कहा जाता है क्षण भर का आवेश और क्रोध इंसान के जीवन-भर को कड़वाहट और दुखों से भर देता है ! शायद ही इस प्रथ्वी पर कोई हो जिसे कभी गुस्सा या क्रोध ना आया हो , इंसान तो क्या भगवान् भी इससे नहीं बच पाए ! क्या कभी आपने सोचा है आपका जरा सा क्रोध किसी की जान भी ले सकता है ! आप अपने क्रोध पर काबू ना पाकर , कई लोगों की जिंदगी में जहर घोल देते हैं ! इतना ही नहीं इस जहर से आप स्वयं भी नहीं बच पाते ! इसीलिए कहा जाता है इंसान के जीवन में सब्र एक महत्वपूर्ण गुण होता है ! जिन लोगों में सब्र की कमी है, जिन्हें जरा - जरा सी बात पर गुस्सा आ जाता है वे कभी अपनी ऊंची मनोकामनाओं को पूरा नहीं कर सकते ! एक प्रतिभाशाली व्यक्ति भी अपने गुस्से के कारण कभी -कभी अपने उद्देश्य से पिछड़ जाता है ! हम लोग आये दिन ऐसी घटनाएं सुनते रहते है या अब ऐसी घटनाएं सुनने की आदत सी हो गयी है ! कहीं कोई किसी की हत्या कर देता है , कोई चोरी कर लेता है , तो कोई किसी को घायल कर देता है ! या फिर पूरा का पूरा परिवार ही खत्म कर देता है ! सिर्फ और सिर्फ आवेश या क्रोध में आकर ! इसका पछतावा इंसान को जब होता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है ! जब एक साधारण इंसान सिर्फ अपने गुस्से के कारण अपराधी बनता है या ऐसा कोई अपराध करता है जिसकी सजा उसे पूरी जिंदगी कैद में रहकर गुजारनी पड़ती है तब जाकर उसे अपनी गलती का अहसास होता है ! किन्तु उसे अपने क्रोध की सजा के रूप में अपनी आजादी , अपना सुख -आनंद एवं शांति तक खोनी पड़ती है ! बहुत से लोग आज अपने क्रोध की सजा काट रहे हैं ! क्रोध में आकर पति, पत्नि पर हाँथ उठा देता है और पत्नि , पति पर हाँथ उठा देती है ! पति-पत्नि में इस तरह कि नौबत पूरे जीवन भर नहीं आणि चाहिए अगर इस तरह कि घटना कहीं हुई है तो उसे भूल जाना ही बेहतर होगा , वर्ना इस बात का गुस्सा या क्रोध जीवन भर एक दोसरे को अन्दर ही अन्दर दीमक कि तरह खता रहेगा ! कभी कभी इन दोनों के क्रोध की सजा बच्चों को भुगतनी पड़ती है ! कई घटनाएँ ऐसी देखि और सुनी कि , पति-पत्नि के झगडे में बच्चों को अपनी जान से हाँथ धोना पड़ा , वो भी सिर्फ क्षणिक गुस्से के कारण ! क्रोध एवं आवेश का सीधा असर आज वैवाहिक जीवन पर पड़ रहा है ! कभी - कभी बात इतनी बड़ जाती है की नौबत तलाक तक आ जाती है ! ऐसे कई मामले हमने देखे हैं जहाँ छोटी सी बात पर सब कुछ तबाह हो गया ! आज हम लोग व्यर्थ का गुस्सा कर अपना जीवन तबाह कर रहे हैं ! हम लोग क्रोध में आकर अपनों को अपमानित करने से भी नहीं चूकते , क्या ये सही है ? ऐसा नहीं है की गुस्सा सिर्फ अनपढ़ और नासमझ को ही आता है बल्कि पढ़ा -लिखा और समझदार इंसान भी अपने गुस्से और क्रोध पर नियंत्रण नहीं रख पाता ! आज कल बड़े बड़े ऑफिस - कार्यालयों में काम करने बाले ऊंचे पदों पर वैठे अधिकारी और कर्मचारी भी गलतियाँ करते हैं ! कई बार एक बड़े अधिकारी को अपने गुस्से के कारण अपना पद तक छोड़ना पड़ा ! कई बार बड़े बड़े दूकानदार भी अपने विचार औरों पर थोपने के कारण अपना धंधा तक चौपट कर बैठते हैं ! कभी- कभी बात इतनी बड़ जाती है की गालियाँ और मारपीट तक हो जाती है ! उसके बाद क्या होता है ? यह बात हम सब अच्छी तरह जानते हैं और यह बात जानता है क्रोध करने बाला भी, फिर भी क्रोध करता है ! कभी - कभी ईर्ष्या , द्वेष एवं प्रतिशोध की भावनाएं भी क्रोध का एक बहुत बड़ा कारण होती हैं ! आज तक बड़ी-बड़ी लड़ाईयां , झगडे , दुर्घटनाओं का कारण इंसान का क्रोध ही रहा है !
यह एक सच है जिसे हम जानते हैं पर मानते नहीं कि , क्रोध इंसान को चाट जाता है अन्दर तक खोखला कर जाता है ! आज इंसानों को होने बाली बड़ी-बड़ी बीमारी का कारण कहीं ना कहीं क्रोध और गुस्सा है ! आज के युग में स्वार्थ भी क्रोध का एक बड़ा कारण है ! एक बार गुस्सा होने पर एवं क्रोध दिखाकर हमारा मन बहुत समय तक अशांत एवं व्यथित रहता है !
आज इंसान, इंसान ना होकर एक मशीन बन गया है जिस तरह मशीन के दिल और भावनाएं नहीं होती ठीक उसी प्रकार आज का इंसान भी अन्दर से खोखला और बेजान हो गया ! सब्र का दूर - दूर तक नामोनिशान नहीं ! अपनत्व कि कमी भाईचारा क्या होता है ? कब का भूल गए ," जीवन कि आपाधापी " में ऐसे लगे हैं, चौबीस घंटे काम और सिर्फ काम अब ना दिन की खबर ना रात का पता ! एक तो परिवार के लिए समय नहीं उस पर काम का बोझ , ऑफिस का तनाव फिर क्रोध और गुस्सा , आखिर इंसान करे तो क्या करे .........सिर्फ गुस्सा ही कर सकता है !
क्या आपने भी कभी अपने जीवन में क्रोध एवं गुस्सा किया है , या कभी कोई ऐसा काम किया जिस पर आपको कोई पछतावा हुआ हो ........ यदि है तो बताएं ...... यदि नहीं , तो अपने जीवन में पूरी कोशिश करें या अपने आप से वादा करें कि , कभी भी क्रोध एवं गुस्से में आकर कोई गलत कदम नहीं उठाएंगे .........
धन्यवाद
यह एक सच है जिसे हम जानते हैं पर मानते नहीं कि , क्रोध इंसान को चाट जाता है अन्दर तक खोखला कर जाता है ! आज इंसानों को होने बाली बड़ी-बड़ी बीमारी का कारण कहीं ना कहीं क्रोध और गुस्सा है ! आज के युग में स्वार्थ भी क्रोध का एक बड़ा कारण है ! एक बार गुस्सा होने पर एवं क्रोध दिखाकर हमारा मन बहुत समय तक अशांत एवं व्यथित रहता है !
आज इंसान, इंसान ना होकर एक मशीन बन गया है जिस तरह मशीन के दिल और भावनाएं नहीं होती ठीक उसी प्रकार आज का इंसान भी अन्दर से खोखला और बेजान हो गया ! सब्र का दूर - दूर तक नामोनिशान नहीं ! अपनत्व कि कमी भाईचारा क्या होता है ? कब का भूल गए ," जीवन कि आपाधापी " में ऐसे लगे हैं, चौबीस घंटे काम और सिर्फ काम अब ना दिन की खबर ना रात का पता ! एक तो परिवार के लिए समय नहीं उस पर काम का बोझ , ऑफिस का तनाव फिर क्रोध और गुस्सा , आखिर इंसान करे तो क्या करे .........सिर्फ गुस्सा ही कर सकता है !
क्या आपने भी कभी अपने जीवन में क्रोध एवं गुस्सा किया है , या कभी कोई ऐसा काम किया जिस पर आपको कोई पछतावा हुआ हो ........ यदि है तो बताएं ...... यदि नहीं , तो अपने जीवन में पूरी कोशिश करें या अपने आप से वादा करें कि , कभी भी क्रोध एवं गुस्से में आकर कोई गलत कदम नहीं उठाएंगे .........
धन्यवाद
jaroori vishay par likha gaya ek paripakv aalekh..
ReplyDeleteसंजय जी पहले इस विषय के बारे में विचार करने का मन है ..फिर सोचते हैं टिप्पणी के बारे में ...आपका आभार
ReplyDeleteसच कह रहे हैं, क्रोध करने वाले को भस्म कर देता है।
ReplyDeleteहाँ, वादा रहा.
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया आलेख.
सलाम
सही कह रहे हो ! शुभकामनायें
ReplyDeleteक्रोध के कारणों व उससे होने वाले नुकसान को दर्शाता एक सटीक आलेख....किया है मैने ....काश की समय रहते क्रोध के आवेश को रोका जा सकता...
ReplyDeleteपर अब नहीं ...वादा...
क्रोध यूँ भी सोचने समझने की शक्ति खत्म कर देता है...उम्दा आलेख.
ReplyDeleteभाई संजय जी ,
ReplyDeleteआपका लेख बहुत ही सुन्दर , प्रेरक एवं जीवनोपयोगी है |
सार्थक लेखन के लिए बधाई
हर व्यक्ति अपने जीवन में आवेश में आकर कोई न कोई गलत कदम उठा ही लेता है और बाद में पछताता है। यही एक मानवीय प्रवृत्ति है, जिससे बचा नहीं जा सकता।
ReplyDelete---------
पुत्र प्राप्ति के उपय।
क्या आप मॉं बनने वाली हैं ?
सराहनीय आलेख।
ReplyDeleteप्रभावकारी लेखन के लिए बधाई।
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सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
संजय जी ,
ReplyDeleteआपका लेख बहुत ही सुन्दर.....जीवनोपयोगी
सार्थक लेखन
आज इंसान, इंसान ना होकर एक मशीन बन गया है जिस तरह मशीन के दिल और भावनाएं नहीं होती ठीक उसी प्रकार आज का इंसान भी अन्दर से खोखला और बेजान हो गया !
ReplyDelete......सच कह रहे हो संजय जी