Sunday, May 8, 2011

" माँ " का कोई एक दिन नहीं होता ! ( Mother's Day ) ......>>>> संजय कुमार




" माँ " शब्द बस एक अक्षर का छोटा सा नाम है ! किन्तु इस नाम में श्रष्टि की सम्पूर्ण रचनायें और सब कुछ विद्यमान है ! " माँ " का स्थान हर यौनी में इन्सान, पशु-पक्षी, प्रथ्वी-आकाश ,पाताल इन सभी सर्वोच्य है ! जब तक प्रथ्वी पर जिंदगी है , जब तक इन्सान इस धरा पर है ! " माँ " प्रथम पूज्यनीय है ! " माँ " नाम की ताक़त का अंदाजा आप सिर्फ इस बात से ही लगा सकते हैं कि, आज तक इस धरती पर जो भी इंसान पैदा हुआ उसके मुँह से सर्वप्रथम " माँ " शब्द ही निकला , ना पापा और ना पिता , निकला तो सिर्फ " माँ " का नाम ! जीवन का हर सुख - दुःख सहते हुए " माँ " अपने कर्तव्य पथ से कभी नहीं हटती ! सब कुछ सहते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करती है ! जब एक बच्चा अपनी " माँ " की कोख में आता है , ठीक उसी दिन से एक " माँ " की जिम्मेदारियां शुरू हो जाती हैं ! जब तक बच्चा जन्म नहीं लेता और अपने पैरों पर चलना नहीं सीख लेता और ठीक तरह से खड़ा नहीं हो जाता ! बच्चों को जीवन में आगे बढ़ने के लिए सभी संस्कार अपनी " माँ " से ही मिलते हैं ! या यूँ भी कह सकते हैं कि , " माँ संस्कारों की जननी है " क्योंकि एक बच्चा सबसे ज्यादा करीब और अपना ज्यादा से ज्यादा समय अपनी " माँ " के साथ बिताता है ! " माँ " जीवन के हर पथ पर उसको आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है ! जीवन जीने की कला उसे अपनी " माँ " से ही सीखने मिलती है ! इस जग में " माँ " की ममता का कोई मोल नहीं है ! " माँ " की ममता के लिए तो ईश्वर ने कई बार इस धरती पर इंसान के रूप में जन्म लिया ! " मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम " " भगवान् श्रीकृष्ण " इसका प्रमुख उदहारण हैं ! कितना प्रेम था कौशल्या के राम और यशोदा के श्याम में ! सब कुछ माँ कि ममता को पाने के लिए ! अगर इंसान जीवन भर " माँ " के चरणों को धोकर भी पियेगा तब भी हम उसकी ममता , प्यार , और आशीर्वाद का कर्ज नहीं चुका सकते ! " माँ " हमेशा से ही सभी के लिए वन्दनीय रही है ! " माँ " का कोई दिन नहीं होता ! उसका ध्यान तो हमें हर वक़्त रखना चाहिए ! शायद हम उसको एक पल के लिए भूल भी जाएँ पर " माँ " कभी अपनी संतान को नहीं भूलती ! फिर संतान अच्छी हो या बुरी वह हर हाल में उसे याद रखती है , भले ही उसकी संतान ने उससे नाता तोड़ दिया हो ! " माँ " के मुँह हर वक़्त बस एक ही बात निकलती है ! " जीते रहो मेरे बेटे " ......... " सदा खुश रहो " जैसे जैसे समय गुजर रहा है ! पाश्चात्य संस्कृति हमारे ऊपर हाबी होती जा रही है ! जैसे - जैसे हम आधुनिकता की चकाचौंध में खोते जा रहे है ! वैसे - वैसे आज हम अपनों का मान-सम्मान करने का भाव खोते जा रहे हैं ! आज हम भूलते जा रहे हैं रिश्तों की असली परिभाषा , फिर रिश्ता चाहे माँ-बेटे का हो या माँ-बेटी का ! आज सब कुछ धीरे धीरे बदल रहा है या बदल चुका है ! इस बदलाव को हम सब ने पूरी तरह से महसूस किया है ! और महसूस कर रही है आज की " माँ " ! " माँ " तो पहले भी बच्चों को प्रेम और स्नेह देती थी और आज भी उतना ही करती है , और जो नहीं करती उनके अंदर शायद " माँ " की ममता नहीं है ! क्योंकि आजकल कई घटनाएं हमारे सामने ऐसी आती हैं और कई घटनाएँ घट चुकी है जो कहीं ना कहीं हमें " माँ " और उसके महत्त्व से दूर कर देती हैं ! किन्तु इस तरह की घटनाएँ तो अपवाद हैं जो होते रहते हैं कभी कभी ! एक सत्य ये भी है कि , आज सिर्फ पढ़ा लिखा और जाग्रत युवा ही जानता है कि , Mother's-Day क्या होता है ? यह दिन क्यों और किसको समर्पित होता है ? शायद एक वर्ग पढ़ा लिखा और अनपढ़ वर्ग ऐसा भी है जिसे तो यह भी नहीं मालूम की यह दिन कब आता है ? क्या होता है इस दिन ? "माँ " को याद करलो " माँ " में सम्मान में दो - चार बड़ी - बड़ी और अच्छी - अच्छी बातें करके , बस हो गया Mother's-Day ! हिंदुस्तान में एक बहुत बड़ा तबका ऐसा हैं जिसे अपनी "माँ " का जन्मदिन तक याद नहीं ! लेकिन इसके आलावा उसे सारे दिन याद हैं ! मसलन आप सभी जानते होंगे ......... आज का इंसान , इंसान को पूरी तरह भूल चुका है तो क्या मायने रखता है उसके लिए कोई भी दिन ! आज एक प्रश्न है हम सबके लिए आज " माँ " को जो सम्मान मिलना चाहिए क्या वो उसे आज मिल रहा है ? क्या हमें Mother's Day पर ही अपनी " माँ " को याद करना चाहिए ? क्या आज की अतिआधुनिक्तावादी और पाश्चत्य संस्कृति में डूबी हमारी युवा पीड़ी भी समझती है Mother's Day का मतलब ! कभी वह अपनी " माँ " के सम्मान में भी कुछ करती हैं ! " माँ " तो सिर्फ इतना चाहती हैं कि उसके बच्चे उसे कभी ना भूलें जब तक वह जीवित है ! बस थोडा सा सम्मान जो उसे मिलना चाहिए और जो उसका हक है ! इसके अलावा वह कभी भी कुछ नहीं चाहती और ना कभी चाहेगी ! लेकिन हम सभी को Mother's Day पर ही नहीं अपितु जीवन भर उसका मान - सम्मान करना चाहिए वो अच्छी हो या बुरी पर " माँ " तो " माँ " होती है ! क्योंकि उसका एक ऐसा कर्ज होता है हम सब के ऊपर जो हम मरकर भी नहीं उतार सकते ! क्योंकि वो हमारी " जन्म-दात्री " है , जिसके कारण हम यह संसार देख पाए , और देख पाए दुनिया भर की नेमतें जो उसने हजारों कष्ट सहकर हम सब को दी !

" माँ " तेरा सम्मान कभी इस दिल से कम ना होगा भले ही तू अपने बच्चों पर विश्वाश करे ना करे , तू हमेशा से मेरे लिए पूज्यनीय रही है , और जब तक जीवित हूँ तब तक रहेगी , मेरी सारी गलतियों को माफ़ कर ! तू क्षमा कर अपने नादाँ बच्चों को और बनाये रख अपना आशीर्वाद हम बच्चों पर !

विश्व की समस्त " माँ " को मेरा चरण वंदन प्रणाम और सादर नमस्कार

धन्यवाद






9 comments:

  1. माँ बिन यह दिन भी नहीं होता है।

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  2. जब तक आप जैसे पुत्र हैं, शायद ही कोई माँ दुखी होगी। यही भावना बनाए रखें।

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  3. माँ को मेरा भी नमन...

    बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.

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  4. बस सब एक दिन मना कर पूरा साल माँ को पूछते नही फिर भी बहुत से ऐसे बेटे बेटियाँ हैं जिन के कारण माँ के रिश्ते की गरिमा बची हुयी है। सार्थक पोस्ट। आशीर्वाद।

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  5. सार्थक एवं सुन्दर लेख ....
    माँ के चरणों में जिंदगी का सबसे बड़ा सुख मिलता है .....कोटि-कोटि नमन माँ का

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  6. bahut hi sateek vyangaatmak aalekh.......

    ek din hi kyu?? roj mothers day hona chahiye....

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  7. बढ़िया प्रस्तुति.....संजय जी
    मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं....

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  8. ek saarthak jeevan jeene ke liye "MAA AUR MAA KE AASHIRWAAD" ka hona bahut jaruri hai.baut sunder aalekh kiya hai.....

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  9. nice page
    http://shayaridays.blogspot.com

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