Saturday, August 27, 2011

नेताओं से कुछ नहीं होगा ..... ( २०० बी पोस्ट पर हार्दिक धन्यवाद ) ...>>> संजय कुमार

मैं पिछले डेढ़ बर्ष से इस ब्लॉग लेखन में हूँ ! इन डेढ़ बर्षों में मुझे बहुत सारे अच्छे अनुभव हुए , कई बरिष्ठ लेखकों का मार्गदर्शन मिला , साथ ही कई नवीन ब्लोगर्स का प्रेम और स्नेह मिला जो मुझे आगे लिखने के लिए प्रेरित करता रहा ! आज उसी प्रेम-स्नेह और मार्गदर्शन से प्रेरित होकर में आप सभी के समक्ष छोटी-मोटी रचनाएँ लिखता रहता हूँ ! में कोई लेखक नहीं हूँ फिर आप सभी ने मुझे जो आशीष प्रदान किया है उसका में बहुत आभारी हूँ ! मेरे ब्लॉग लेखन में मेरी पत्नि " गार्गी " का भी बहुत योगदान रहा है ! उनकी कई कवितायेँ में आप सभी के समक्ष कई बार प्रस्तुत कर चुका हूँ ! जिन पर आप सभी की उत्साहवर्धक टिप्पणियों ने मेरा होंसला बड़ाया आज मैं अपनी २०० बी पोस्ट आपके समक्ष रख रहा हूँ ! २०० बी पोस्ट पर मैं सभी ब्लोगर साथियों का धन्यवाद करना चाहता हूँ , और चाहता हूँ आप सभी का मार्ग-दर्शन जिससे मुझे लिखने की प्रेरणा मिले !

आज जो रचना मैं आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूँ ! वो मेरे आदरणीय " श्री विनय बहादुर सक्सेना जी " की कलम से है ! जो उन्होंने आज देश के बुरे हालातों के मद्देनजर देखते हुए प्रस्तुत की है !
आज के इन नेताओं से कुछ नहीं होगा
सब के सब बुजुर्ग हो गए हैं
कोई ६५ का तो कोई ७५ का
इनके साथ ही युवा नेता भी
बुजुर्ग हो गए हैं !
अब तो आतंकवाद को
खत्म करने के लिए
खौलते खून की जरुरत है
जो हर तरह से तैयार हो
मिटने व मिटाने के लिए
जैसे को तैसा देने के लिए
जरुरत है ,
एक क्रांतिकारी की
जो देश के प्रत्येक
युवा के खून को
क्रांति से भर दे
आतंवादियों को
उन्ही के , शस्त्र से
समाप्त कर सकते हैं
और फिर शांति से
रह सकते हैं

२०० बी पोस्ट पर हार्दिक धन्यवाद

Monday, August 22, 2011

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी .... प्रेम का सच्चा पर्व , परिवार के साथ मनाएं ....>>> संजय कुमार


भगवान श्रीकृष्ण को प्रेम का अवतार माना जाता है ! उन्होंने इस दुनिया को प्रेम का सच्चा पाठ पढ़ाया ! जब-जब भी असुरों के अत्याचार बढ़े हैं और धर्म का पतन हुआ है तब-तब भगवान ने पृथ्वी पर अवतार लेकर सत्य और धर्म की स्थापना की है। इसी कड़ी में भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मध्यरात्रि को अत्याचारी कंस का विनाश करने के लिए मथुरा में भगवान कृष्ण ने अवतार लिया। चूँकि भगवान स्वयं इस दिन पृथ्वी पर अवतरित हुए थे अतः इस दिन को कृष्ण जन्माष्टमी अथवा जन्माष्टमी के रूप में मनाते हैं। इस दिन स्त्री-पुरुष रात्रि बारह बजे तक व्रत रखते हैं। इस दिन मंदिरों में झाँकियाँ सजाई जाती हैं और भगवान कृष्ण को झूला झुलाया जाता है। प्रेम के प्रतीक भगवान् के जन्मदिन को सच्ची लगन एवं प्रेम भावना के साथ अपने पूरे परिवार के साथ मनाएं !


जय श्रीकृष्ण ........ जय श्रीकृष्ण.........जय श्रीकृष्ण........जय श्रीकृष्ण



माखन चुराकर जिसने खाया

बंशी बजाकर जिसने नचाया

खुशियाँ मनाओ उस कान्हा के जन्मदिन की

जिसने इस विश्व को "प्रेम का पाठ पढ़ाया"



आप सभी ब्लोगर साथियों को एवं परिवार के सभी सदस्यों को " श्रीकृष्ण जन्माष्टमी " के पावन पर्व की हार्दिक बधाई एवं ढेरों शुभ-कामनाएं




धन्यवाद

संजय - गार्गी

देव - कुणाल

Saturday, August 20, 2011

देखा अजीव एक द्रष्य ........>>> संजय कुमार

देखा अजीव एक द्रष्य
कुचले पड़े मानव के दिल ,
टुकड़े - टुकड़े पड़ी , कराहती आत्मा ,
स्वपन आश्चर्य तले दवे थे,
खीझ में सने थे ,
वह दिल नासूर बन चुका था ,
क्योंकि उसको अपनों ने कुचला था ,
वह उनकी प्रतिष्ठा का रास्ता था ,
जिसको पैरों से रौंधता ' वह अपना ' चला था
दुःख नहीं हुआ जब दुश्मनों ने दुश्मनों की ,
अवाक ताकते रह गए हम
जब अपनों ने स्वार्थ में रंगी
चाल चली ...........

( प्रिये पत्नि गार्गी की कलम से )

धन्यवाद

Thursday, August 18, 2011

रिश्वत ......... ( व्यंग्य ) ......>>>> संजय कुमार

मैंने कहा ऑफिस के बाबू से ,
कि , मेरा काम ये कर दो ,
बाबू बोला बड़े प्यार से
फाइल पर वजन तुम धर दो
वजन धरते ही समझ लो , हो गया तुम्हारा काम
रिश्वत मत समझना इसे , ये तो है बस मेरा ईनाम ,
मुझे समझते देर ना लगी , कि , बाबू है पक्का रिश्वतखोर
इसलिए मैं चला गया अधिकारी के कमरे की ओर
जैसे ही पहुंचा गेट पर , चपरासी बोला
मुझे खुश किये बिना साहब से मिलना ना होगा ईजी ( आसान )
लाओ पान , बीडी - सिगरेट वर्ना साहब हैं बिजी
मैं समझ चुका था कि ,
इस ऑफिस का सारा स्टाफ ही भ्रष्ट है
तभी तो इस ऑफिस से सारे शहर को कष्ट है
मैंने भी सोच लिया था कि ,
इस बाबु को रंगे हाँथ पकड्वाऊंगा
सीबीआई में जाऊं या संसद - विधानसभा में, प्रश्न उठ्वाऊंगा
फिर मैंने की शिकवा -शिकायत बहुत
जब एक महीना बीत गया
एक दिन अखबार में पढ़ा मैंने कि ,
रिश्वत लेने वाला , रिश्वत देकर छूट गया


( मित्र मुकेश बंसल की कलम से )

धन्यवाद


Sunday, August 14, 2011

क्या आप आजाद हैं ? .......>>> संजय कुमार

सर्वप्रथम सभी भारतियों को और सभी भारतवासियों को ६४ वे स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं ढेरों शुभ-कामनाएं
------------------------------------------------------------------------------------------------आज हमारे देश को आजाद हुए ६४ बर्ष पूरे हो चुके हैं ! इन चौंसठ बर्षों में हम हिन्दुस्तानियों ने सही मायने में आजादी का मतलब जाना ! इन चौंसठ बर्षों में देश ने बहुत तरक्की की है और आज भी प्रगति कर रहा है ! आज भारत का नाम विश्व स्तर पर छाया हुआ है जिसे देख कर आज हर भारतीय गर्व महसूस करता है ! एक आजाद इंसान वो सब कुछ कर सकता है जो एक आदमी गुलाम होकर नहीं कर पाता ! एक आजाद इंसान को अपनी बात सभी के समक्ष रखने की आजादी होती है ! आजादी का मतलब बही लोग जानते हैं जो अंग्रेजों के अधीन थे ! आजादी के इतने बर्षों के बाद भी एक सवाल हमारे जेहन में दौड़ता है ! क्या हम वाकई में आजाद हो चुके हैं ? इस सवाल के जबाब में लगभग सभी लोगों का मत ये है कि हम आजाद हो चुके हैं ! ये सच भी है क्योंकि आजाद होकर ही हमने अपने देश का नाम विश्व स्तर पर ऊंचा किया है ! कहने को तो हम सब आजाद हैं , वो भी सिर्फ अंग्रेजों की गुलामी से , किन्तु आज भी इस देश में एक बड़ा तबका ऐसा है जो किसी ना किसी रूप में किसी ना किसी का गुलाम है ! आज अभी इस देश में लाखों मजदूर , गरीब परिवार ऐसे हैं जिन्हें आजादी का असली मतलब तक नहीं मालूम ! आज आजादी के दिन भी देश में लाखों मजदूर गुलाम बनकर बंधुआ मजदूरी कर रहे हैं ! आज भी हमारा देश साहूकारी जैसी कुरीतियों से आजाद नहीं हो पाया , आज भी खाप पंचायतों जैसी प्रथाएं हमारे देश में हैं , ये वो प्रथाएं हैं जिसमें माँ-बाप अपने ही बच्चों के खून से अपने हाँथ रंग रहे हैं ! आज भी पढ़ा - लिखा समाज समाज उंच-नीच , जातिवाद , दहेज़ प्रथा जैसी बेड़ियों में जकड़ा हुआ है ! आज भी हजारों दुल्हन परम्परा के नाम पर अपने घरों में कैद हैं ! आज भी देश में लाखों लोग गुलामी की मानसिकता में जी रहे हैं ! और शायद ऐसे ही मर जायेंगे ! हम आजाद जरुर हुए हैं वो सब कुछ करने के लिए जिस पर अंकुश लगना चाहिए था ! किन्तु हमने आजादी का गलत फायदा ही उठाया ! आज हमने अपने बच्चों को आजादी दी तो उन्होंने कई ऐसे काम कर डाले जिनसे माँ-बाप का सिर शर्म से झुक गया ! आज हर कोई आजाद है , किसी की जुबान पर आज कोई ताला नहीं है जिसको जो बकना है सो बक रहा है वो भी पूरी आजादी के साथ बंधनमुक्त होकर ! आज जिसे देखो सब कुछ खुल्लम- खुल्ला कर रहा है और हम मूक बन देख रहे हैं ! देश में ढोंगी, साधू-महात्मा धर्म के नाम पर, आध्यात्म के नाम पर भगवान् को बेच रहे हैं , गरीबों की मेहनत की कमाई से अपनी तिजोरियां भर रहे हैं ! वहीँ कुछ धर्मात्मा बनकर अबलाओं की इज्जत नीलाम कर रहे हैं ! देश के बड़े बड़े राजनीतिज्ञ, मंत्री -संत्री पूरी तरह आजाद हैं देश को बेचने के लिए और ये सभी आजादी के साथ अपना ईमान बेच रहे हैं , देश में भ्रष्टाचार, घूसखोरी, और रिश्वतखोरी , घोटाले कर रहे हैं ! इंसानों का सौदा उनको खरीदने -बेचने का काम कर रहे हैं वो भी आजादी के साथ ! कभी खेल के नाम पर, कभी मनोरंजन और रियलिटी शो के नाम पर हमारी संस्कृति को नीलाम कर रहे हैं वो भी सब कुछ पूरी आजादी के साथ ! आज हम सब आजाद हैं वो सब कुछ करने के लिए जिसे रोकने -टोकने की हिम्मत शायद किसी में भी नहीं है ! आज हम फिर से धीरे -धीरे पश्चिमी सभ्यता के गुलाम होते जा रहे हैं ! पूरी आजादी के साथ हम अपनी सभ्यता छोड़ विदेशी कल्चर अपना रहे हैं ! आज हमारे बच्चे पूरी तरह आजाद हैं अपने माँ-बाप का अपमान करने के लिए ! आजाद हैं नशे की दुनिया में जाने के लिए, आजाद हैं अपना भविष्य बनाने और बिगड़ने के लिए ! आज आतंकवाद आजाद है पूरी तरह अपने पैर पसारने के लिए ! आज हजारों बीमारियाँ पूरी तरह आजाद हैं इन्सान को अपनी गिरफ्त में लेने के लिए ! आज देश में वो सब लोग पूरी तरह से आजाद हैं , जो इंसानियत, समाज, और राष्ट्र को डुबोने के लिए पूरी तरह और हमेशा तैयार रहते हैं ! असलियत में आजादी का असली मतलब तो यही लोग जानते हैं ! और इस देश में यही लोग आज पूरी तरह से आजाद हैं ! हम सब तो कहीं ना कहीं गुलाम और कैद हैं अपनी परिस्थितियों और हालातों से मजबूर होकर , आज देश में आम इन्सान आजाद नहीं हैं ! आम इन्सान कैद है अपनी समस्याओं में , गुलाम है दकियानूसी प्रथा और रीति -रिवाजों का ! आज भी इंसान आजाद नहीं हुआ है अपनी विकृत मानसिकता से जो इंसानियत पर एक बदनुमा दाग लगाती हैं ! आज भी आजाद नहीं है वो औरतें जो दहेज़ लोभी घरों में कैद हैं, सिर्फ किसी के लालच के कारण ! इस दूषित वातावरण में आम आदमी आजाद नहीं है ! आम इन्सान लगभग भूल गया अपनी आजादी का असली मतलब !
क्या आप आजाद हैं ?

जब मेरे वतन को मेरे चाहने वाले होंगे
कौन कहता है मेरे पाँव में छाले होंगे
स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत हार्दिक बधाई एवं ढेरों शुभ-कामनाएं


संजय - गार्गी
देव कुणाल

धन्यवाद

Sunday, August 7, 2011

एक शाम मित्रता के नाम ... ( हमारे अभिन्न मित्र ) " Friend-ship Day " .......>>> संजय कुमार

किसी भी इन्सान के जीवन में एक दोस्त की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती हैं ! सच्चा दोस्त वह होता है जो इन्सान के किसी भी रिश्ते पर भारी पड़ सकता है ! माता-पिता का रिश्ता हो या भाई-बहन का रिश्ता , या फिर पति-पत्नि का रिश्ता हो ! कई बार यह देखा गया है कि, एक सच्चे दोस्त को इन सब रिश्तों में कहीं ज्यादा मान सम्मान दिया गया है ! इसलिए इस रिश्ते को सबसे बड़ा माना जाता है ! यह जरूरी नहीं कि, दोस्त कोई आपके घर से बाहर का हो ! वह दोस्त आपके परिवार का कोई सदस्य भी हो सकता है ! जैसे एक माँ अपने बच्चे की सबसे अच्छी दोस्त होती है जो उसका हमेशा ध्यान रखती है , उसको गलत राह पर जाने से रोकती है, अच्छे संस्कारों का बीज रोपित करती है , अच्छे बुरे का ज्ञान कराती है , हर वक़्त उसका ध्यान रखती है ! और बच्चा भी माँ को एक दोस्त के रूप में लेता हैं और अपनी सारी परेशानी और समस्याएं अपनी माँ के साथ बांटता है ! और यह दोस्ती का रिश्ता माँ-बेटे के रिश्ते से कहीं बड़ा होता है ! अगर बचपन में माँ बेटे का रिश्ता एक दोस्त के रूप में बनता है तो यह रिश्ता जीवन भर चलता है ! बच्चा बड़ा होकर भी अपनी बहुत सारी बातें माँ के सामने रखता है और माँ भी उसे सही राह बताती है ! एक पिता भी अपने बच्चे का अच्छा दोस्त होता है वह अपने बच्चे को बाहर की दुनिया के बारे में बताता हैं ! वह बताता है बाहर की दुनिया का सच और करता हैं उसकी रक्षा उन सभी बुराइयों से जो उसके बच्चे के लिए हानिकारक हैं ! परिवार के सदस्यों के अलावा बाहर की दुनिया में भी इंसान के पास एक अच्छा दोस्त होना बहुत आवश्यक होता है ! आज इन्सान का जीवन एक दोस्त के बिना अधूरा है ! आज जिस तरह का वातावरण हमारे आस-पास निर्मित हैं , जहाँ एक-दूसरे पर विश्वास करना बड़ा मुश्किल हैं, जहाँ कोई किसी को कभी भी धोखा दे सकता है , अपना बन पीठ में छुरा घोंप सकता हो , ऐसे लोग फिर चाहे हमारे अपने सगी सम्बन्धी ही क्यों ना हों ! ऐसे जटिल समय में हम सभी को एक सच्चे दोस्त की आवश्यकता होती है जो किसी भी हालात और परिस्थियों में हमारी मदद करने को तैयार रहता है ! हमें गलत राह पर जाने से रोकता है ! सच्चा दोस्त बही होता है जो बिना किसी मतलब के अपनी दोस्ती को निभाता है ! आज जिन लोगों के पास कोई सच्चा मित्र नहीं हैं वह इन्सान इस भीड़ भरी दुनिया का सबसे अकेला प्राणी हैं और उसके लिए दुनिया की कोई भी ख़ुशी बिना दोस्त के अधूरी हैं ! आज हम अपने जीवन में ऐसी कल्पना भी नहीं कर सकते जिसमें हमारा कोई मित्र ना हो ! जिस तरह शुद्ध वायु इन्सान के जीवन के लिए अमृत है ठीक उसी प्रकार एक सच्चा मित्र भी किसी जीवनदायक अमृत से कम नहीं है ! एक सच्चा मित्र अपनी सूझ-बूझ से हर वक़्त हमें गलत राह पर जाने से रोकता है, मुसीबत के समय ढाल बनकर हमारी रक्षा करता हैं ! आपके जीवन में अगर अच्छा दोस्त नहीं तो कुछ भी नहीं है ! हम सभी ने दोस्ती और मित्रता के सेकड़ों किस्से और कहानियां सुनी हैं ! " राम-सुग्रीव " की मित्रता " कृष्ण -सुदामा " की मित्रता , जिसमे मित्रता के लिए सच्चे समर्पण को देखा गया है ! जहाँ उंच-नीच, जात-पात, छोटा-बड़ा, अमीर-गरीब, राजा-रंक जैसी छोटी सोच का कोई स्थान नहीं था ! किन्तु जैसे -जैसे कलियुग की शुरुआत हुई , इन्सान के दिलों में नफरत की भावना ने जन्म लिया, बुराइयाँ अपने चरम पर पहुंची , जहाँ मित्र की पहचान अपने बराबर के लोगों में की गयी , उंच-नीच का भाव दिलों में भरा गया , जब से हम अमीर-गरीब का फर्क देखने लगे तब से मित्रता का सच्चा स्वरुप कहीं खो गया या पूरी तरह बदल गया ! वर्तमान परिवेश में लगता है सच्ची मित्रता कहीं खो गयी हो , इसके पीछे हम इन्सान ही हैं जो शायद सही मित्र की पहचान नहीं कर पाते , यदि करते भी हैं तो सच्ची मित्रता निभा नहीं पाते और जिसका खामियाजा भी हम लोगों को ही उठाना पढ़ता है ! आज ऐसे कई लोग हैं जो सही मित्र और मार्गदर्शक ना मिल पाने के कारण अपनी सही राह से भटक गए हैं और बुराई के उस मुकाम तक पहुँच गए जहाँ कोई भी आम इन्सान जाना नहीं चाहता ! क्योंकि एक सच्चा मित्र हमारा बहुत बड़ा शुभचिंतक और मार्गदर्शक होता है ! एक इंसान के जीवन के साथ कई लोग जुड़े होते हैं वो मित्र, शत्रु कोई भी हो सकता है ! किन्तु मैं आपको इंसान के उन अभिन्न मित्रों के बारे में बता रहा हूँ जो सिर्फ इंसान के सच्चे मित्र होते हैं जो हर स्थिती परिस्थिति में सिर्फ इंसान का भला ही करते हैं किन्तु इंसान उनके साथ कभी भी सच्ची मित्रता नहीं निभाता इसलिए मजबूर होकर ये आज इंसान से बदला ले रहे हैं ! जी हाँ हम बात कर रहे हैं हमारे सच्चे दोस्त की जी हाँ हमारे सच्चे दोस्त हैं " प्रक्रति और पर्यावरण " जो सिर्फ हम इंसानों और इस पूरी कायनात की भलाई के लिए बने हैं , जो हर वक़्त हमारा भला करते हैं ! पेड़ - पौधे , नदियाँ , तालाब , पर्वत , घने जंगल - वन और सभी प्राकृतिक चीजें जो लाखों -करोड़ों बर्षों से एक सच्चे मित्र के रूप में हमारी सहायता कर रहे हैं ! किन्तु हम आज भी सच्ची मित्रता में बहुत पीछे हैं ! अगर हम इनकी मित्रता का १०% भी बापस करदें तो शायद हम सच्चे मित्र कहलायेंगे !

क्या आप सच्ची मित्रता निभाएंगे ?
क्या आप सच्ची मित्रता का मोल चुकायेंगे ? यदि हाँ तो आप कहलायेंगे सच्चे मित्र ! आगे बढ़िये और निभाइए सच्ची मित्रता का फर्ज
आप सभी को मित्रता दिवस की हार्दिक बधाई एवं ढेरों शुभकामनाएं
( Happy-Friend-Ship Day )

धन्यवाद

Thursday, August 4, 2011

गुजरा ज़माना .........>>>> संजय कुमार

मुददतों से उनकी सूरत नहीं देखी
एक बार देखी थी बस
वहीआँखों से ओझल नहीं होती
हाँ घुलते रहे शब्द , तुम्हारे महीनों
कानों में मेरे
पर अब वो कानों से बहजाने का
नाम नहीं लेते
हाल जो अपने दिल का तुमने
उतारा था दिल में मेरे
निशां अब वो मिटने का
नाम नहीं लेता
दर्द के कफ़न में कबसे
लिपटा है वो गुजरा जमाना
वक़्त उसको दाग देने का
नाम नहीं लेता !


( प्रिये पत्नि गार्गी की कलम से )
धन्यवाद




Monday, August 1, 2011

भगवान ने भगवान को पीछे छोड़ा ........>>> संजय कुमार

१ - ५ लाख करोड़ की संपत्ति के साथ भगवान " श्री पद्मनाभ स्वामी " आज पूरे विश्व में प्रथम पायदान पर हैं उन्होंने अपने समकक्ष " भगवान तिरुपति बालाजी " को अभी पिछले दिनों ही संपत्ति के मामले में बहुत पीछे छोड़ा है ! हो सकता है भविष्य में इनसे से भी कोई आगे निकल जाए , ये तो वक़्त ही बताएगा ! इस सूची में और भी अमीर मंदिर ट्रस्ट हैं जो इनके जितने नहीं पर अमीर मंदिर ट्रस्ट की श्रेणी में आते हैं ! " श्री साईं बाबा " वैष्णोदेवी " सिद्धि विनायक " इस तरह के और भी बड़े - बड़े मंदिर आज करोंड़ों की संपत्ति रखते हैं ! अब ऐसा लग रहा है जैसे कि , भगवानों में कोई प्रतिस्पर्धा सी चल रही हो एक दुसरे से आगे निकलने की ! पहले किसी मंदिर की संपत्ति का आंकलन किया जाता है जो करोड़ों-अरबों में होती है , तो कभी किसी मंदिर की दीवारें चांदी की ईंटें उगलने लगती हैं ! खैर अब जो भी पुराने मंदिर बचे हुए हैं उनमें देखते हैं कि , क्या वो भी अपना नाम विश्व स्तर पर रौशन करेंगे ? आज हमारे देश की स्थिती ये है कि , भगवान दिन - प्रतिदिन अमीर और आम जनता , गरीब दिन- प्रतिदिन गरीब होते जा रहे हैं ! आज इनकी सुनने वाला कोई भी नहीं है ना मंदिर में बैठा भगवान और ना मदिर के बाहर ये देश चलाने वाला भगवान ( राजनेता ) हम इंसानों ने तो आज भगवान् को इतना दे दिया है कि, वो आज विश्व स्तर पर अपना नाम कर रहे हैं ! इस देश में अपने आपको भगवान समझने वालों की भी कमी नहीं है ! पहले भगवान की पूजा करते हैं उनके भक्त बनते हैं बाद में स्वयं भगवान बनकर आम जनता को लूटते हैं या आम जनता अपने आप लुटती है इस बात का अनुमान लगाना बड़ा मुश्किल है ! आम जनता से पैसा लूटो और अपनी तिजोरियां भर लो , आज इस देश में यही सब चल रहा है ! जब भगवान के भक्त या आज के भगवान " पुत्तापर्थी श्री सत्य साईं " के शयनकक्ष जब करोड़ों की संपत्ति उगलते हैं तो पता नहीं चलता ये आम जनता का पैसा है या भगवान की माया या फिर भगवान के नाम पर कमाया गया आज के भगवान का पैसा है ! आज देश में " आलोम विलोम " कपाल भांति " कराने वाला ५-६ सालों में १००० करोड़ की संपत्ति का मालिक बन जाता है ! " बाबा " ने भी अपने समकक्ष कई लोगों को पीछे छोड़ दिया है ! आज लगता है भगवान के नाम पर धन्धा करने वालों का कारोबार कुछ ज्यादा ही अच्छा चल रहा है ! वैसे कहा जाय तो ये सब तो छोटे-मोटे भगवान हैं जो एक ही जगह बैठकर एक ही तरीके से पैसा कमा रहे हैं ! इस देश में आज सबसे बड़ा भगवान् तो नेता हैं जो सत्तर लाख करोड़ ७०००००००००००००००००० ( जितनी भी जीरो और लगे लगा लीजिये ) की संपत्ति के साथ आज देश में सर्वश्रेष्ठ और प्रथम स्थान पर हैं ! ( इस देश को किस हद तक लूटा गया है ) क्या वाकई में कोई इनसे भी बड़ा भगवान है ? ये तो आज सब कुछ चला रहे हैं ! समाज , राज्य , देश , संसद , सरकार , फ़ौज , खेल , यहाँ तक की भगवान के घर तक ये सभी यही लोग चला रहे हैं ! आज के ये भगवान आज हर क्षेत्र में अपनी अच्छी और मजबूत पकड़ रखते हैं ! आज इन्होने हर किसी को बहुत पीछे छोड़ दिया है ! क्या कोई भगवान है जो इनको पीछे छोड़ दे ?

अब हमें भी इन्तजार है उस भगवान का जो इन भगवानों को पीछे छोड़ दे ! ( एक छोटी सी बात )

धन्यवाद