Friday, July 1, 2011

मैंने खुद से पूंछा ......>>>> संजय कुमार

मैंने खुद से पूंछा
मेरी रचनाओं में
क्यों है शोक व्याप्त ?
तो बुद्धि ने कहा --
जैसा मन होगा
वैसा ही तो होगा काव्य
फिर पूंछा मैंने
तो क्यों है मेरा ऐसा मन ?
तो कहा उसने
जैसा समीप होगा तेरे जन जीवन
वैसा ही तो होगा तेरा मन
फिर पूंछा मैंने
तो क्यों है ऐसा जन जीवन
तो बोली वह
वर्तमान में जीवन ही होता यथार्थ है
फिर तो हर किसी के लिए
जीना विवशता है ,
और फिर जीने की विवशता
और कठोर यथार्थ के बीच
वह पिसता है !
जीने के लिए उसे बनना पड़ता योद्धा है ,
जीवन भर वह जीवन से लड़ता है ,
और कुंठित होता चला जाता है
बस , यही सब देख तेरा मन
शोक से भर जाता है ,
क्योंकि मन तो सुन्दर कोमल कल्पनाओं सा जीवन चाहता है ,
विपरीत पा परिस्थितियां , वह शोक से भर जाता है !
मैंने खुद से पूंछा ..........................

( प्रिये पत्नि गार्गी की कलम से )

धन्यवाद

12 comments:

  1. क्योंकि मन तो सुन्दर कोमल कल्पनाओं सा जीवन चाहता है ,
    विपरीत पा परिस्थितियां , वह शोक से भर जाता है !
    excellent ... gargie ji ko shubhkamnayen

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  2. यथार्थ को खूबसूरती से प्रस्तुत करती सुन्दर रचना...

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  3. संजय जी
    बहुत अच्छी प्रेरणा देती हुई रचना|

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  4. शुक्रिया आपका गार्गी जी की रचना हम तक पहुँचाने के लिए...
    करीब १५ दिनों से अस्वस्थता के कारण ब्लॉगजगत से दूर हूँ
    आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,

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  5. जीवन से जुड़ी सुन्दर कविता...

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  6. बहुत ही बढ़िया लिखा है !
    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - सम्पूर्ण प्रेम...(Complete Love)

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  7. बहुत अच्छी अभिव्यक्ति मन की......(@गार्गी लिखती रहो)....आपका शुक्रिया...

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  8. जैसा मन होगा
    वैसा ही तो होगा काव्य

    bahut saarthak aur sahee...

    sunder abhivyakti

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  9. वर्तमान में जीवन ही होता यथार्थ है
    फिर तो हर किसी के लिए
    जीना विवशता है ,
    और फिर जीने की विवशता
    और कठोर यथार्थ के बीच
    वह पिसता है !
    जीने के लिए उसे बनना पड़ता योद्धा है ,

    गहन अनुभूतियों और जीवन दर्शन से परिपूर्ण इस रचना के लिए बधाई गार्गी जी...

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  10. वर्तमान में जीवन ही होता यथार्थ है
    फिर तो हर किसी के लिए
    जीना विवशता है ,
    और फिर जीने की विवशता
    और कठोर यथार्थ के बीच
    वह पिसता है !
    जीने के लिए उसे बनना पड़ता योद्धा है ,
    जीवन भर वह जीवन से लड़ता है ,
    jeevan darshan ka sunder chitran
    badhai
    rachana

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  11. nice..
    जीने के लिए उसे बनना पड़ता योद्धा है ,

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  12. आप का बलाँग मूझे पढ कर आच्चछा लगा , मैं बी एक बलाँग खोली हू
    लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/

    मै नइ हु आप सब का सपोट chheya
    joint my follower

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