Monday, August 16, 2010

खेल खेल में, पैसों का खेल ....>>> संजय कुमार

भारत देश एक खेल प्रधान देश है ! यहाँ पर अनेक तरह के खेल, खेले जाते हैं ! क्रिकेट, हॉकी, फुटबाल, टेनिस और भारतीय परम्परावादी खेल जैसे खो-खो और कबड्डी ! भारतीय परम्परावादी खेलों का तो आज जैसे अस्तित्व ही खत्म हो गया ! क्योंकि, एक तो इनको लोकप्रियता नहीं मिली और ना ही बढ़ावा ! और आज रह गए बही खेल जिन्दा जहाँ सिर्फ पैसे की भरमार होती है ! पैसा भी जो खेल खेलने पर मिलता है और ना खेलने पर भी ! अरे भई .... आज हर जगह पैसे का बोलबाला है ! जब से खेलों में राजनीति का हस्तक्षेप हुआ तभी से खेलों का बंटाधार हो गया ! क्योंकि आज राजनीति पैसा कमाने का सबसे सरल और आसान तरीका बन गया है ! फिर चाहे खेल संघ के उच्च पदों पर बैठे हुए लोगों को २०-२५ साल हो गए हों ! मजाल है किसी की जो उनको उनके पदों से हटा सके ! इतने सालों के लम्बे अनुभव का आज पूरी तरह फायदा जो उठा रहे हैं ! इन खेलों के जरिये पैसों का खेल जो खेल रहे हैं !

आज देश में ऐसा कोई खेल नहीं बचा जिसमे पैसों का खेल ना खेला जाता हो ! क्रिकेट में तो पैसा पानी की तरह बरसता है ! इस खेल में तो खेलने बाला और खिलाने ( आयोजक ) बाला, दोनों जमकर पैसा कमाते हैं ! आज तरह तरह के आयोजन (IPL) करके सिर्फ पैसों का खेल चल रहा है ! अब इस खेल में भी भ्रष्टाचार अपनी पकड़ बना रहा है ! आज खेल एक बड़ा व्यापार बनकर हम सबके सामने उभरकर आया है ! जहाँ ज्यादा पैसा बही खेल सबसे ज्यादा ऊपर ! आज विश्व के सबसे धनी क्रिकेट बोर्ड में भारत का नाम अब्बल नम्बर पर है ! भारत का राष्ट्रीय खेल हॉकी आज भी इंतजार कर रहा है अपने देश में बह मुकाम पाने, जो अन्य खेलों का है, खासकर क्रिकेट का ! इसके पीछे भी पैसे का खेल चल रहा है ! इस हॉकी संघ के अध्यक्ष को पिछले १ दशक से भी ज्यादा हो गए इस पद पर डटे हुए ! लम्बे समय तक ऐसे पदों पर बैठा होता है बह ऐसे खेलों में पैसे का खेल, खेलने में माहिर हो जाता है ! और खेल खेलने बाले खिलाडी पीछे और सिर्फ पीछे ...........

जब किसी देश में कोई अंतर्राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होता हैं ! तो उस देश के लिए यह बड़े गर्व की बात होती है ! बह देश अपने आप को धन्य समझता है ! वहां का हर नागरिक अपने आपको गौरवान्वित मससूस करता है ! आज हमारे देश में भी राष्ट्र को गौरवान्वित करने बाला आयोजन हो रहा हैं ! किन्तु इस आयोजन के होने से आज देश का हर नागरिक अपने आप में शर्म महसूस कर रहा है ! क्योंकि इसके आयोजन कर्ताओं ने इस आयोजन को पूरी तरह से पैसे का खेल बना दिया हैं ! आज इस खेल को अब तक का सबसे भ्रष्ट आयोजन का, खेल के रूप में जाना जायेगा ! जिसमे आम जनता का विश्वास इन खेलों का आयोजन कराने बालों से पूरी तरह उठ गया है ! क्योंकि आज देश में खेलों के नाम पर चल रहा है तो सिर्फ पैसों का खेल .............. और पैसों के खेल में आज खेल और खिलाडी अपना असली खेल, खेलना भूल गए .......................

बंद करो यह पैसों का खेल वर्ना......... भविष्य में चलेगा सिर्फ पैसा......... नहीं चलेगा कोई खेल और खिलाडी

धन्यवाद

5 comments:

  1. गंभीर चिंतन किया है..... बहुत खूब!

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  2. सुंदर प्रस्तुति!


    “कोई देश विदेशी भाषा के द्वारा न तो उन्नति कर सकता है और ना ही राष्ट्रीय भावना की अभिव्यक्ति।”

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  3. लूट लूट और सिर्फ लूट मची है.. कुछ गलत नहीं कहा आपने..

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  4. आपकी और दीपक की बात से सौ प्रतिशत सहमत-------

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  5. ये लूट इतनी आसानी से बंद नही होने वाली ...

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