Sunday, August 29, 2010

भगवाधारी या खादीधारी ...>>> संजय कुमार

आज इस देश में दो लोग चल रहे हैं, या यूँ कह सकते हैं आज देश यही चला रहे हैं ! जब इस देश के बड़े-बड़े राजनीतिज्ञ, मंत्री-संत्री, और नेतागण आज के महान और पहुंचे हुए भगवाधारियों के श्री चरणों में नतमस्तक होते हैं तो वह अपने आपको बड़ा धन्य सा महसूस करते हैं , जिससे भगवाधारियों की महानता और बढ जाती है ! लेकिन राजनीति में सब कुछ हो सकता है, सब कुछ जायज है ! फिर चाहे देश के गृहमंत्री श्री चिदंबरम साहब देश के भगवाधारियों को आतंकवादी ही क्यों ना कह दें देश में भगवा आतंकवाद अपना सर उठा रहा है ! भगवाधारी, आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होकर देश के साथ दगा कर रहे हैं ! अब आप लोग ही बताएं कि कौन है जिम्मेदार इस देश में आतंकवादी घटनाओं का !आज इस देश को भगवाधारी और खादीधारी दोनों मिलकर लूट रहे हैं !...इस देश के नेता और भगवाधारी इस देश को एक दिन पूरी तरह खोखला कर देंगे ! और इस देश में रह जायेगी सिर्फ गरीब जनता लुटी-पिटी और बदतर हालात में जीती हुई !

आज देश में होने वाली हर आतंकवादी घटना के पीछे हमारे देश की राजनीति है ! देश में नक्सलवाद की समस्या के पीछे खादीधारी हैं, देश में बड़े-बड़े घोटाले, भ्रष्टाचार इन सबके पीछे खादीधारी, देश में गरीबी, बेरोजगारी, भुखमरी, कुपोषण, लूट-पाट इन सबके पीछे खादीधारी है , इन खादीधारियों की बदौलत ना जाने कितने युवा आज आतंकवादी बनने को तैयार हैं ! कितने ही ईमानदार अफसर इन लोगों की वजह से बेईमानी करने पर मजबूर होते हैं ! एक साफ़ स्वच्छ छवि का व्यक्ति भी इनकी सोहबत में रहकर दागदार बन जाता हैं ! देश व्यापी आतंकवाद के पीछे सिर्फ और सिर्फ देश का खादीधारी ही जिम्मेदार है ! असली आतंकवादी यही हैं , और इस बात को पूरा देश मानता है !

माना जाता है कि एक भगवाधारी को अपने जीवन में किसी भी सांसारिक चीज का मोह नहीं होता ! ऐशोआराम, रूपए-पैसे का लालच कभी नहीं आता ! ( यह बात सतयुग में सच लगती थी किन्तु कलियुग में नहीं ) उसका काम भटके हुए लोगों को सही रास्ता दिखाना होता है ! जहाँ देश व्यापी स्तर पर खादीधारी देश को लूट रहे हैं , वहीँ आज सामाजिक स्तर पर यह भगवाधारी लूट रहे हैं ! आज देश में आम जनता की कड़ी मेहनत का पैसा इन भगवाधारियों की तिजोरियां भर रहा हैं ! कभी धर्म के नाम पर, आपस में भाइयों को लड़वाकर ! अब तो यह भगवाधारी जिस्मफरोशी के धंधे में उतर गए है ! और समाज को गन्दा और बर्बाद कर रहे हैं ! कई युवाओं को राह से भटकाकर इस धंधे में उतार रहे हैं ! समाज के सबसे बड़े आतंकवादी तो यही हैं ! जो घर- घर में आतंकवाद फैला रहे हैं ! यही भगवाधारी कहते हैं कि आज की राजनीति बहुत गन्दी और भ्रष्ट हैं ! लेकिन स्वयं के कितने गंदे विचार और भ्रष्ट हो चुके हैं ! यह नहीं बताएँगे ! चाहे खादीधारी हो या भगवाधारी , दोनों अपने अपने तरीके से आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं ! देश के सबसे बड़े आतंकवादी यही हैं ..............

एक आतंकवादी जब कहीं विस्फोट करता है तो एक बार में ही इन्सान की जान ले लेता है ! किन्तु देश के भगवाधारियों और खादीधारियों द्वारा फैलाये आतंकवाद से आज का
इन्सान रोज मरता है !

धन्यवाद


Thursday, August 26, 2010

आंकड़ों में उलझती जिंदगी, और कमजोर होती याददाश्त .....>>> संजय कुमार

क्या आपको कभी शर्मिंदगी उठानी पड़ी ? जब किसी ने आपसे आपका मोबाईल नंबर माँगा हो और आप अपना ही मोबाईल नंबर भूल गए हों ! आज कल अक्सर ऐसा देखा जाता हैं ! जब से आधुनिकता का रंग हमारे ऊपर चढ़ा तब से हम किसी काम के नहीं रहे, उस पर हम सब के ऊपर फैला आंकड़ों का ऐसा जाल जिसमें इन्सान उलझ कर रह गया ! एक इन्सान के पास आज इतने नंबर होते हैं, कि उसे यह भी ध्यान नहीं होता कि किस का नंबर क्या है ! बस यह कह देता है कि, मुझे तो अपना नंबर तक याद नहीं मेरे पास तो इतने नंबर और E-mail ID हैं जिनके पासवर्ड तक में याद नहीं रख पाता ! मैं क्या करूँ लगता है मैं अब सब कुछ भूलने लगा हूँ ! अगर मैं यह सब कहीं डायरी में लिखकर न रखूँ तो पता नहीं क्या होगा ? यह आम बात नहीं यह तो आदत बन गयी है अब ! कई बार ऐसा होता है आपका चश्मा आपकी आँखों पर चढ़ा होता है , और आप उसे यहाँ-वहां ढूंढते रहते है ! आज बात कर रहा हूँ इन्सान के आस-पास बेतरतीब से फ़ैले हुए नंबरों के जाल की जिसमें इन्सान की जिन्दगी उलझ के रह गयी है ! आज इन्सान कितनी भी कोशिश करे इनके जाल में फंस कर ही रहता है ! एक इन्सान क्या क्या याद रखे उसे खुद को पता नहीं होता ! ना जाने कितने ही मोबाईल नंबर, खाता नंबर , जन्म-दिन, शादी की सालगिरह, ATM PASSWORD, E-MAIL ID और पासवर्ड, इतना बड़ा नंबरों का जाल हैं ! जिसे याद रखना आजकल बहुत ही मुश्किल काम हैं ! सब कुछ याद रखना असंभव है !

यहाँ मैं अपनी बात नहीं कर रहा हूँ ! ईश्वर के आशीर्वाद से मेरी याददाश्त अभी तक अच्छी है और आगे भी रहे ऐसी मैं कोशिश करता हूँ ! क्या करूँ ये सब तो मेरे जीवन का हिस्सा हैं ! मैं बात कर रहा हूँ आज के उन सभी लोगों की जो भूलने की आदत से मजबूर हैं और याद नहीं रख पाते या निर्भर हैं दूसरों पर ! एक समय था जब इन्सान के पास आज के आधुनिक साधन या उपकरण नहीं थे ! क्या उस समय इन्सान ज्यादा सुखी था ? या आज के आधुनिक समय में जहाँ इन्सान की जरूरत से कहीं ज्यादा आधुनिक साधन उपलब्ध हैं! जिन पर इन्सान जरूरत से ज्यादा निर्भर हैं ! इस बात का अनुमान हम आज के इन्सान को देखकर ही लगा सकते हैं ! आज जिसे देखो हर समय अपने आप में गुमसुम, बेचैन, हैरान- परेशान और अनेकों बीमारियों से ग्रसित, कभी हार्ट-अटैक कभी ब्लड प्रेशर , कभी ये कभी वो , आज का इन्सान बन कर रह गया बस बीमारियों का पुतला ! आज का इन्सान जरूरत से ज्यादा तनावग्रस्त है ! इसलिए इन बीमारियों का कब्ज़ा इन्सान के ऊपर जल्द हो जाता है ! इन सब से ज्यादा बड़ी एक बीमारी है और वह है भूलने की ! अब यह बीमारी इन्सान की एक आदत बन गयी है ! इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण तो इन्सान स्वयं ही है ! आज इन्सान ने ही इस बीमारी को जन्म दिया है ! ऐसा नहीं कि पहले के लोग इस बीमारी से परेशान नहीं थे ! लेकिन यह आदत बहुत कम लोगों में पाई जाती थी ! कारण था उस समय इन्सान सिर्फ अपने ऊपर निर्भर था, जो इन्सान अपने ऊपर निर्भर रहता है वह जीवन में कम परेशान रहता है ! किन्तु आज का इन्सान अपने ऊपर बिल्कुल भी निर्भर नहीं हैं, अगर निर्भर है तो आज के आधुनिक साधनों पर, जो इन्सान को अन्दर से बहुत कमजोर कर रहे हैं ! क्या आप कमजोर तो नहीं हैं ?

क्या आप सबकुछ याद रखते हैं ? क्या आपको भूलने की आदत तो नहीं ?

धन्यवाद

Friday, August 20, 2010

हिंसक होता हमारा भविष्य.................एक विचारणीय मुद्दा .......>> संजय कुमार

कहा जाता है ---हमारे बच्चे और आज का युवा इस देश का भविष्य हैं आज की यही युवा पीढ़ी देश के स्वर्णिम भविष्य का निर्माण करेगी , क्योकि युवा जोश से भरा होता है ... यह कितना सच है - कहना बहुत मुश्किल है ! क्योंकि आज हमारा भविष्य कहाँ है, आज हमारा भविष्य क्या कर रहा है ? यह बात किसी से छुपी नहीं है ! , आज का युवा अपने लक्ष्य से पूरी तरह भटका हुआ है, और इस भटकाव के कारण हिंसक प्रवृति का होता जा रहा है ! और यही हिंसा उसे गलत राश्ते पर ले जा रही है ! आज हमारा युवा किस ओर जा रहा है--यह बहुत ही विचारणीय मुद्दा है !आज के हिंसक युवा ना तो रिश्ते नातों को मानते हैं और ना हीं उनके महत्व को ! आज देश में जितनी भी हिंसात्मक घटनाएं हो रही हैं उनमें ज्यादातर हिस्सेदारी हमारे युवाओं की होती है ! आज बहुत सी ऐसी घटनाएँ सुनने में आ रही है, जो यह बताती है कि आज का युवा दिन-प्रतिदिन हिंसक होता जा रहा है ! किसी कॉलेज में अपने ही सहपाठियों पर एक छात्र द्वारा अंधाधुंध गोलीबारी, किसी स्कूल में बात बात पर एक छोटे से बच्चे द्वारा दूसरे बच्चे पर बन्दूक चला देना ! इस तरह की घटनाएं अब आम हो गयी हैं !

उत्तर-प्रदेश, मध्य-प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और बड़े बड़े महानगरों में, छोटे बड़े अपराध करने वालों में आज देश का युवा बढ-चढ़कर हिस्सा ले रहा है ! देश के असामाजिक तत्व हिंसक घटनाओं में, भटके हुए युवाओं का पूरी तरह इस्तेमाल कर रहे हैं , टेलीविजन पर बढ़ते हिंसक सीरियल , और हिंसक फ़िल्में देखकर भी युवाओं में हिंसक मनोवृति जन्म ले रही है ! आज ज़रा सी बात पर हिंसक होते युवा, सारे रिश्ते-नाते ताक पर रख अपनों का खून बहा रहे हैं ! माँ-बाप, भाई-बहन उनके लिए आज कोई मायने नहीं रखते (ऑनर-किलिंग ) जैसे मामलों में अक्सर यह देखा गया है --- हिंसा पर उतारू भाई ने ले ली अपनी ही बहन की जान !बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, घूसखोरी जैसे और भी बहुत से कारण हैं जो आज के युवा को हिंसक बना रहे हैं ! आज के दूषित वातावरण में कई युवा ऐसे हैं जिन्हें घुटन महसूस होती हैं ! आज के माहौल को देखकर युवा जल्द ही अपना सब्र खो देता है और कभी कभी हिंसा करने पर मजबूर हो जाता है ! आज महात्मा गाँधी के आदर्शों को मानने वालों की कमी है ! आज का युवा --- थप्पड़ का जबाव थप्पड़, खून के बदले खून, इस तरह के आदर्श अपने मन में बनाये बैठा है !

आज देश में जो अफरा-तफरी का माहौल है उसे देखकर नहीं लगता कि आज के युवा उन आदर्शों पर चलेंगे जहाँ हर समस्या का समाधान हिंसा नहीं है ! अहिंसा से भी समस्या का समाधान हो सकता है ! अगर आज युवाओं ने नहीं सोचा तो हम सबका भविष्य हिंसा से भरा होगा ,एक चिंताजनक और भयावह स्थिति ..................... हिंसक होता हमारा भविष्य .........

धन्यवाद

Monday, August 16, 2010

खेल खेल में, पैसों का खेल ....>>> संजय कुमार

भारत देश एक खेल प्रधान देश है ! यहाँ पर अनेक तरह के खेल, खेले जाते हैं ! क्रिकेट, हॉकी, फुटबाल, टेनिस और भारतीय परम्परावादी खेल जैसे खो-खो और कबड्डी ! भारतीय परम्परावादी खेलों का तो आज जैसे अस्तित्व ही खत्म हो गया ! क्योंकि, एक तो इनको लोकप्रियता नहीं मिली और ना ही बढ़ावा ! और आज रह गए बही खेल जिन्दा जहाँ सिर्फ पैसे की भरमार होती है ! पैसा भी जो खेल खेलने पर मिलता है और ना खेलने पर भी ! अरे भई .... आज हर जगह पैसे का बोलबाला है ! जब से खेलों में राजनीति का हस्तक्षेप हुआ तभी से खेलों का बंटाधार हो गया ! क्योंकि आज राजनीति पैसा कमाने का सबसे सरल और आसान तरीका बन गया है ! फिर चाहे खेल संघ के उच्च पदों पर बैठे हुए लोगों को २०-२५ साल हो गए हों ! मजाल है किसी की जो उनको उनके पदों से हटा सके ! इतने सालों के लम्बे अनुभव का आज पूरी तरह फायदा जो उठा रहे हैं ! इन खेलों के जरिये पैसों का खेल जो खेल रहे हैं !

आज देश में ऐसा कोई खेल नहीं बचा जिसमे पैसों का खेल ना खेला जाता हो ! क्रिकेट में तो पैसा पानी की तरह बरसता है ! इस खेल में तो खेलने बाला और खिलाने ( आयोजक ) बाला, दोनों जमकर पैसा कमाते हैं ! आज तरह तरह के आयोजन (IPL) करके सिर्फ पैसों का खेल चल रहा है ! अब इस खेल में भी भ्रष्टाचार अपनी पकड़ बना रहा है ! आज खेल एक बड़ा व्यापार बनकर हम सबके सामने उभरकर आया है ! जहाँ ज्यादा पैसा बही खेल सबसे ज्यादा ऊपर ! आज विश्व के सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड में भारत का नाम अब्बल नम्बर पर है ! भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी आज भी इंतजार कर रहा है अपने देश में बह मुकाम पाने, जो अन्य खेलों का है, खासकर क्रिकेट का ! इसके पीछे भी पैसे का खेल चल रहा है ! इस हॉकी संघ के अध्यक्ष को पिछले १ दशक से भी ज्यादा हो गए इस पद पर डटे हुए ! लम्बे समय तक ऐसे पदों पर बैठा होता है बह ऐसे खेलों में पैसे का खेल, खेलने में माहिर हो जाता है ! और खेल खेलने बाले खिलाडी पीछे और सिर्फ पीछे ...........

जब किसी देश में कोई अंतर्राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होता हैं ! तो उस देश के लिए यह बड़े गर्व की बात होती है ! बह देश अपने आप को धन्य समझता है ! वहां का हर नागरिक अपने आपको गौरवान्वित मससूस करता है ! आज हमारे देश में भी राष्ट्र को गौरवान्वित करने बाला आयोजन हो रहा हैं ! किन्तु इस आयोजन के होने से आज देश का हर नागरिक अपने आप में शर्म महसूस कर रहा है ! क्योंकि इसके आयोजन कर्ताओं ने इस आयोजन को पूरी तरह से पैसे का खेल बना दिया हैं ! आज इस खेल को अब तक का सबसे भ्रष्ट आयोजन का, खेल के रूप में जाना जायेगा ! जिसमे आम जनता का विश्वास इन खेलों का आयोजन कराने बालों से पूरी तरह उठ गया है ! क्योंकि आज देश में खेलों के नाम पर चल रहा है तो सिर्फ पैसों का खेल .............. और पैसों के खेल में आज खेल और खिलाडी अपना असली खेल, खेलना भूल गए .......................

बंद करो यह पैसों का खेल वर्ना......... भविष्य में चलेगा सिर्फ पैसा......... नहीं चलेगा कोई खेल और खिलाडी

धन्यवाद

Friday, August 13, 2010

आजाद हैं पूरी तरह , सब कुछ करने को .....>>> संजय कुमार

कहते हैं जबसे हमारा देश आजाद हुआ है, और हम अंग्रेजों की गुलामी से आजाद हुए हैं तब से इस देश के लोगों ने आजादी का सही मतलब जाना ! और सही भी है एक आजाद इन्सान बह सब कुछ कर सकता है, जो गुलाम होकर नहीं कर सकता था ! उसे अपनी बात सबके सामने रखने की आजादी होती है ! कहीं भी कुछ भी कर सकता है वह भी पूरी आजादी के साथ ! जब से हमें अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली है तब से एक बात हर आम इन्सान की जेहन में रहती हैं कि हम सब आजाद हैं पूरी तरह सब कुछ करने को ! बिना रोक-टोक, अच्छे -बुरे का परिणाम सोचे बिना......

पिछले ६० वर्षों से भी अधिक समय हो गया हमको आजाद हुए ! आज हर कोई आजाद है सब कुछ कहने को किसी की जुबान पर आज कोई ताला नहीं है ! जिसको जो बकना है बक रहा है पूरी आजादी के साथ बंधनमुक्त होकर ! आज जिसे देखो सब कुछ खुल्लम- खुल्ला कर रहा है पूरी आजादी के साथ ! देश में ढोंगी साधू-महात्मा धर्म के नाम पर, आध्यात्म के नाम पर भगवान् को बेच रहे हैं ! बेच रहे हैं अबलाओं की इज्जत, खा रहे हैं इन्सानी चमड़ी ( जिश्म्फरोशी ) की कमाई सब कुछ पूरी आजादी के साथ ! देश के बड़े बड़े राजनीतिज्ञ, मंत्री आजाद हैं, सब कुछ करने को, आजादी के साथ बेच रहे ईमान बेच रहे देश, फैला रहे भ्रष्टाचार, घूसखोरी, और रिश्वतखोरी , कर रहे सौदा इंसानों का, उनको खरीदने और बेचने का, पूरी आजादी के साथ ! कभी खेल के नाम पर, कभी मनोरंजन और रियलिटी शो के नाम पर ! बेच रहे हैं सब कुछ पूरी आजादी के साथ ! आज हम आजाद हैं .... वह सब कुछ करने को जिसे रोकने -टोकने हिम्मत किसी में भी नहीं है ! आज पश्चिमी सभ्यता आजाद है हमारे देश में अपने पैर पूरी तरह फ़ैलाने को, आज हम आजाद हैं जिस्म दिखाऊ सभ्यता को अपनाने के लिए , विदेशी ताकतें आजाद हैं फिर से गुलाम बनाने के लिए ! आज हमारे बच्चे आजाद हैं पूरी तरह अपने माँ-बाप का अपमान करने के लिए, आजाद हैं नसे की दुनिया में जाने के लिए, आजाद हैं अपना भविष्य बनाने और बिगड़ने के लिए ! आज आतंकवाद आजाद है पूरी तरह अपने पैर पसारने के लिए ! आज पूरी तरह आजाद हैं अनेकों बीमारिया इन्सान को अपनी गिरफ्त में लेने के लिए ! आज देश में बह सब लोग पूरी तरह से आजाद हैं , जो इंसानियत, समाज, और राष्ट्र को डुबोने के लिए पूरी तरह हमेशा तैयार रहते हैं ! असलियत में आजादी का असली रूप तो ऐसे ही लोग जानते हैं ! यही लोग आज पूरी तरह से आजाद हैं ! हम सब तो कहीं ना कहीं गुलाम और कैद हैं अपनी परिस्थितियों और हालातों से .......

आज देश में आम इन्सान आजाद नहीं हैं ! आम इन्सान कैद है अपनी समस्याओं में ! गुलाम है दकियानूसी प्रथा और रीति -रिवाजों का ! आज तक आजाद नहीं हुआ उस विकृत मानसिकता का जो इंसानियत पर एक बदनुमा दाग लगाती हैं ! आज भी आजाद नहीं है वह औरतें जो दहेज़ लोभी घरों में कैद हैं, सिर्फ किसी के लालच के कारण ! आम आदमी आजाद नहीं है, आज के दूषित वातावरण में ! आम इन्सान भूल गया अपनी असली आजादी का मतलब !

क्या आप आजाद हैं ? सब कुछ करने को

स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई एवं शुभ-कामनाएं

धन्यवाद

Monday, August 9, 2010

थूंक कर चाटना इनकी आदत है ....>>> संजय कुमार

आज से ३०-४० वर्ष पूर्व इस देश की राजनीति इतनी भ्रष्ट और गन्दी नहीं थी जितनी की आज !पहले की राजनीति और आज की राजनीति में बहुत अंतर है ! उस समय के राजनेता और मंत्री इतने भ्रष्ट नहीं थे, जितने की आज ! पहले राजनीति देश को चलाने के लिए की जाती थी ! सब कुछ अनुशासन में होता था ! पहले नेता कोई भी भाषण देने से पूर्व कई बार उसका अध्यन करते थे तब जाकर , उसे आम जनता के समक्ष पेश करते थे ! और इस बात का विशेष ध्यान रखते थे कि, अपने भाषण में वह ऐसा कुछ तो नहीं बोल रहे हैं जिससे देश कि आन-बान-शान में कोई दाग लगता हो ! इस बात का भी ख्याल रखते थे कि उनके भाषण से देश के किसी भी नागरिक का अपमान तो नहीं हो रहा ! धर्म, जातिवाद विशेष का अपमान तो नहीं हो रहा है ! इन सब बातों को ध्यान में रखकर कोई भी बात आम जनता के बीच बोली जाती थी ! आम जनता भी इस बात से खुश होती थी, और उनके दिलों में अपने प्रिय नेता का मान-सम्मान कहीं ज्यादा होता था ! तब कहलाती थी असली राजनीति और असली राजनेता !

जैसे जैसे समय का पहिया आगे बढ़ता गया ! बैसे बैसे राजनीति में बहुत उठापटक होने लगी ! किसी के लिए राजनीति में आना कोई मुश्किल नहीं था ! जब से इस देश की राजनीति में हर किसी का आना सरल हुआ तब से इसका स्वरुप तेजी से बदला ! जब से इस राजनीति रुपी तालाब में कुछ गन्दी मछलियों का आगमन हुआ हैं तब से यह तालाब पूरी तरह गन्दा हो गया है ! आज हमारे यहाँ राजनीति में ऐसे ऐसे लोग भरे पड़े हैं जिन्हें राजनीति का "क ख ग " भी नहीं आता और आज देश के ऊचे पदों पर बैठकर देश की नैया को डुबो रहे हैं ! बात कर रहा हूँ आज के ऐसे नेताओं की जो बिना सोचे समझे, कहीं भी खड़े होकर इस देश और देश की आम जनता, धर्म-मजहब, जातिवाद, देश की रक्षा करने बाले वीर-जवान, और आम इन्सान की धार्मिक भावनाओं को लगातार ठेस पहुंचा रहे हैं ! ताजा उदाहरण BJP के नेताजी का है जिन्होंने बिना सोचे समझे इस देश की रक्षा करने बाले वीर-जवानो (सैनिकों ) को डकैत और तस्कर तक कह दिया ! और बह स्वयं क्या हैं ? यह पूरा देश जानता हैं ! जब उन्हें अपनी इस गलती का अहसास हुआ, तो बही पुराना फ़ॉर्मूला थूंक कर चाटने बाला ! तुरत-फुरत अपने बयान पर लीपापोती कर उन्ही जवानों का गुणगान करने लगे ! यह कोई अकेला मामला नहीं है ! इस तरह की बयानबाजी आज जिसे देखो एक दूसरे के बारे में बिना सोचे समझे कर रहा है ! जब कुछ गलत बोल देते हैं , और अपनी गलती का अहसास होता है, तो तुरंत अपने बयान से ऐसे पलटते हैं , जैसे हमने तो कुछ गलत कहा ही नहीं ! अगर इन नेताओं का बस चले तो पता नहीं, दिन को रात और रात को दिन कह दें ! जिस तरह इनके बार बार बयान बदलते हैं ठीक उसी प्रकार पल पल पर इनका ईमान बदलता है ! ऐसे हैं आज के यह दल-बदलू माननीय नेताजी .......................

"जिस तरह मुंह से निकला हुआ शब्द बापस नहीं होता, बन्दूक से निकली हुई गोली, और कमान से निकला हुआ तीर" जिस तरह निकलने के बाद किसी का भी अहित कर सकते हैं ! ठीक उसी तरह किसी राजनेता का दिया गया बयान एक बार पूरे देश का अहित कर सकता हैं ! आज के भ्रष्ट नेता इस बात को पूरी तरह भूल जाते हैं , और उसी तरह अपने बयान से पलट जाते हैं, जो वह अपने द्वारा बोलते हैं ! इस आदत को हम देशी भाषा में बोलते हैं ................

" थूंक कर चाटना " जो आज के नेताओं की आदत है .................

धन्यवाद

Tuesday, August 3, 2010

आज के रियलिटी शो की रियलिटी .....>>> संजय कुमार

जब से मनोरंजन के सबसे बड़े साधन टेलीविजन ने हमारे घरों पर कब्ज़ा किया है , तब से इस टेलीविजन ने हमें बहुत कुछ अच्छा-बुरा दिया है ! फिर चाहे दुनियाभर की जानकारी हो , हर तरह का मनोरंजन हो , ज्ञानवर्धक कार्यक्रम हों या बच्चों की प्रतिभा निखारने का सुनहरा मंच, सब कुछ ऐसा, जो अपने आप में एक अलग पहचान है -- आज के इस टेलीविजन की , जो आगे भी कई तरह से आम इन्सान को लुभाएगी ! आज यहाँ बात करेंगे टेलीविजन के सबसे प्रचलित कार्यक्रम " रियलिटी शो " की जिसका मुख्य उद्देश्य है ---आम जनता को वास्तविक जीवन के करीब ले जाना ! लेकिन हकीकत कुछ और है इन कार्यक्रमों की --- ज्यादा से ज्यादा अपनी ओर आकर्षित करना , टेलीविजन चैनलों की TRP बढ़ाना और अपने कार्यक्रमों से बांधे रखना पिछले तीन चार सालों में इस टेलीविजन पर कई ऐसे कार्यक्रम आये जो जनता के सामने "रियलिटी" का नाम देकर परोसे गए ! " राखी का स्वयंवर " या " राहुल दुल्हनिया ले जायेगा " या फिर " देशी गर्ल " और इस तरह के कई रियलिटी शो ! जब तक यह शो टेलीविजन पर आते हैं, और जब इनका समापन होता है तो एक ऐसा माहोल बना देते हैं कि आज तक कि सबसे बड़ी सच्चाई सबसे बड़ा समारोह आज हो रहा है ! जहाँ इन शो के दौरान राखी सावंत ने कनाडाई मूल के व्यक्ति से शादी रचाई वहीँ राहुल महाजन ने कोलकाता की डिम्पी गांगुली से शादी रचाई ! जब यह रियल्टी शो समाप्त हो जाते हैं, तो इनके समाप्त होते ही इन रियल्टी शो की रियलिटी भी ख़त्म हो जाती है ! और कुछ दिनों बाद खबर आती है -- राखी ने अभी तक शादी नहीं की, वह शादी पर विचार करेगी वहीँ राहुल ने शादी तो करली (दूसरी ) लेकिन उसकी यह शादी सिर्फ एक महीने तक ठीक-ठाक चली ! और उसकी शादी अब मारपीट तक पहुँच गयी है ! यही है इन रियलिटी शो का सच ! एक रियल्टी शो पिछले दिनों पूरे हिन्दुस्तान और पाकिस्तान ने देखा और वह था सानिया मिर्ज़ा और शोएब मलिक का निकाह जिसे हम सब ने किसी रियलिटी शो की तरह मनोरंजन किया ! खुदा ना करे की उनकी निजी जिंदगी में किसी तरह का कोई भूचाल आये ! नहीं तो आज होने वाले हर रियलिटी शो का सच सिर्फ शो बनकर ही न रह जाए ......

आज टेलीविजन पर झूंठ को सच बनाकर परोसा जा रहा है... जो आम इन्सान की जिंदगी और उसकी वास्तविकता से कोसों दूर होता है ! आज जितने भी सीरियल टेलीविजन पर दिखाए जाते हैं उनमे से कुछ को छोड़ दिया जाय तो बाकि सब के सब वास्तविकता से दूर सिर्फ कोरी कल्पना को सच का चोला पहनाकर अपना गलत प्रभाव आम जनता के बीच में छोड़ रहे हैं !

काश आज के रियलिटी शो...... शो ... ना होकर रियल होने लगे तो कितना अच्छा हो

धन्यवाद

Sunday, August 1, 2010

दोस्त बिना कुछ नहीं ....(Frienddhip-Day) .....>>> संजय कुमार

किसी भी इन्सान के जीवन में एक दोस्त की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं ! दोस्त वह जो इन्सान के किसी भी रिश्ते पर भारी पड़ सकता है ! माता-पिता का रिश्ता हो , भाई-बहन का रिश्ता हो या हो पति-पत्नि का रिश्ता ! कई बार यह देखा गया है कि एक सच्चे दोस्त को इन सब रिश्तों से कहीं ज्यादा मान सम्मान दिया गया है ! इसलिए इस रिश्ते को सबसे बड़ा माना जाता है ! यह जरूरी नहीं कि दोस्त कोई आपके बाहर का हो ! वह आपके परिवार का कोई सदस्य भी हो सकता है ! एक माँ अपने बच्चे कि सबसे अच्छी दोस्त होती है जो उसका हमेशा ध्यान रखती है , उसको गलत राह पर जाने से रोकती है है ! अच्छे बुरे का ज्ञान कराती है ! हर वक़्त उसका ध्यान रखती है ! और बच्चा भी माँ को एक दोस्त के रूप में लेता हैं और अपनी सारी परेशानी और समस्याएं अपनी माँ को बताता है ! और यह दोस्ती का रिश्ता माँ-बेटे के रिश्ते से कहीं बड़ा होता है ! अगर बचपन में माँ बेटे का रिश्ता एक दोस्त के रूप में बनता है तो यह रिश्ता जीवन भर चलता है ! बच्चा बड़ा होकर भी अपनी बहुत सारी बातें माँ के सामने रखता है और माँ भी उसे सही राह बताती है ! एक पिता भी अपने बच्चे का अच्छा दोस्त होता है वह अपने बच्चे को बाहर की दुनिया के बारे में बताता हैं ! वह बताता है बाहर की दुनिया का सच और करता हैं उसकी रक्षा उन सभी बुराइयों से जो उसके बच्चे के लिए हानिकारक हैं !

आज इन्सान का जीवन बिना दोस्त के अधूरा है ! आज जिस तरह का वातावरण हमारे आस-पास निर्मित हैं , जहाँ एक-दूसरे पर विश्वास करना बड़ा मुश्किल हैं ! कोई किसी को कभी भी धोखा दे सकता है , फिर चाहे वह अपने सगी सम्बन्धी क्यों ना हों ! ऐसे जटिल समय में हम सभी को एक सच्चे दोस्त की आवश्यकता है ! जो किसी भी हालत और परिस्थियों में हमारी मदद करने को तैयार रहता है ! और सच्चा दोस्त बही होता है जो बिना किसी मतलब के अपनी दोस्ती को निभाता है ! आज जिन लोगों के पास कोई सच्चा मित्र नहीं हैं वह इन्सान आज दुनिया का सबसे अकेला प्राणी हैं ! उसके लिए दुनिया की कोई भी ख़ुशी बिना दोस्त के अधूरी हैं ! आज हम अपने जीवन में ऐसी कल्पना भी नहीं कर सकते जिसमें हमारा कोई मित्र ना हो ! जिस तरह शुद्ध वायु इन्सान के जीवन के लिए अमृत है ठीक उसी तरह एक सच्चा मित्र भी किसी जीवनदायक से कम नहीं है ! जो अपनी सूझ-बूझ से हर वक़्त हमें गलत राह पर जाने से रोकता है, मुसीबत के समय ढाल बनकर हमारी रक्षा करता हैं ! अगर दोस्त नहीं तो कुछ नहीं !

हम सभी ने दोस्ती और मित्रता के सेकड़ों किस्से और कहानियां सुनी हैं ! राम-सुग्रीव की मित्रता, कृष्ण -सुदामा की मित्रता जिसमे मित्रता के लिए सच्चे समर्पण को देखा गया ! जहाँ उंच-नीच, जात-पात, छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब, राजा-रंक जैसी सोच का कोई स्थान नहीं था ! किन्तु जैसे -जैसे कलियुग की शुरुआत हुई , इन्सान के दिलों में नफरत की भावना ने जन्म लिया, जहाँ मित्र की पहचान अपने बराबर के लोगों में की गयी ! उंच-नीच का भाव दिलों में भर गया ! जब से अमीर-गरीब का फर्क देखने लगे ! तब से मित्रता का सच्चा स्वरुप कहीं खो गया ! और खो गयी गयी सच्ची मित्रता !इसके पीछे हम आम इन्सान ही हैं ! जो शायद सही मित्र की पहचान नहीं कर पाते , यदि करते भी हैं तो सच्ची मित्रता निभा नहीं पाते ! इसका खामियाजा भी हम इंसानों को ही उठाना पड़ रहा है ! आज ऐसे कई लोग हैं जो सही मित्र और मार्गदर्शक ना मिल पाने के कारण अपनी सही राह से भटक गए और बुराई के उस मुकाम तक पहुँच गए जहाँ कोई भी आम इन्सान जाना नहीं चाहता ! क्योंकि एक सच्चा मित्र हमारा बहुत बड़ा शुभचिंतक और मार्गदर्शक होता हैं !

क्या आपके पास है एक सच्चा दोस्त ?

धन्यवाद