Thursday, May 26, 2011

इस बार फिर टूटे , कई सपने कई उम्मीदें .....>>> संजय कुमार

हर इंसान सपने देखता है ! हमारे देश में ऐसे हजारों - लाखों लोग हैं जिनके कई सपने , कई उम्मीदें दिन - प्रतिदिन टूटती हैं ! जिनके सपने टूटते हैं , जिनकी उम्मीदें टूटती हैं , उनमें ज्यादातर गरीब , मजबूर , लाचार और बेरोजगार ही होते हैं ! क्योंकि इस देश में आज इन लोगों की सुनने वाला कोई नहीं है ! किन्तु आज मैं यहाँ जिनकी बात कर रहा हूँ वो हैं हमारा आने वाला कल यानी इस देश का भविष्य , इस देश के नौनिहाल , वो बच्चे जो ग्रामीण परिवेश में जन्म लेते हैं ! जिनकी जिंदगी गाँव में शुरू होती हैं और गाँव में ही खत्म हो जाती है ! मैं बात कर रहा हूँ ग्रामीण बच्चों की होने वाली शादियों की जिसे हम सब " बाल -विवाह " के नाम से जानते हैं ! भारत में प्रतिबर्ष एक दिन ऐसा होता है जिस दिन एक - दो - सौ नहीं बल्कि लाखों शादियाँ होती हैं ! अक्षय-तृतीया, भारत में शादी-विवाह का एक सबसे बड़ा मुहूर्त वाला दिन , ऐसा दिन जिस दिन बिना मुहूर्त के भी शादी हो जाती है ! कहा जाता हैं इस दिन होने वाली शादी को किसी भी मुहूर्त की जरूरत नहीं पड़ती , कोई भी मुहूर्त इस दिन से बड़ा नहीं होता ! लाखों युवा इस दिन परिणय सूत्र में बंधते हैं ! लाखों युवा अपना मन - पसंद साथी चुनते हैं और अपने सपनो को पूरा करते हैं और सुनहरे भविष्य की उम्मीद के साथ जीवनपथ पर आगे बढ़ते हैं ! चारों तरफ खुशियाँ , नाच - गाना और खुशनुमा माहौल होता है ! किन्तु इन शादियों में कई शादियाँ ऐसी होती हैं जहाँ कईयों के सपने टूटते हैं कईयों की उम्मीदें टूटती हैं ! इन शादियों में कई परिणय सम्बन्ध ऐसे होते हैं जहाँ दूल्हा -दुल्हन ऐसे अबोध और मासूम बच्चे -बच्चियां होते हैं जिनकी उम्र महज दस से पंद्रह बर्ष के बीच होती है ! " बाल-विवाह " की वेदी पर वलि चढ़ा दी जाती हैं ! ऐसे " बाल-विवाह " के साथ कुचल दिए जाते हैं हजारों लाखों सपने और उमीदें और बचपन ऐसा बचपन जो अभी तक इन्होने पूरी तरह से देखा भी नहीं था ! आज कितने ही अरमान, कितने ही सपने जो इन नन्ही आँखों ने देखे थे सब कुछ वलि चढ़ा दिया जाता है ! कभी झूंठी परम्पराओं के नाम पर तो कभी गरीबी के नाम पर ! कुछ बच्चियां इंसान के लालच के कारण बलि चढ़ा दी जाती हैं तो कुछ सरकार की अनदेखी के कारण ! शायद ही आज तक कोई आम आदमी किसी भी " बाल-विवाह " को होने से रोक पाया हो ! जब सरकार ही कुछ नहीं कर पाती और सब कुछ हो जाता है वो भी सरकार की नाँक के नीचे , फिर भला आम आदमी की क्या चलती ! जब बच्चों के दुश्मन उनके अपने माँ-बाप ही हों तो कोई क्या कर सकता हैं ! जब इनके माँ-बाप ही अपने कर्तव्यों और दायित्वों को बोझ समझते हों तो फिर कोई क्या कर सकता है ! बोझ उतारने के लिए चढ़ा दी वलि अपने ही बच्चों की ! समय से पहले ही ऐसे बच्चों को घुट-घुट कर मरने के लिए और अपना जीवन समाप्त समाप्त करने के लिए मजबूर कर देते हैं उनके माँ-बाप ! " बाल-विवाह " करवाने वाले माँ-बाप ! आज हमारी सरकार कितने भी बड़े बड़े वादे करती हो किन्तु आज भी इस देश में " बाल-विवाह " जैसे अपराध हो रहे हैं ! हमारी सरकार भले ही कहती रहे की हमारा देश तरक्की कर रहा है आगे बढ़ रहा है हम इक्किसंवी सदी में विकसित देशों की श्रेणी में आ रहे हैं ! हमारे यहाँ सभी को स्वंतंत्रता है ! हम भी अन्य देशों की तरह आधुनिक हो गए हैं ! आज हमारा देश विश्व पटल पर अपनी एक अच्छी छवि रखता है ! इसके उदाहरण भी हम और हमारी सरकार देती रहती है ! किन्तु कितने ही " बाल-विवाह " इस देश में एक दिन में हो जाते हैं ! किन्तु सरकार को यह सब कभी नहीं दिखाई देता ! सरकार कभी भी समय पर नहीं जागती , जब जागती है तब तक बहुत कुछ हो चुका होता है ! किन्तु अब सरकार को चेत जाना चाहिए इन " बाल-विवाहों " को रोकने के लिए और बर्बाद होते बचपन को बचाने के लिए !
आज "बाल -विवाह " से उपजे ऐसे कई सवाल हैं , कई समस्याएं हमारे सामने हैं , जिनका जबाब हमारी सरकार के साथ - साथ हमारे पास भी नहीं हैं ! क्या कभी सरकार और हम ऐसे अपराधों को रोक पायेंगे ? बच्चे जिस उम्र में पढ़ते - लिखते हैं , हजारों सपने सुनहरे भविष्य के देखते हैं , उन्हें उस उम्र में धकेल दिया जाता हैं नरक सी जिंदगी जीने को , पर ये मासूम क्या कर सकते हैं ? करना हम सबको है ! करना हमारी सरकार को है !
यदि कहीं से " बाल-विवाह " की सूचना आपको मिले तो उसकी जानकारी आप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारीयों तक अवश्य पहुंचाएं ! और ना टूटने दें कई सपने कई उम्मीदें !


धन्यवाद

13 comments:

  1. इस कुप्रथा को ख़त्म करने के सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता है | पुलिस ,कानून तो बाद कीबात है एक जरुरी आलेख ,आभार ...

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  2. 'बाल विवाह' के सबसे बड़े दोषी बच्चों के माता-पिता या अभिभावक ही होते हैं | अगर कहीं कोई शिकायत भी करता है तो सम्बंधित समाज उसे ही तिरस्कार की निगाह से देखने लगता है | प्रशासन भी इस मामले में बिलकुल
    उदासीन रहता है और कभी भी स्वतः संज्ञान नहीं लेता | इसे रोकने के लिए हम सभी अभिभावकों को स्वयं तो जागरूक होना ही चाहिए साथ ही साथ समाज को भी जागरूक करना चाहिए |

    ................समाज हित के मुद्दे को उठानेवाला सार्थक लेख

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  3. विचारणीय आलेख जागरुकता को प्रेरित करता है।

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  4. 'बाल विवाह' के सबसे बड़े दोषी बच्चों के माता-पिता या अभिभावक ही होते हैं |जागरुकता को प्रेरित करता आलेख ...

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  5. 'बाल विवाह'के दोषी अभिभावक ही होते हैं
    जागरुकता भरा विचारणीय आलेख.......संजय जी

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  6. Jabtak samaj me vaicharik pariwartan nahee aayega, baal wivaah jaisee ku-prathayen jaaree rahengee...koyee qanoon unhen rok nahee sakta!

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  7. भविष्य बनाने के पहले स्वाहा हो जाता है बच्चों का भविष्य।

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  8. एक जागरूकता बढाता आलेख गुजरात में तो बड़े शहर गांव हर जगह बाल विवाह ही होते रहते हैं पर कहीं कुछ नहीं होता

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  9. अशिक्षा व बाल विवाहों को चोली दामन का सा साथ है.

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  10. बहुत सुंदर, जागरूकता बढाता आलेख
    विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

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  11. samaj ko jagaruk karata ek achcha aalekh....

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  12. बाल विवाह पर लिखा गया आपका यह आलेख समाज में जागरूकता फैलाने के लिए महत्वपूर्ण है ...आपका आभार

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  13. " बाल-विवाह " कलंक है समाज पर...
    जागरूकता बढ़ाने वाले लेख के लिए आभार.

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