
हिन्दू पंचांग के आश्विन माह की नवरात्रि शारदीय नवरात्रि कहलाती है। विज्ञान की दृष्टि से शारदीय नवरात्र में शरद ऋतु में दिन छोटे होने लगते हैं और रात्रि बड़ी। वहीं चैत्र नवरात्र में दिन बड़े होने लगते हैं और रात्रि घटती है, ऋतुओं के परिवर्तन काल का असर मानव जीवन पर न पड़े, इसीलिए साधना के बहाने हमारे ऋषि-मुनियों ने इन नौ दिनों में उपवास का विधान किया।संभवत: इसीलिए कि ऋतु के बदलाव के इस काल में मनुष्य खान-पान के संयम और श्रेष्ठ आध्यात्मिक चिंतन कर स्वयं को भीतर से सबल बना सके, ताकि मौसम के बदलाव का असर हम पर न पड़े। इसीलिए इसे शक्ति की आराधना का पर्व भी कहा गया। यही कारण है कि भिन्न स्वरूपों में इसी अवधि में जगत जननी की आराधना-उपासना की जाती है।नवरात्रि पर्व के समय प्राकृतिक सौंदर्य भी बढ़ जाता है। ऐसा लगता है जैसे ईश्वर का साक्षात् रूप यही है। प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ वातावरण सुखद होता है। आश्विन मास में मौसम में न अधिक ठंड रहती है न अधिक गर्मी। प्रकृति का यह रूप सभी के मन को उत्साहित कर देता है । जिससे नवरात्रि का समय शक्ति साधकों के लिए अनुकूल हो जाता है। तब नियमपूर्वक साधना व अनुष्ठान करते हैं, व्रत-उपवास, हवन और नियम-संयम से उनकी शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक शक्ति जागती है, जो उनको ऊर्जावान बनाती है।इस काल में लौकिक उत्सव के साथ ही प्राकृतिक रूप से ऋतु परिवर्तन होता है। शरद ऋतु की शुरुआत होती है, बारिश का मौसम बिदा होने लगता है। इस कारण बना सुखद वातावरण यह संदेश देता है कि जीवन के संघर्ष और बीते समय की असफलताओं को पीछें छोड़ मानसिक रूप से सशक्त एवं ऊर्जावान बनकर नई आशा और उम्मीदों के साथ आगे बढ़े।
इस देश के सबसे बड़े नौ राक्षस
इस बार नवरात्री पर माता रानी से विनती है कि , जिस तरह आपने अनेकों दुष्ट राक्षसों का अंत कर आपने हम मानवों की रक्षा की थी ठीक उसी प्रकार आज के अनेक दानवों , राक्षसों से हमारी रक्षा करें जिनके प्रतिदिन के प्रहार से मानवजाति आज पीड़ित है ! नवरात्र के नौ दिनों में मातारानी इस देश से नौ राक्षसों का अंत कर इस देश की आम जनता का भला कर उनकी सम्रद्धि का मार्ग प्रशस्त करें ! पाप - अत्याचार - बुराई ( ये राक्षस आज घर घर में पाए जाते हैं ) , गरीबी ( आज का सबसे बड़ा अभिशाप ) , बेरोजगारी ( गरीबी की सबसे बड़ी बजह ), मेंहगाई ( आज की मेंहगाई ने अच्छे अच्छों को गरीबों की श्रेणी में ला दिया ) , बेईमानी ( देश में इतने बेईमान हैं कि ईमानदारों को ढूँढना पड़ता है ) , हिंसा ( जब से हमारे अन्दर का सब्र खत्म हुआ तब से ये राक्षस पैदा हुआ ) , घोटाले ( अब तो ऐसा लगता है कि , इंसान का जीवन तो सिर्फ और सिर्फ घोटाले करने के लिए ही हुआ है ) , आतंकवाद ( ये राक्षस सिर्फ बेक़सूर और मासूम लोगों की जान लेता है ) , नक्सलवाद ( शायद अपने लोगों के द्वारा ही फैलाया गया या बनाया गया राक्षस है जो अब अपनों को ही मार रहा है ) अंत में नौंवा और सबसे बड़ा राक्षस अगर हम इसे पहला और इन सभी का मूल कारण कहें तो गलत नहीं होगा ! क्योंकि आज देश में चारों ओर फैली अराजकता का कारण यही है जिसे हम " भ्रष्टाचार " के नाम से जानते हैं ! आज के इस राक्षस को हम " रक्तबीज " नाम के राक्षस की तरह ही देखते हैं .. जिस प्रकार रक्तबीज के ऊपर प्रहार करने पर उसके रक्त की बूँदें जहाँ - जहाँ जिस जगह गिरती थीं वहां उतने ही रक्तबीज और पैदा हो जाते थे ! ठीक बैसे ही ये भ्रष्टाचार नाम का राक्षस जहाँ - जहाँ जाता है वहां उससे कहीं और अधिक भ्रष्टाचारी पैदा हो जाते हैं ! इस राक्षस नंबर एक ने आज पूरे देश को तबाह और बर्बाद कर दिया है यदि इसका अंत हो गया तो ये मान लीजिये सब अपने आप खत्म हो जायेगा ! अब जल्द से जल्द इस राक्षस का अंत होना चाहिए .........
जय मातादी ............. जय मातादी ...................... जय मातादी
धन्यवाद
सच कहा आपने, इनका संहार ही प्राथमिकता हो...नवरात्रि की शुभकामनायें।
ReplyDeletesarthak post...jai mata di....
ReplyDeletebilkul sach.. inka sanhar ho jaye fir baat bane...
ReplyDeletejai mata di..
बहुत अद्भुत अहसास...सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी
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ReplyDeleteइनका संहार ही प्राथमिकता से होना ही चाहिए...
ReplyDeleteआपको नवरात्रि की बहुत२ शुभकामनायें,,,,,
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आमीन --- जय मातादी .........
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