पेड़ पर चली कुल्हाड़ी
पैरों पर पड़ गई
खुशियाँ मातम में
वदल गई
गलती तो हुई
और उसकी
सजा भी मिली
जो भावात्मक " क्षति " हुई
उसकी पूर्ती क्या
संभव है .....?
नहीं !
अगर हम
अब भी ना चेते
तो शायद
संभलने का
दूसरा मौका ना मिले ......
( गार्गी की कलम से )
धन्यवाद