायें आपको !

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  4. बहुत अच्छे विषय पर चर्चा दोस्त आजकल सच में हमारे देश में भिखारियों की संख्या में बहुत इजाफा हो रहा है ये देख कर यही लगता ही जब हाथ फेलाने से ही पैसा मिल जाता है तो मेहनत करने से क्या फायदा ?
    बहुत सुन्दर विषय और अच्छा विवरण |

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  5. आज एक आम इन्सान अपनी मदद तो स्वयं कर नहीं पाता तो फिर किसी और की मदद कैसे करेगा ! हम सिर्फ उनसे सहानुभूति रख सकते हैं ! कोई भी इनकी मदद को आगे नहीं आता है, सरकार या कोई समाजसेवी संस्था सब की सब अपनी रोटियां सेंकने में लगे हुए हैं !



    सही कहा आपने...
    बहुत अच्छा सारगर्भित लेख....

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  6. एक भिखारी अपना पूरा जीवन भीख मांगकर ही निकाल देता हैं फिर भी एक अच्छा जीवन उसे कभी भी भीख में नहीं मिलता....

    सुना था मुम्बई के भिखारी दिन में काम करते हैं और रात में लंगड़े लूले बन भीख मांगते हैं ....
    उनके पास घर है , गाडी है , बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ रहे हैं ....

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  7. एक भिखारी अपना पूरा जीवन भीख मांगकर ही निकाल देता हैं फिर भी एक अच्छा जीवन उसे कभी भी भीख में नहीं मिलता...bilku sahi baat kahi aapne...
    bhikhari ko chahe raaja ban jaay par uski jindadi bheekh jaisi hi hogi..
    bahut badiya aalekh!

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  8. समसामयिक विचारणीय लेख .....
    सार्थक चिंतन.....

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  9. सुन्दर विषय पर चर्चा.....विचारणीय लेख ....

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