आप सभी को " रामनवमी की हार्दिक बधाई और शुभ-कामनायें
" सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नही, मेरी कोशिश है की ये सूरत बदलनी चाहिए ,मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही , हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए " ! दुष्यंत कुमारजी की ये पंक्तियाँ जब भी सुनता हूँ तो एक जोश जैसे मेरे दिल में भर जाता है , हालांकि आज पूरा देश जोश और जज्बे से लबरेज है ! आज हमारे देश में चारों ओर शोर-गुल , भीड़-भाड़ , हंगामा , आरोप-प्रत्यारोप , रैलियां , रोड शो का माहौल है क्योंकि नई सरकार की लहर बहुत तेजी से चल रही है और शायद इसीलिए हमारे देश में चारों ओर हंगामे सा माहौल है ! आज मैं यहाँ फिर बात करूंगा अपने देश के कर्ता - धर्ता नेताओं और राजनीतिज्ञों की जो आज दिन-प्रतिदिन की सुर्ख़ियों में बने रहने के लिए हंगामे की राजनीति कर रहे हैं ! ( शायद आज की राजनीती का पहला उसूल ) आखिर इस देश का नेता करता क्या है ? हंगामा और सिर्फ हंगामा , विकास की बड़ी - बड़ी बातें , मेंहगाई पर अंकुश , नारी सुरक्षा , काला धन वापसी, और एक दुसरे पर घटिया - आपत्तिजनक बयान ..........शायद इसी को राजनीति कहते हैं ! जब तक नेता चुनाव जीत नहीं जाते , सरकार बना नहीं लेते , सरकार में आने के बाद अपने फायदे के विधेयक पास नहीं करा लेते तब तक यूँ ही हर दिन बात -बात पर और बिना बात पर हंगामा करते रहेंगे ! क्योंकि इस देश को तो नेता ही चला रहे हैं और आने वाले हजारों साल तक इस देश को चलाएंगे ! अगर मैं सच कहूं और देखा जाय तो देश तो अपने आप ही चल रहा है ! भ्रष्ट नेताओं ने तो इस देश की लुटिया पहले भी कई बार डुबोई है और आज भी पूरी कोशिश में सभी के सभी एक साथ लगे हुए हैं ! हम तो सिर्फ यही देख सकते हैं कि ये कोशिश कब रंग लाती है ( हालांकि अब डूबने को कुछ बचा नहीं ) हमारे देश के नेताओं का राजनीति में आने का उद्देश्य आज तक समझ नहीं आया ! देश के नेताओं का कहना तो ये है कि हमारा उद्देश्य देश को आगे बढ़ाने का है , हम देश को विकसित और विकासशील देशों की श्रेणी में प्रथम स्थान पर लाने के लिए हर संभव कोशिश करने के लिए प्रयासरत हैं ! सच पूंछा जाय तो इनका मुख्य उद्देश्य सिर्फ लड़ना है ! देश के नेता कहीं भी कभी भी लड़ सकते हैं ! लड़ने में ये सभी पूर्ण रूप से पारंगत हैं ! " संसद भवन " सड़क " मंदिर " घर -बाहर " देश में विदेश में , शादी समारोह में , खेल के मैदान में , किसी की शहादत पर तो कभी नक्सलवाद पर , ये बात बात पर लड़ते हैं , बिना किसी बात के भी लड़ते हैं ! सही बात पर भी लड़ते हैं , झूंठी बात पर भी लड़ते हैं ! पक्ष में होते हैं तो लड़ते हैं , विपक्ष में होते हैं तो लड़ते हैं ! सरकार में रहकर लड़ते हैं सरकार से बाहर होने पर लड़ते हैं ! बिना लड़े और बिन बात का मुद्दा उठाये बिना देश के नेताओं का जैसे खाना कभी हजम ही नहीं होता ! इनके लड़ने से भले ही आम जनता का अहित होता हो , भले ही उनका नुक्सान होता हो , भले ही देश की अर्थव्यवस्था को नुक्सान होता हो , किन्तु इन सब के बीच फायदा सिर्फ नेताओं का ही होता है ! देश के नेता हमेशा सिर्फ अपने भले की सोचते हैं तभी तो " लोकपाल " पर इतने दिनों से लड़ रहे हैं और पास भी नहीं कर रहे हैं ! सभी नेताओं ने मिलकर अपने फायदे के सभी विधेयक संसद से पास करवा रखे हैं ! देश के नेता नहीं चाहते कि , मंहगाई खत्म हो, डीजल-पेट्रोल मूल्य वृधि कम हो , नहीं चाहते कि , " कालाधन " मामले पर कोई बात हो , इसे बापस लाया जाये ! इस देश से आतंकवाद खत्म हो , गरीबी खत्म हो , बेरोजगारी खत्म हो , भ्रष्टाचार - घूसखोरी , लूट-खसोट , दंगे-फसाद , धर्म-मजहब के नाम पर होने वाली लड़ाईयां बंद हों ! इस देश में किसान आत्महत्या करता है तो करे , मासूम बच्चे कुपोषण का शिकार होते हों तो हों , देश की युवा पीढ़ी नशे के दलदल में फंसती है तो फसे , इस देश में धर्म की आड़ में महिलाओं का दैहिक शोषण होता है तो हो , राह चलते नारी की इज्जत पर हमला होता है तो हो , भले ही अपने वादे पर कभी खरे ना उतरे हों , ये सारी बातें नेताओं के लिए सिर्फ मुद्दे हैं , और ये वो मुद्दे हैं जो इन्हें ५ साल अपना काम ( लड़ाई ) करने के लिए पर्याप्त हैं ! नेता हमेशा बही काम करते हैं जिसमे इनका फायदा ज्यादा से ज्यादा हो आखिर हम इस देश के पालनहार जो ठहरे ! नेता भले ही किसी भी पार्टी में रहें इनका उद्देश्य ( देशहित ) लक्ष्य को कभी भी पूरा ना करना है बल्कि लक्ष्य से भटकाना है !
अगर इस देश में राजनेता ना हों तो क्या होगा ? देश में फैला भ्रष्टाचार बंद हो जायेगा ! गरीबों को उनका हक मिल जायेगा ! देश से कुपोषण , भुखमरी , बेरोजगारी समाप्त हो जाएगी ! महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार बंद हो जायेंगे ! धर्म -मजहब के नाम पर भाइयों का आपस में लड़ना बंद हो जायेगा ! देश की अर्थव्यवस्था सुधरेगी , देश तरक्की , प्रगति की ओर अग्रसर होगा ! समाज , और देश में कानून का राज होगा ! देश से " अंधेर नगरी चौपट राजा " वाली कहावत दूर होगी ! किन्तु ये तभी संभव होगा जब इस देश से भ्रष्ट , घूसखोर , बेईमान राजनेता और उनकी पार्टियाँ इस देश से खत्म होंगी ! ये तभी संभव होगा जब सच्चे राजनेता और उनकी राजनीतिक पार्टियाँ देश , समाज , आम जनता का हित सोचने वाली बात पर द्रण संकल्पित हों ! जब तक अच्छे राजनेता इस देश में नहीं होंगे तब तक भ्रष्ट राजनेता यही चाहेंगे कि , राजनीति के नाम पर होने वाली प्रतिदिन की ये लड़ाईयां कभी भी बंद ना हों !
सच तो ये है कि, हंगामा खड़ा करना ही मकसद है इनका ............... आप क्या सोचते हैं ?
धन्यवाद
" सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नही, मेरी कोशिश है की ये सूरत बदलनी चाहिए ,मेरे सीने में नहीं तो तेरे सीने में सही , हो कहीं भी आग, लेकिन आग जलनी चाहिए " ! दुष्यंत कुमारजी की ये पंक्तियाँ जब भी सुनता हूँ तो एक जोश जैसे मेरे दिल में भर जाता है , हालांकि आज पूरा देश जोश और जज्बे से लबरेज है ! आज हमारे देश में चारों ओर शोर-गुल , भीड़-भाड़ , हंगामा , आरोप-प्रत्यारोप , रैलियां , रोड शो का माहौल है क्योंकि नई सरकार की लहर बहुत तेजी से चल रही है और शायद इसीलिए हमारे देश में चारों ओर हंगामे सा माहौल है ! आज मैं यहाँ फिर बात करूंगा अपने देश के कर्ता - धर्ता नेताओं और राजनीतिज्ञों की जो आज दिन-प्रतिदिन की सुर्ख़ियों में बने रहने के लिए हंगामे की राजनीति कर रहे हैं ! ( शायद आज की राजनीती का पहला उसूल ) आखिर इस देश का नेता करता क्या है ? हंगामा और सिर्फ हंगामा , विकास की बड़ी - बड़ी बातें , मेंहगाई पर अंकुश , नारी सुरक्षा , काला धन वापसी, और एक दुसरे पर घटिया - आपत्तिजनक बयान ..........शायद इसी को राजनीति कहते हैं ! जब तक नेता चुनाव जीत नहीं जाते , सरकार बना नहीं लेते , सरकार में आने के बाद अपने फायदे के विधेयक पास नहीं करा लेते तब तक यूँ ही हर दिन बात -बात पर और बिना बात पर हंगामा करते रहेंगे ! क्योंकि इस देश को तो नेता ही चला रहे हैं और आने वाले हजारों साल तक इस देश को चलाएंगे ! अगर मैं सच कहूं और देखा जाय तो देश तो अपने आप ही चल रहा है ! भ्रष्ट नेताओं ने तो इस देश की लुटिया पहले भी कई बार डुबोई है और आज भी पूरी कोशिश में सभी के सभी एक साथ लगे हुए हैं ! हम तो सिर्फ यही देख सकते हैं कि ये कोशिश कब रंग लाती है ( हालांकि अब डूबने को कुछ बचा नहीं ) हमारे देश के नेताओं का राजनीति में आने का उद्देश्य आज तक समझ नहीं आया ! देश के नेताओं का कहना तो ये है कि हमारा उद्देश्य देश को आगे बढ़ाने का है , हम देश को विकसित और विकासशील देशों की श्रेणी में प्रथम स्थान पर लाने के लिए हर संभव कोशिश करने के लिए प्रयासरत हैं ! सच पूंछा जाय तो इनका मुख्य उद्देश्य सिर्फ लड़ना है ! देश के नेता कहीं भी कभी भी लड़ सकते हैं ! लड़ने में ये सभी पूर्ण रूप से पारंगत हैं ! " संसद भवन " सड़क " मंदिर " घर -बाहर " देश में विदेश में , शादी समारोह में , खेल के मैदान में , किसी की शहादत पर तो कभी नक्सलवाद पर , ये बात बात पर लड़ते हैं , बिना किसी बात के भी लड़ते हैं ! सही बात पर भी लड़ते हैं , झूंठी बात पर भी लड़ते हैं ! पक्ष में होते हैं तो लड़ते हैं , विपक्ष में होते हैं तो लड़ते हैं ! सरकार में रहकर लड़ते हैं सरकार से बाहर होने पर लड़ते हैं ! बिना लड़े और बिन बात का मुद्दा उठाये बिना देश के नेताओं का जैसे खाना कभी हजम ही नहीं होता ! इनके लड़ने से भले ही आम जनता का अहित होता हो , भले ही उनका नुक्सान होता हो , भले ही देश की अर्थव्यवस्था को नुक्सान होता हो , किन्तु इन सब के बीच फायदा सिर्फ नेताओं का ही होता है ! देश के नेता हमेशा सिर्फ अपने भले की सोचते हैं तभी तो " लोकपाल " पर इतने दिनों से लड़ रहे हैं और पास भी नहीं कर रहे हैं ! सभी नेताओं ने मिलकर अपने फायदे के सभी विधेयक संसद से पास करवा रखे हैं ! देश के नेता नहीं चाहते कि , मंहगाई खत्म हो, डीजल-पेट्रोल मूल्य वृधि कम हो , नहीं चाहते कि , " कालाधन " मामले पर कोई बात हो , इसे बापस लाया जाये ! इस देश से आतंकवाद खत्म हो , गरीबी खत्म हो , बेरोजगारी खत्म हो , भ्रष्टाचार - घूसखोरी , लूट-खसोट , दंगे-फसाद , धर्म-मजहब के नाम पर होने वाली लड़ाईयां बंद हों ! इस देश में किसान आत्महत्या करता है तो करे , मासूम बच्चे कुपोषण का शिकार होते हों तो हों , देश की युवा पीढ़ी नशे के दलदल में फंसती है तो फसे , इस देश में धर्म की आड़ में महिलाओं का दैहिक शोषण होता है तो हो , राह चलते नारी की इज्जत पर हमला होता है तो हो , भले ही अपने वादे पर कभी खरे ना उतरे हों , ये सारी बातें नेताओं के लिए सिर्फ मुद्दे हैं , और ये वो मुद्दे हैं जो इन्हें ५ साल अपना काम ( लड़ाई ) करने के लिए पर्याप्त हैं ! नेता हमेशा बही काम करते हैं जिसमे इनका फायदा ज्यादा से ज्यादा हो आखिर हम इस देश के पालनहार जो ठहरे ! नेता भले ही किसी भी पार्टी में रहें इनका उद्देश्य ( देशहित ) लक्ष्य को कभी भी पूरा ना करना है बल्कि लक्ष्य से भटकाना है !
अगर इस देश में राजनेता ना हों तो क्या होगा ? देश में फैला भ्रष्टाचार बंद हो जायेगा ! गरीबों को उनका हक मिल जायेगा ! देश से कुपोषण , भुखमरी , बेरोजगारी समाप्त हो जाएगी ! महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार बंद हो जायेंगे ! धर्म -मजहब के नाम पर भाइयों का आपस में लड़ना बंद हो जायेगा ! देश की अर्थव्यवस्था सुधरेगी , देश तरक्की , प्रगति की ओर अग्रसर होगा ! समाज , और देश में कानून का राज होगा ! देश से " अंधेर नगरी चौपट राजा " वाली कहावत दूर होगी ! किन्तु ये तभी संभव होगा जब इस देश से भ्रष्ट , घूसखोर , बेईमान राजनेता और उनकी पार्टियाँ इस देश से खत्म होंगी ! ये तभी संभव होगा जब सच्चे राजनेता और उनकी राजनीतिक पार्टियाँ देश , समाज , आम जनता का हित सोचने वाली बात पर द्रण संकल्पित हों ! जब तक अच्छे राजनेता इस देश में नहीं होंगे तब तक भ्रष्ट राजनेता यही चाहेंगे कि , राजनीति के नाम पर होने वाली प्रतिदिन की ये लड़ाईयां कभी भी बंद ना हों !
सच तो ये है कि, हंगामा खड़ा करना ही मकसद है इनका ............... आप क्या सोचते हैं ?
धन्यवाद
सच
ReplyDeleteराजनीति सिर्फ कुर्सी नीति है यहाँ
सच में यह सोचने वाली बात है।
ReplyDeleteबड़े ही सही वक़्त पे इस मुद्दे को छेड़ा है संजय जी और बहुत सही, साधारण और रोजमर्रा कि हालातों को उजागर किया है !
ReplyDeleteपर इन सब से पार पाने कि लिए आवाम को शिक्षित होना होगा, अपने अधिकारों और उसकी शक्ति को अंदर से समझना और विश्वास करना होगा, किसी का भी चुनाव करने से पहले, किसी को भी अपना , अपने देश का संचालक बनाने से पहले उसके बारे में पूरी जानकारी करनी होगी, उसके कार्य करने के ढंग और राजनितिक परख को समझना होगा, उसकी सामाजिक छवि और विचारों से अवगत होना होगा! कई जिम्मेदारियाँ हैं हमारी जहां हम चुक कर जाते है और रोना रोते हैं।
Very true sir
ReplyDeletehttps://saglamproxy.com
ReplyDeletemetin2 proxy
proxy satın al
knight online proxy
mobil proxy satın al
JGİ