हर इंसान सपने देखता है ! हमारे देश में ऐसे हजारों - लाखों लोग हैं जिनके कई सपने , कई उम्मीदें दिन - प्रतिदिन टूटती हैं ! जिनके सपने टूटते हैं , जिनकी उम्मीदें टूटती हैं , उनमें ज्यादातर गरीब , मजबूर , लाचार और बेरोजगार ही होते हैं ! क्योंकि इस देश में आज इन लोगों की सुनने वाला कोई नहीं है ! किन्तु आज मैं यहाँ जिनकी बात कर रहा हूँ वो हैं हमारा आने वाला कल यानी इस देश का भविष्य , इस देश के नौनिहाल , वो बच्चे जो ग्रामीण परिवेश में जन्म लेते हैं ! जिनकी जिंदगी गाँव में शुरू होती हैं और गाँव में ही खत्म हो जाती है ! मैं बात कर रहा हूँ ग्रामीण बच्चों की होने वाली शादियों की जिसे हम सब " बाल -विवाह " के नाम से जानते हैं ! भारत में प्रतिबर्ष एक दिन ऐसा होता है जिस दिन एक - दो - सौ नहीं बल्कि लाखों शादियाँ होती हैं ! अक्षय-तृतीया, भारत में शादी-विवाह का एक सबसे बड़ा मुहूर्त वाला दिन , ऐसा दिन जिस दिन बिना मुहूर्त के भी शादी हो जाती है ! कहा जाता हैं इस दिन होने वाली शादी को किसी भी मुहूर्त की जरूरत नहीं पड़ती , कोई भी मुहूर्त इस दिन से बड़ा नहीं होता ! लाखों युवा इस दिन परिणय सूत्र में बंधते हैं ! लाखों युवा अपना मन - पसंद साथी चुनते हैं और अपने सपनो को पूरा करते हैं और सुनहरे भविष्य की उम्मीद के साथ जीवनपथ पर आगे बढ़ते हैं ! चारों तरफ खुशियाँ , नाच - गाना और खुशनुमा माहौल होता है ! किन्तु इन शादियों में कई शादियाँ ऐसी होती हैं जहाँ कईयों के सपने टूटते हैं कईयों की उम्मीदें टूटती हैं ! इन शादियों में कई परिणय सम्बन्ध ऐसे होते हैं जहाँ दूल्हा -दुल्हन ऐसे अबोध और मासूम बच्चे -बच्चियां होते हैं जिनकी उम्र महज दस से पंद्रह बर्ष के बीच होती है ! " बाल-विवाह " की वेदी पर वलि चढ़ा दी जाती हैं ! ऐसे " बाल-विवाह " के साथ कुचल दिए जाते हैं हजारों लाखों सपने और उमीदें और बचपन ऐसा बचपन जो अभी तक इन्होने पूरी तरह से देखा भी नहीं था ! आज कितने ही अरमान, कितने ही सपने जो इन नन्ही आँखों ने देखे थे सब कुछ वलि चढ़ा दिया जाता है ! कभी झूंठी परम्पराओं के नाम पर तो कभी गरीबी के नाम पर ! कुछ बच्चियां इंसान के लालच के कारण बलि चढ़ा दी जाती हैं तो कुछ सरकार की अनदेखी के कारण ! शायद ही आज तक कोई आम आदमी किसी भी " बाल-विवाह " को होने से रोक पाया हो ! जब सरकार ही कुछ नहीं कर पाती और सब कुछ हो जाता है वो भी सरकार की नाँक के नीचे , फिर भला आम आदमी की क्या चलती ! जब बच्चों के दुश्मन उनके अपने माँ-बाप ही हों तो कोई क्या कर सकता हैं ! जब इनके माँ-बाप ही अपने कर्तव्यों और दायित्वों को बोझ समझते हों तो फिर कोई क्या कर सकता है ! बोझ उतारने के लिए चढ़ा दी वलि अपने ही बच्चों की ! समय से पहले ही ऐसे बच्चों को घुट-घुट कर मरने के लिए और अपना जीवन समाप्त समाप्त करने के लिए मजबूर कर देते हैं उनके माँ-बाप ! " बाल-विवाह " करवाने वाले माँ-बाप ! आज हमारी सरकार कितने भी बड़े बड़े वादे करती हो किन्तु आज भी इस देश में " बाल-विवाह " जैसे अपराध हो रहे हैं ! हमारी सरकार भले ही कहती रहे की हमारा देश तरक्की कर रहा है आगे बढ़ रहा है हम इक्किसंवी सदी में विकसित देशों की श्रेणी में आ रहे हैं ! हमारे यहाँ सभी को स्वंतंत्रता है ! हम भी अन्य देशों की तरह आधुनिक हो गए हैं ! आज हमारा देश विश्व पटल पर अपनी एक अच्छी छवि रखता है ! इसके उदाहरण भी हम और हमारी सरकार देती रहती है ! किन्तु कितने ही " बाल-विवाह " इस देश में एक दिन में हो जाते हैं ! किन्तु सरकार को यह सब कभी नहीं दिखाई देता ! सरकार कभी भी समय पर नहीं जागती , जब जागती है तब तक बहुत कुछ हो चुका होता है ! किन्तु अब सरकार को चेत जाना चाहिए इन " बाल-विवाहों " को रोकने के लिए और बर्बाद होते बचपन को बचाने के लिए !
आज "बाल -विवाह " से उपजे ऐसे कई सवाल हैं , कई समस्याएं हमारे सामने हैं , जिनका जबाब हमारी सरकार के साथ - साथ हमारे पास भी नहीं हैं ! क्या कभी सरकार और हम ऐसे अपराधों को रोक पायेंगे ? बच्चे जिस उम्र में पढ़ते - लिखते हैं , हजारों सपने सुनहरे भविष्य के देखते हैं , उन्हें उस उम्र में धकेल दिया जाता हैं नरक सी जिंदगी जीने को , पर ये मासूम क्या कर सकते हैं ? करना हम सबको है ! करना हमारी सरकार को है !
यदि कहीं से " बाल-विवाह " की सूचना आपको मिले तो उसकी जानकारी आप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारीयों तक अवश्य पहुंचाएं ! और ना टूटने दें कई सपने कई उम्मीदें !
धन्यवाद
इस कुप्रथा को ख़त्म करने के सामाजिक जागरूकता की आवश्यकता है | पुलिस ,कानून तो बाद कीबात है एक जरुरी आलेख ,आभार ...
ReplyDelete'बाल विवाह' के सबसे बड़े दोषी बच्चों के माता-पिता या अभिभावक ही होते हैं | अगर कहीं कोई शिकायत भी करता है तो सम्बंधित समाज उसे ही तिरस्कार की निगाह से देखने लगता है | प्रशासन भी इस मामले में बिलकुल
ReplyDeleteउदासीन रहता है और कभी भी स्वतः संज्ञान नहीं लेता | इसे रोकने के लिए हम सभी अभिभावकों को स्वयं तो जागरूक होना ही चाहिए साथ ही साथ समाज को भी जागरूक करना चाहिए |
................समाज हित के मुद्दे को उठानेवाला सार्थक लेख
विचारणीय आलेख जागरुकता को प्रेरित करता है।
ReplyDelete'बाल विवाह' के सबसे बड़े दोषी बच्चों के माता-पिता या अभिभावक ही होते हैं |जागरुकता को प्रेरित करता आलेख ...
ReplyDelete'बाल विवाह'के दोषी अभिभावक ही होते हैं
ReplyDeleteजागरुकता भरा विचारणीय आलेख.......संजय जी
Jabtak samaj me vaicharik pariwartan nahee aayega, baal wivaah jaisee ku-prathayen jaaree rahengee...koyee qanoon unhen rok nahee sakta!
ReplyDeleteभविष्य बनाने के पहले स्वाहा हो जाता है बच्चों का भविष्य।
ReplyDeleteएक जागरूकता बढाता आलेख गुजरात में तो बड़े शहर गांव हर जगह बाल विवाह ही होते रहते हैं पर कहीं कुछ नहीं होता
ReplyDeleteअशिक्षा व बाल विवाहों को चोली दामन का सा साथ है.
ReplyDeleteबहुत सुंदर, जागरूकता बढाता आलेख
ReplyDeleteविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
samaj ko jagaruk karata ek achcha aalekh....
ReplyDeleteबाल विवाह पर लिखा गया आपका यह आलेख समाज में जागरूकता फैलाने के लिए महत्वपूर्ण है ...आपका आभार
ReplyDelete" बाल-विवाह " कलंक है समाज पर...
ReplyDeleteजागरूकता बढ़ाने वाले लेख के लिए आभार.