Monday, June 6, 2011

सब ने चूसा जनता का खून .......>>> संजय कुमार

आज का भगवान पैसा है ! आज का ईमान पैसा है ! आज पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है ! आज पैसों के लिए प्रेम- मोहब्बत , ममता सब कुछ खरीदा जा सकता है यानी पैसे के लिए आज ये भी बिक जाती है ! ईमान , धर्म - मजहब , सच्चाई और न्याय आज इन सबका ईमान सिर्फ पैसा है ! पैसे में आज कितनी ताक़त है इसका अंदाजा हम सभी को अच्छी तरह से है ! पैसा सच को झूंठ , सफ़ेद को काला , सही को गलत , औरत को मर्द और मर्द को औरत बना सकता है ! आजकल ये सब हो रहा है ! आगे भविष्य में इससे भी बढ़कर बहुत कुछ होगा ! पैसे की ताक़त को इस देश में आज बच्चा बच्चा जानता है ! अगर ऐ बात गलत है तो आप किसी भी बच्चे से पूंछ लीजिये , खासकर मध्यमवर्ग से ! पैसे की असली अहमियत तो यही लोग अच्छे से बता सकते हैं ! एक छोटे से ७-८ साल के बच्चे को भी यह बात मालूम होती है , जब उसके स्कूल में उसके मास्टरजी उससे कहते हैं, " जाओ बेटा अपने पिताजी से कहो की स्कूल की फीस जमा कर देवें वर्ना तुम परीक्षा में नहीं बैठ पाओगे " बच्चा समझ जाता है पैसे की अहमियत कितनी है ! तभी तो मास्टरजी पैसे की बात बच्चे को बार - बार याद दिलाते हैं ! पैसे की अहमियत क्या है ? यह बात मैं इसलिए लिख रहा हूँ कि, ऐसा इस देश के कई स्कूलों में होता है और आज हो रहा है ! यह हमारे साथ भी ऐसा ही होता था जब हम एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे ! खासकर प्राइवेट स्कूलों में जहाँ ज्यादातर मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं ! वो परिवार जो सिर्फ दो वक़्त की रोटी बड़ी मुश्किल से जुटा पाते है ! आज देश में सबसे बुरी स्थिती अगर किसी की है तो वो है मध्यमवर्ग की ! जहाँ वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए दिन रात मेहनत करता है , तब जाकर कहीं वह अपना और अपने परिवार का पेट बड़ी मुश्किल से भर पाता है और ऐसे ही लोगों का सामना प्रतिदिन ऐसे लोगों से होता है , जिनकी नज़र में पैसा ही सब कुछ है या मानवता उनके लिये कोई मायने नहीं रखती ! मैंने अक्सर देखा है कि , एक सरकारी डॉक्टर जो बहुत अच्छी वेतन पाता है , लेकिन जब वह अपने घर पर मरीज देखता है तो वह फीस में एक रुपया भी नहीं छोड़ता खासकर गरीब , मजबूर और असहाय लोगों से जिन्हें दवा और इलाज की कहीं ज्यादा आवश्यकता होती है ! क्योंकि यही गरीब और बेबस लोग ही इसके पैसों के लालच को बढ़ावा देते हैं ऐसा करना उनकी मजबूरी होती है क्योंकि हमारे सरकारी अस्पतालों के कामकाज की कार्यप्रणाली किसी से भी छुपी नहीं है ! यहाँ अमीरों को भी लूटा जाता है और यहीं नहीं ऐसा कई जगह होता कोर्ट , पुलिस थाना , तहसील , सरकारी दफ्तर सभी जगह जहाँ पैसों का खेल चलता है मतलब अपना काम अगर जल्दी करवाना हो तो पैसा खिलाओ और अपना काम निकलवाओ , पैसे वाला तो अपनी पहुँच और पहचान का फायदा उठाकर अपना काम निकाल लेता है मगर गरीब का क्या , " गरीब मरता क्या ना करता "! ये वो जगह हैं जहाँ सबसे ज्यादा मध्यमवर्ग और गरीब को लूटा जाता है ! एक मध्यमवर्गीय परिवार अपना पूरा जीवन लगभग सपनों से सहारे ही गुजार देता है ! मेरे पास अपना घर होगा , मेरे पास अपनी गाड़ी होगी , थोडा बैंक बैलेंस होगा , मेरे बच्चे बड़े होकर सरकारी नौकरी करेंगे , नहीं तो डॉक्टर या इंजीनियर ही बन जाएँ वगैरह - वगैरह , और अपना पूरा जीवन इन्हीं सपनों को पूरा करने में निकाल देता है ! बहुत कम लोग ऐसे होते हैं जो सफलता के सबसे ऊंचे पायदान पर पहुँचते है ! एक मध्यमवर्ग परिवार सभ्य समाज में रहते हुए , बहुत कुछ सहते , सुनते हुए अपना जीवन व्यतीत करता हैं ! इस देश में सबसे ज्यादा शोषण , दमन यदि किसी का होता है तो वो होता है आम जनता का ! देश में बड़े-बड़े पदों पर बैठे नेता , सरकारी अधिकारी ,संत्री ,डॉक्टर सभी आम जनता का खून चूसने में कोई कसर नहीं छोड़ते , बस एक बार कोई फस जाए !


" सब ने चूसा जनता खून - कौन गड़रिया छोड़ता किसी भेड़ पर ऊन "


धन्यवाद

10 comments:

  1. जीवन की मूलभूत आवश्यकतायें निशुल्क हों।

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  2. ताकतवर ही जीवित रहता है, यह प्रकृति का नियम है। लेकिन हमने इसके विपरीत एक संस्‍कृति का संवर्द्धन किया और कहा कि कमजोर को भी जीवित रहने का अधिकार है। लेकिन आज हम प्राणी मात्र की सुरक्षा वाली संस्‍कृति को भूलकर प्रकृति के सिद्धान्‍त को मानने लगे हैं और कमजोर को लूट रहे हैं।

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  3. सही लिखा है आपने ..आज के सत्य को परदर्शित करती रचना ! बहुत बढ़िया ! आज के वक़्त में पैसा ही सर्वोपरि हो गया है !
    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है : Blind Devotion - स्त्री अज्ञानी ?

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  4. आपकी बातों से असहमत होना मुश्किल है .

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  5. देश में बड़े-बड़े पदों पर बैठे नेता , सरकारी अधिकारी ,संत्री ,डॉक्टर सभी आम जनता का खून चूसने में कोई कसर नहीं छोड़ते , बस एक बार कोई फस जाए !

    बहुत सही कहा आपने....

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  6. बिलकुल सही लिखा आपने ....

    जनका दायित्व है आम जनता की सेवा का , वही खून चूस रहे हैं ...बस तलाश रहती है मौके की

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  7. यही तो जंगल राज है ! आखिर बिकता कौन है ?

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  8. सही है जी । बेचारा सपने देखते ही मर जाता है

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