हमारे देश की विपक्षी पार्टी के जानेमाने , बड़बोले नेताजी ने अपने एक भाषण के दौरान केंद्र सरकार चलाने वाले युवराज को " शादी का अड़ियल घोड़ा " तक कह दिया , अब विवाद तो होना ही है ! अगर विवाद नहीं होगा तो फिर विपक्ष की ताक़त तो खत्म समझो ... खैर ये तो हमारे और देश के लिए अब रोज की बात है ! एक दिन ऐसा आएगा जब कोई नेता किसी दुसरे नेता को सुअर और कुत्ता तक कह देगा .... अरे भई ये आज की गन्दी राजनीति जो है इसमें सब कुछ जायज है ! मैं कहता हूँ कि , सूअर तो ठीक है लेकिन कुत्ता तो नहीं हो सकता , क्योंकि कुत्ता तो एक " वफादार " जानवर कहलाता है और आज के भ्रष्ट नेता तो वफादार नहीं हो सकते ... अगर ऐसा हुआ तो ये कुत्ता बिरादरी उनकी वफ़ादारी का अपमान है और ये बात कुत्ते जरा भी बर्दाश्त नहीं करेंगे ! हम इंसानों की जानवरों से तुलना कोई आज की नयी बात तो है नहीं , ये तो हम जब से पैदा हुए तब से ही सुनते आ रहे हैं ...... मुझे भी कई बार जानवर , पक्षी और पता नहीं क्या - क्या कहा गया या फिर उनसे तुलना की गयी , हो सकता है आपके साथ भी हुआ हो , अगर नहीं हुआ तो आप असली इंसान कहलाने का हक रखते हैं ! जब बच्चा पैदा होता है तब हम उसकी तुलना " चाँद " से करते हैं फिर भले ही चाँद पर सेंकड़ों दाग धब्बे हों ...... स्कूल में कई बार " मुर्गा " बनाया जाता है , पढ़ाई में कमजोर होने पर टीचर और माँ-बाप " गधा " कहते हैं ज्यादा देर रात तक पढ़ने पर " उल्लू " कहा जाता है ! ज्यादा खा - खाकर मोटा हो गया तो " हांथी " कहा जाता है ........ किसी के काम ना आ सका तो " धोबी का कुत्ता " ........ देश के नेताओं को " गिरगिट " कहा जाता है ......अरबों - खरबों का घोटाला कर अपने आप को पाक-साफ़ बताने वाले नेताओं को कहा जाता है " सौ सौ चूहे खाके बिल्ली हज को चली " ........... किसी भी स्तर तक गिरने वाले को " सूअर " कहा जाता है ...... तेज दिमाग चलाने वाले को " लोमड़ी " कहा जाता है ! हुडदंग मचाने वाले को " बन्दर " अच्छा गाने वाले को " कोयल " बुरा गाने वाले को कौवा ........ चुस्त , फुर्तीले खिलाड़ियों की तुलना " चीते " से बहादुरों की तुलना " शेर " से की जाती है ! " माँ " की तुलना गौ-माता से की जाती है ...... कभी हम अपनी आस्तीनों में " सांप " पाला करते हैं तो कभी किसी स्त्री को " नागिन " कहते हैं ! आज एक आम आदमी दिन रात गधे-घोड़ों की तरह काम करता है तो कभी मशीन की तरह !
हमारे पास ऐसे हजारों उदाहरण हैं जहाँ इंसानों की तुलना जानवरों और पक्षियों से की जाती है ...... ये बात बिलकुल सही है क्योंकि सभी जानवरों , पशु-पक्षियों के गुण हमारे अन्दर विध्यमान हैं ! सच तो ये है कि , हमारे अन्दर का " इंसान " कुछ लोगों में पूरी तरह तो कुछ में आधा खत्म हो चुका है ! हमारी प्रवत्ति तो जानवरों से भी वद्तर हो गयी है , जब हमारी तुलना जानवरों या अन्य से की जाती है तो ये हमारा अपमान नहीं जानवरों और पशु-पक्षियों का अपमान है ! पिछले कई बर्षों में हम इंसान से जानवर बन गए है , तभी तो आज चारों ओर इंसानियत और मानवता को शर्मसार करने वाले घ्रणित कार्य हो रहे हैं ! जानवरों में कई गुण ऐसे होते हैं जो इंसान के पास है ही नहीं .. और इंसान में इंसानों वाले गुणों का आभाव है !
अब चाहे कोई किसी को शादी का अड़ियल घोड़ा कहे या फिर धोबी का कुत्ता ........ हमें कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि हम इंसान कम जानवरों की खूबियों से पूर्ण इंसान है ! आप क्या सोचते हैं .......?
धन्यवाद
हमारे पास ऐसे हजारों उदाहरण हैं जहाँ इंसानों की तुलना जानवरों और पक्षियों से की जाती है ...... ये बात बिलकुल सही है क्योंकि सभी जानवरों , पशु-पक्षियों के गुण हमारे अन्दर विध्यमान हैं ! सच तो ये है कि , हमारे अन्दर का " इंसान " कुछ लोगों में पूरी तरह तो कुछ में आधा खत्म हो चुका है ! हमारी प्रवत्ति तो जानवरों से भी वद्तर हो गयी है , जब हमारी तुलना जानवरों या अन्य से की जाती है तो ये हमारा अपमान नहीं जानवरों और पशु-पक्षियों का अपमान है ! पिछले कई बर्षों में हम इंसान से जानवर बन गए है , तभी तो आज चारों ओर इंसानियत और मानवता को शर्मसार करने वाले घ्रणित कार्य हो रहे हैं ! जानवरों में कई गुण ऐसे होते हैं जो इंसान के पास है ही नहीं .. और इंसान में इंसानों वाले गुणों का आभाव है !
अब चाहे कोई किसी को शादी का अड़ियल घोड़ा कहे या फिर धोबी का कुत्ता ........ हमें कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि हम इंसान कम जानवरों की खूबियों से पूर्ण इंसान है ! आप क्या सोचते हैं .......?
धन्यवाद
कुत्ता वफादार हो सकता है नेता नही,,,,,
ReplyDeleteRECENT POST: दीपों का यह पर्व,,,
रोचक..
ReplyDeleteहम नेताओं की बातों को ही समाचार क्यों बनाते हैं? क्या देश इन्हीं से चलता है? मीडिया के पास कुछ नहीं है इसलिए यह सारी बकवास सारे दिन चलाते हैं।
ReplyDeleteइससे भारतीय समाज के प्रकृति प्रेम के दर्शन होते हैं :)
ReplyDeleteवाह... बात वही ..पर क्या खूब कही....
ReplyDeleteजानवरों में कई गुण ऐसे होते हैं जो इंसान के पास है ही नहीं .. और इंसान में इंसानों वाले गुणों का अभाव है !
वाकई सच कहा आपने भाई संजय कुमार चौरसिया जी !
रोचक लेख है…
हम इंसान कम जानवरों की खूबियों से पूर्ण इंसान है !
ReplyDeleteकरारा व्यंग....
प्रशंसनीय पोस्ट। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
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ReplyDeletePerfect
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