प्रकृति की गोद में अठखेलियाँ करना
हमारी हर इक ख़ुशी पर
वो भी मुस्कुरा जाये
हमारा हर इक गम-दर्द ,
उसका खुदका हो जैसे ,
उस पर हक यूँ हो
जैसे खुद पर हुआ करता है
ये सब देकर भी
कौन होगा जो खुद
ये सब पाना ना चाहेगा
इन्तजार की हद तक ............
इसके बाद
दो आत्मा एक जिस्म
और फिर
उसके भी बाद
दो आत्मा दो जिस्म
और फिर
उसके भी बाद
मर चुकी होती है
रिश्तों की आत्मा
रह जाते हैं सिर्फ
" जिस्म "
जो रिश्तों का मोहताज रहना नहीं चाहता
सिर्फ
कहीं से भी
किसी से भी
सहानुभूति चाहता है
कहने का अर्थ
सिर्फ इतना है कि
भटके हुए से एक होने की
उम्मीद लगाना
यानि
खुद भटकना है !
( प्रिये पत्नी गार्गी की कलम से )
धन्यवाद
हमारी हर इक ख़ुशी पर
वो भी मुस्कुरा जाये
हमारा हर इक गम-दर्द ,
उसका खुदका हो जैसे ,
उस पर हक यूँ हो
जैसे खुद पर हुआ करता है
ये सब देकर भी
कौन होगा जो खुद
ये सब पाना ना चाहेगा
इन्तजार की हद तक ............
इसके बाद
दो आत्मा एक जिस्म
और फिर
उसके भी बाद
दो आत्मा दो जिस्म
और फिर
उसके भी बाद
मर चुकी होती है
रिश्तों की आत्मा
रह जाते हैं सिर्फ
" जिस्म "
जो रिश्तों का मोहताज रहना नहीं चाहता
सिर्फ
कहीं से भी
किसी से भी
सहानुभूति चाहता है
कहने का अर्थ
सिर्फ इतना है कि
भटके हुए से एक होने की
उम्मीद लगाना
यानि
खुद भटकना है !
( प्रिये पत्नी गार्गी की कलम से )
धन्यवाद
आपकी पोस्ट 27 - 02- 2013 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें ।
भावपूर्ण कविता के लिए साधुवाद.
ReplyDeletebahut hi gahan bhaw......
ReplyDeleteबहुत ही भावपूर्ण कविता,आभार...
ReplyDeleteबढ़िया भाव पूर्ण अभिव्यक्ति !
ReplyDeletelatest post मोहन कुछ तो बोलो!
latest postक्षणिकाएँ
SUNDAR "JIVAN KI AAPADHAPI TUM KAHA GYE MAI KAHA GAYA ,TUM PAR SAMANDAR KE US HO,MAI SHAHRA KE US PAR GAYA..."Aziz
ReplyDeleteShukriya Aziz Jaunpuri ji
Deleteहाँ ,बिलकुल यही होता है !
ReplyDeleteबड़ी ही प्रभावी प्रस्तुति..
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति | बधाई |
ReplyDeleteयहाँ भी पधारें और लेखन पसंद आने पर अनुसरण करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
आज की ब्लॉग बुलेटिन ये कि मैं झूठ बोल्यां मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteकितनी दुखद स्थिति होती है वो... जब रिश्तों के मरने का एहसास होता है...! जीवन की सबसे अनमोल पूँजी 'रिश्ते' ही होते हैं.... जब उन्हीं की क़द्र ना करी.. तो फिर जीवन में रह क्या जाएगा.. :(
ReplyDelete~सादर!!
गार्गी को बहुत बहुत शुभकामनायें और इस सुंदर लेखन के लिये बधाई.
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