Friday, February 22, 2013

" जीवन की आपाधापी " लेखन को हुए तीन साल .....>>> संजय कुमार

वैसे तो जीवन के ३० से ज्यादा साल " जीवन की आपाधापी " में ही कैसे गुजर गए पता ही नहीं चला और अब  देखते ही देखते आज मेरे ब्लॉग लेखन को भी तीन बर्ष पूर्ण हो गए हैं ! ये मेरे लिए ख़ुशी का मौका है की मैं तीन सालों में ३०६ लेख लिख पाया जिसमें मेरी पत्नि " गार्गी " की ढेर सारी कवितायेँ और रचनाएँ भी शामिल हैं  और जिसके लिए मैं आप सभी का तहेदिल से शुक्रगुजार हूँ ! मैं आप सभी का तहेदिल से धन्यवाद करता हूँ की आप सभी ने अपना कीमती वक़्त देकर मेरे ब्लॉग लेखन को पढ़ा उसकी सराहना की और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियों से आज तक मेरा मार्ग-दर्शन करते आये , मेरा उत्साहवर्धन किया और आगे लिखने की प्रेरणा दी और यही चीज मुझे आगे लिखने के लिए प्रेरित करती रही ! पिछले महीने १२ जनवरी " युवा दिवस " पर जब मैंने अपनी ३०० बी पोस्ट लिखी वो  मेरे लिए एक बड़ी उपलब्धि थी क्योंकि मैं ना तो कोई लेखक हूँ और ना ही कवि और साहित्यकार इसलिए मुझे अपने आप पर विश्वास नहीं हुआ कि मैं इतनी सारी पोस्टें कैसे लिख गया ! तीन साल पहले  मैंने ना तो कभी लेखन के बारे में सोचा था और ना ही दूर-दूर तक इससे मेरा कोई सम्बन्ध था ! ना तो मुझे पढ़ने -लिखने का कोई शौक था और ना ही किसी साहित्य की कोई जानकारी क्योंकि मैंने अपने जीवन में कभी भी किसी भी प्रकार का कोई साहित्य पढ़ा ही नहीं और ना ही मुझे इसका कोई ज्ञान था और  आज भी यही स्थिति है ! आप मेरे लेखन में यह अनुभव कर सकते हैं कि , मैं जिन शब्दों का प्रयोग करता हूँ वो बहुत आम हैं क्योंकि  मेरे पास कोई साहित्यिक भाषा नहीं है ! एक आम आदमी के जीवन को देखते हुए उसकी दिनचर्या को देखते हुए उसके जीवन में घटने वाली घटनाओं , परिशानियों , समस्याओं , सुख-दुःख आदि से प्रभावित  होकर ही मैंने अपने ब्लॉग का नाम " जीवन की आपाधापी " रखा और ये मेरे ब्लॉग पर आज तक लिखे गए सभी लेखों से मेल भी खाता है ! मंहगाई ,भ्रष्टाचार , बेईमानी , बेरोजगारी , आतंकवाद , नक्सलवाद , संस्कारों का पतन , पारिवारिक विघटन से पीड़ित आज का आम आदमी ! संस्कारों से पूर्ण  , पारिवारिक बंधनों में बंधा आज का आम आदमी ! एक - एक रूपए के लिए जी तोड़ मेहनत करने वाला आम आदमी ! अपने हक के लिए लड़ने वाला , पारिवारिक विघटन  को रोकने वाला , बच्चों में खोते हुए संस्कारों को  हर संभव जीवित रखने के लिए प्रयासरत एक आम आदमी ! भ्रष्ट राजनीति का शिकार , धर्म-मजहब के नाम पर ठगा जाने वाला , दूसरों के फायदे के लिए मोहरा बनता आज का आम इंसान ! ऐसी विकट परिस्थितियों में भी एक आम आदमी अपने आप को हर मुसीबत से बचाते  हुए अपना और अपने परिवार के भरण-पोषण और जीवन-यापन में लगा हुआ है ! और एक आम इंसान के लिए यही " जीवन की आपाधापी " है ! 
मैं एक आम इंसान होकर जो देखता हूँ , सुनता हूँ और महसूस करता हूँ , अपने आस-पास होने वाली घटनाओं से जब भी प्रभावित होता हूँ तो वो सारे अनुभव आप सभी को अपने ब्लॉग के माध्यम से बताता हूँ ! मेरी कोशिश हमेशा से रही है कि मैं आप सभी के लिए कुछ अच्छा लिखूं  ! आगे जीवन में मुझे बहुत कुछ करना है आगे बढ़ना है ! जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों और परेशनियों से लड़ने के लिए अपने आपको तैयार करना है ! अब थोडा सा समय कम मिलता है फिर भी मैं यूँ ही लिखता रहूँगा क्योंकि लिखना अब अच्छा लगता है ! जब तक मुझे आप सभी साथियों  का मार्ग-दर्शन ,स्नेह एवं प्यार मिलता रहेगा , तो मेरा होंसला भी लिखने के लिए बढ़ता रहेगा और आगे भी कुछ अच्छा लिखने की कोशिश करता रहूँगा !

एक बार फिर से अपने ब्लॉग के तीन बर्ष पूर्ण होने पर मैं आप सभी का धन्यवाद करता हूँ !

धन्यवाद 

12 comments:

  1. आपका साहित्यिक जीवन ऐसे ही पल्लवित होता रहे, शुभकामनायें आपको।

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  2. chalte raho...................chalna hi jindgi hai.aaj ki bhag-doud ki jingi me ""jeevan ki aapadhapi""ke dwara jindgi ke sabhi pahluo se abgat karane ke liye dhanybad.aapki lekhni isi prakar se anvarat chalti rahe uske liye dil se badhaiya.

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  3. संजय जी बहुत बहुत शुभकामनाएं आपको और मुबारक बाद की आपने लेखन के 3 साल पुरे कर लिए और बहुत ही सहजता से आम इंसान के दिल में उतरते गए और अपने लेखनी के माध्यम से हमेशा दिल में रहेंगे!

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  4. ब्लॉग लेखन में सफलता पूर्वक तीन साल पूरा करने के लिए आपको बहुत बहुत बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं
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  5. बस चलते रहिये

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  6. संजय भाई बहुत बहुत बधाइयाँ तीन साल पूरे करने के लिये इस ब्लॉग लेखन के सक्रिय सफर में.

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  7. बेह्तरीन अभिव्यक्ति .शुभकामनायें.

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  8. सार्थक प्रस्तुती

    मेरी नई रचना

    ये कैसी मोहब्बत है

    खुशबू

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