हमारे यहाँ एक बहुत पुरानी कहावत है ..... " जो पकड़ा गया वो चोर है ....और जो ना पकड़ा वो .... पता नहीं .... शायद इसी तरह की कोई कहावत है ........ ये बात मैं इसलिए कह रहा हूँ कि , क्योंकि मैं यहाँ ऐसे प्रेमियों का जिक्र कर रहा हूँ ... जो लुक-छिप कर प्रेम करते है और इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं कि , कोई उन्हें ऐसा करते देख ना ले..... वर्ना ... वर्ना बहुत कुछ हो जाता है ...... जो नहीं पकड़े जाते या नहीं पकड़े गए वो प्रेमी और जो पकड़ा गया वो कहलाया मंजनू ..... अरे बही लैला का मंजनू ..... माफ़ कीजिये आजकल मंजनू - बंजनु वाली बात कोई नहीं करता ... क्योनी आजकल प्रेम करने के तरीके जो बदल गए हैं .. खैर हम मुद्दे की बात पर आते है ... आज का मुद्दा है हमारे देश के सड़क छाप मंजनू ..
मंजनू , नाम सुनते ही किसी सड़क छाप आशिक का ख्याल हमारे मन में आता है ! वह युवा (लड़का ) जो आपको सड़कों पर आवारागर्दी करते नजर आते हैं , बेलगाम , लापरवाह और माँ-बाप की बातों को अनसुना करने वाले अपनी मस्ती में मस्त लड़के , इन्ही में से ही ज्यादा संख्या में सड़क छाप मंजनू भी होते हैं ! हिन्दुस्तान में हजारों किस्से कहानियां भरे पड़े हैं इन मजनुओं और इनकी प्रेम कहानी से उदहारण ... जैसे लैला-मंजनू , सोहनी-महिवाल , हीर-राँझा और भी बहुत हुए हैं , लेकिन हिंदुस्तान में तो यही ज्यादा Famous हैं , और इन्ही को लेकर आज के कई युवाओं को ये मंजनू नाम दिया जाता है ! ये मंजनू आपको हर देश में मिलेंगे , किन्तु भारत में इनकी संख्या लाखो-करोड़ों में है ! ये आपको कहीं भी , कभी भी देखने को मिल जायेंगे , स्कूल, कॉलेज , पिकनिक स्थल , शादी-पार्टी , मेले , पार्क, ट्यूशन के अन्दर कोचिंग के बाहर, लगभग सभी जगह ! आजकल नवरात्र का त्यौहार चल रहा है तो इनकी संख्या वर्तमान में ज्यादा हो जाती है ! इस देश में कई स्पॉट तो ऐसे हैं जो इन मंजनुओं के कारण ही प्रसिद्ध हैं ! लेकिन एक जगह और है जहाँ आजकल इनकी संख्या आम जगह से कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रही है , और वो जगह है " मंदिर " जी हाँ यह बात बिलकुल सही है , आज कल हमारे देश में " नवरात्री " गरबा " का त्यौहार पूरे जोर-शोर से मनाया जा रहा है . और इन्ही मंदिरों की आड़ में आज इन मंजनुओं का प्रेम , परवान चढ़ रहा है ! क्योंकि ये तो वो जगह है , जहाँ किसी के भी आने-जाने पर कभी कोई पावंदी और रोक-टोक नहीं होती ! मंदिरों पर जब ऐसे युवा ( मंजनू- टाइप ) आते है और सुबह - शाम दोनों वक़्त आते हैं , तो हमें लगता है कि , माता की भक्ति के लिए आया है , किन्तु आप अगर गौर से देखें तो आप महसूस करेंगे , की इनकी नजरें किसी ना किसी लैला की तलाश में होती हैं ! " काश यहाँ तो कोई हमें लाइन दे दे और हमारी भी फिल्मों के जैसे "लव-स्टोरी " बन जाये ( मन में इस तरह के ख्याल उमड़ना कोई नयी बात नहीं ... ये उम्र ही ऐसी है ) ! आजकल मंदिरों पर जरुरत से ज्यादा भीड़ होती है और इसी भीड़ में होते हैं मंजनू , पाकेटमार और भगवान् के सच्चे भक्त .... कुछ ऐसे भी युवा इन दिनों में इन मंदिरों पर आते -जाते हैं , जिनका ना तो ईश्वर भक्ति और मंदिरों से दूर दूर तक कोई लेना देना होता है ! कुछ ऐसे भी इन मंदिरों पर देखने को मिल जायेंगे जो शायद कहीं और मंजनू गिरी करने और अपनी प्रेमिकाओं से मिलने से घबराते हैं , किन्तु यहाँ पर बड़ी आसानी से मिल लेते हैं वो भी बिना रोक-टोक और बिना किसी के शक किये हुए ! सभी मंजनुओं के लिए ये नवरात्र के नौ दिन बहुत मायने रखते हैं ! जितना इन्तजार इनको अपनी परीक्षाओं का नहीं रहता उससे कहीं ज्यादा इन्तजार इनको इन दिनों का रहता है ! ( विशेष शारदीय नवरात्र का )
मेरा ऐसा मानना है ... कुछ भी हो कम से कम हमारा आज का भटका हुआ युवा किसी बहाने से मंदिर तो जाता है ! भगवान् के सामने शीश तो झुकाता है ! वर्ना आज का युवा तो अपनी मस्ती में ही मस्त है ! आज का ज्यादातर युवा अपने आस-पास के माहौल और समाज की गतिविधियों से बहुत दूर हैं ! आज के युवा एक ऐसे दुनिया में जीते है जहाँ ना तो प्रेम - स्नेह, संस्कार और अपनेपन का कोई महत्त्व है क्योंकि आज देश में " रेव पार्टियाँ " रेन डांस " और " पव "कल्चर का चलन तेजी से बढ़ रहा है ! ऐसे युवाओं ने ना तो अपने जीवन में कोई सिद्धांत बनाये हैं और ना ही कोई लक्ष्य ! बस चकाचौंध भरी दुनिया को ही अपना भविष्य समझ रहे हैं ! इस चकाचौंध भरी दुनिया में कई युवा अपना भविष्य भी बिगाड़ रहे हैं ! सिगरेट , शराब , शबाब , ड्रग्स और अन्य नशीली बस्तुएं आज इनके मुख्य शौक के रूप में हमारे सामने आ रहे हैं ! यह बात अब छोटे - छोटे गाँव , कस्बों , शहरों और महानगर में किसी संक्रामक बीमारी के जैसे फ़ैल रही है , या फ़ैल चुकी है !
हमें ध्यान देना होगा अपने बच्चों पर की आज वह क्या कर रहे हैं ? किस हालात में जी रहे हैं ? उन्हें क्या चाहिए ? और उन्हें हम क्या दे रहे हैं ? या उन्हें क्या मिल रहा है ? आज हम ऐसे युग में जी रहे हैं जहाँ सच्चा प्रेम कम ही देखने को मिलता है ! यदि आपके बच्चे किसी से सच्चा प्रेम करते हैं और यदि आपको लगता है कि , आपके बच्चों का भविष्य सुरक्षित हांथों में है ! तो अंतिम निर्णय आपका होगा !
मेरी इस बात से कई सड़क छाप मंजनू मुझे गलियां भी देना चाह रहे होंगे , किन्तु में खुश हूँ , कि कभी हम भी उनकी तरह मदिरों पर किसी लैला की तलाश में गए थे ! वहां लैला तो नहीं मिली , परन्तु ईश्वर का आशीर्वाद जरूर मिला !
जय माता दी ............ जय माता दी .............जय माता दी ..........जय माता दी
धन्यवाद
संजय कुमार