आज क्यों हमारे हाँथ अपनों के खून से रंग रहे हैं ? क्यों आज हम अपनों का खून बहा रहे हैं ? क्यों अपनी खुशियों को मातम में बदल रहे हैं ? क्यों हँसते खेलते परिवार को उजाड़ रहे हैं ? इस तरह के कई सवाल आज हमारे सामने खड़े हैं , जिनका जबाब होते हुए भी हम शायद जबाब ना दे पा रहे हैं ! आज हमारे देश में जहाँ देखो वहां बस यही ख़बरें देखने और सुनने को मिल रही हैं कि , पति - पत्नि ने गुस्से में आकर एक-दुसरे के साथ मारपीट कर डाली , अपने छोटे - छोटे बच्चों सहित खुदखुशी कर ली , तो कहीं " माँ " ने बच्चे के साथ बिल्डिंग से कूंदकर आत्महत्या करली , कहीं पति ने पत्नि को तो कहीं पत्नि ने पति की हत्या कर दी या हत्या की साजिश रच दी ! आज कल पति -पत्नि के बीच झगड़ा आम बात हो गयी है ! बात -बात पर एक - दुसरे को ताना मारना तो अब रोज की बात है ! एक पुत्र ने गुस्से में आकर अपने ही माँ-बाप को मार डाला , प्रेमी ने प्रेमिका की हत्या कर दी , किसी छात्र - छात्रा ने छत से कुन्दकर अपनी जान दे दी ! इस तरह की ख़बरें आज आम हो गयी हैं ! शायद ही कोई ऐसा परिवार हो जहाँ पारिवारिक झगडे ना हुए हों , वर्ना ........... क्यों हो रहा है यह सब ? क्या कारण है इन सब घटनाओं के पीछे ? क्यों आज इन्सान जल्दी अपनी सुध-बुध खो देता है और बन जाता है अपनों के खून का प्यासा ! और बन जाता है एक अच्छे हँसते - खेलते परिवार का दुश्मन ! इन सबका कारण हैं आज के इन्सान के पास सब्र का ना होना और है तो सब्र का बात - बात पर टूट जाना और इससे उत्पन्न होती हैं इस तरह की घटनाएँ !
कहा जाता है जब किसी इंसान का सब्र टूटता है तो कुछ अच्छा होता है या फिर बहुत बुरा , आज कल अच्छा तो नहीं लेकिन बुरा जरुर हो रहा है ! इसका कारण इंसान स्वयं है कारण है आज के इन्सान के अन्दर सब्र का ना होना , अगर है तो वो भी बहुत कम होना ! आज बहुत जल्दी लोगों का सब्र टूट जाता है , और इस जल्दबाजी में इंसान के हाँथ से बहुत कुछ निकल जाता है ! और फिर बाद में रह जाता है सिर्फ पछतावा और पश्चाताप जिसका मलाल जीवन भर रहता है ! हम सब के जीवन में भी कभी ना कभी ऐसा दिन जरुर आया होगा जब हमारे सब्र का बाँध टूटा होगा और हमने गुस्से में आकर कोई गलत निर्णय लिया होगा या गलत किया होगा ! जिससे हमारे सामने उपजे होंगे कई और कुछ गलत परिणाम और सवाल जिसका पछतावा आज कहीं ना कहीं हमारे मन में जरुर होगा ! और यह सब कुछ सब्र टूटने का परिणाम है ! आज क्यों टूटता जा रहा है इन्सान का सब्र ! इन सबके पीछे यह इन्सान ही है , इन्सान ने आज के इस दौर में अपने आपको इतना व्यस्त कर लिया है की वह अपनी किसी भी परेशानी या दुख में किसी बाहर वाले की दखलंदाजी नहीं चाहता ! जब हमारे घरों में होने वाली छोटी-छोटी बातें को हम जब अपने दिल में घर करने देते हैं तो यह छोटी-छोटी बातें एक दिन बड़ी घटनाओं का रूप ले लेती हैं ! आज जिस तरह का माहौल हमारे समाज में है वहां पर हम एक दुसरे से कहीं ना कहीं बड़े बनना चाहते हैं ! और कहीं ना कहीं इसमें हम लोग दिखावा ही करते हैं ! किसी भी बात पर झुकना नहीं चाहते ! जब हमारे अंदर ही इस तरह के भाव नहीं होंगे तो कहाँ पर टिकेंगे आज के पारिवारिक रिश्ते ! कहीं ना कहीं हमें इस और ध्यान देना होगा ! अपनी दुख तकलीफ को अपनों के साथ बांटें और बचें ऐसी किसी घटना के होने से , क्योंकि आज के समय में आपका परिवार ही आपकी ताक़त बन सकता है ! अब ना टूटने दें अपने सब्र को और ना बिखरने दें अपने परिवार को ! विश्वाश करें अपनों पर
धन्यवाद
कल की एक हृदय विदारक घटना है, एक इंजिनीयर पति ने पत्नी से झगडे के दौरान अपनी नौ मास की बेटी को पत्थर पर दे मारा। उसके वहीं प्राणान्त हो गए। आज सुबह समाचार-पत्र में इस घटना को पढ़कर दिमाग सुन्न हो गया।
ReplyDeleteआज बर्दाश्त का मादा खत्म हो गया है जिसके कारण ऐसा होता है।
ReplyDeletewaahh
ReplyDeleteअपनी दुख तकलीफ को अपनों के साथ बांटें और बचें ऐसी किसी घटना के होने से , क्योंकि आज के समय में आपका परिवार ही आपकी ताक़त बन सकता है ! अब ना टूटने दें अपने सब्र को और ना बिखरने दें अपने परिवार को ! विश्वाश करें अपनों पर ...
ReplyDeleteसचमुच..इसे सभी को अपने जीवन में उतारना चाहिए.
महत्वपूर्ण चिन्तन के लिए साधुवाद...
अब ना टूटने दें अपने सब्र को और ना बिखरने दें अपने परिवार को ! विश्वास करें अपनों पर....
ReplyDeleteसही और सार्थक बात।
सहमत हूँ मै भी आपसे !
स्वार्थ और यह आधुनिकता सब कुछ करा रही है !
ReplyDeleteएक कहावत के अनुसार काम खाओ ग़म खाओ सहनशीलता को जीवन का अंग बनाओ
ReplyDeleteसंबंधों पर इस सुन्दर आलेख हेतु आपको साधुवाद.
ReplyDeleteअपनी दुख तकलीफ को अपनों के साथ बांटें और बचें ऐसी किसी घटना के होने से ,,,,,,,,सुन्दर आलेख
ReplyDeleteApano par vishwas..........sahi kaha ..aur apano me sirf pariwar hi nahi adosi-padosi...dost aur samaaj ko bhi shamil kare...........
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