Tuesday, March 15, 2011

सात सुरों की सरगम ! क्या है कोई इससे बेहतर ? .........>>> संजय कुमार

इस दुनिया में , इस कायनात में बहुत सी चीजें ऐसी हैं जो इंसान के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बहुत उपयोगी हैं ! जैसे प्रकृति इंसान को जीवित रखने के लिए , ज्ञान पाप और पुन्य की परिभाषा के लिए ! धर्म , संस्कार और भी हैं जिनका महत्व इंसान के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है ! इन सब में संगीत का अपना ही अलग महत्त्व है ! इंसान के जीवन में संगीत का भी बहुत महत्व है ! क्योंकि संगीत से बेहतर इस दुनिया में कोई और दूसरी चीज नहीं है और ना कभी होगी ! क्योंकि संगीत सभी बन्धनों से आजाद है ! संगीत का कोई धर्म नहीं कोई मजहब नहीं है ! यह किसी जाति विशेष का गुलाम नहीं है ! संगीत का कोई रंग रूप नहीं है और ना ही कोई उसे किसी भी बंधन में बाँध सकता है ! संगीत न हिन्दू का है और ना मुसलमान का , संगीत सबका प्यारा है ! इस दुनिया में संगीत का कोई सानी नहीं ! जिस तरह इन्द्रधनुष के सात रंग होते हैं , ठीक उसी प्रकार संगीत में भी सात सुरों का संगम होता है ! जिस तरह इंसान के जीवन में सात वचनों का महत्व है , ठीक उसी प्रकार सात सुरों की सरगम का इंसान के जीवन से बहुत गहरा और पुराना नाता है ! संगीत क्या है ? इसका महत्त्व हम इतिहास के पन्ने पलटकर देख सकते हैं ! सेंकडों घराने हैं संगीत के वो भी एक से बढकर एक ! "अकबर" के नौ रत्नों में एक संगीत सम्राट " तानसेन " जो अपने संगीत से पानी में आग लगा देते थे , संगीत से बारिस भी करा देते थे ! संगीत जब बजता है तो अच्छे से अच्छा और बुरे से बुरा इंसान भी एक बार थिरकने पर मजबूर हो जाता है ! इतनी ताकत होती है संगीत में ! संगीत के कई रूप है ! कभी माँ की लोरी में तो कभी पिता की थपकी में , ईश्वरके भजन में तो अल्लाह की अजान में, संगीत रोते हुए लोगों को हंसाता है तो हँसते हुए लोगों को रुलाता भी है ! संगीत इंसान खुशियों में शामिल होता है तो गम में भी साथ देता है ! संगीत की पहुँच हर जगह है ! संगीत के देवाने अपने भी हैं और पराये भी, संगीत के चाहने वालों में दोस्त भी होते हैं और दुश्मन भी होते हैं ! कभी लैला के लिए मंजनू तो कहीं सोहनी का महिवाल , हीर का रांझा है संगीत ! संगीत तो निर्जीव में जान तक डाल सकता है ! अब बताएं हुआ न संगीत इस दुनिया में सबसे वेहतर ........ क्या और कोई है इससे बेहतर ! लेकिन जैसे - जैसे वक़्त बीत रहा है , संगीत की परिभाषा बदल रही हैं ! संगीत का अस्तित्व कहीं न कहीं आज की आधुनिकता की चकाचौंध में खोता जा रहा है ! अब संगीत में वह दम नहीं रहा जो पहले कभी हुआ करता था ! पहले कभी संगीत को नौ रत्नों में गिना जाता था, अब बो बात नहीं हैं ! अब संगीत का निर्माण ठीक ढंग से नहीं हो रहा है ! और जिस तरह का संगीत आजकल चल रहा है , उसको देखते हुए उसके चाहने वाले भी कम होते जा रहे हैं ! आज फूहड़ संगीत की ज्यादा डिमांड है ! आज उलटे - सीधे तरीके से संगीत का निर्माण किया जा रहा है वो भी सिर्फ पैसा बनाने के लिए ! आज भद्दा संगीत लोगों की पसंद बन गया है ! इसलिए संगीतकार भी उनको बही परोस रहे हैं ! कभी " मुन्नी बदनाम " तो कभी " शीला की जवानी " आज लोगों के पसंदीदा हो गए हैं ! आज इस तरह के गाने अवार्ड जीत रहे हैं ! आज जिस तरह का संगीत बन रहा है जिस तरह के गीत लिखे जा रहे हैं सब के सब व्यावसायिक , कुछ भी बनाओ कुछ भी सुनाओ और सिर्फ पैसा बनाओ ! आज का संगीत ज्यादातर अर्थहीन और उच्चारण ऐसा की " राम " और " रम " में अंतर करना मुश्किल ! कोई ग़ज़ल पर डिस्को कर रहा है तो कोई भजन पर डांस ! चारों तरफ सब कुछ उल्टा-पुल्टा ! किन्तु आज भी कई लोग ऐसे हैं जो पुराने और अर्थ सहित संगीत को सुनना पसंद करते हैं ! " ओल्ड इस गोल्ड " आज भी सबके प्रिये है !


आज संगीत अपनी पुरानी ताक़त और पुराना नाम लगभग मिटाता जा रहा है ! कृपया इसे बचाएं यह हमारी और आपकी धरोहर है ! इसके महत्व को जानें और समझें ! इसलिए मैं कहता हूँ की
संगीत से बेहतर कोई नहीं है ............... संगीत सदा अमर रहेगा
क्या आप भी इसके दीवाने हैं ?


सा रे गा माँ पा धा नी सा ..................


धन्यवाद

10 comments:

  1. पुराने गानों में रम जाने का मन करता था, आज के गानों में सुनामी लहरों सा जोर है।

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  2. आज जिस तरह का संगीत बन रहा है जिस तरह के गीत लिखे जा रहे हैं सब के सब व्यावसायिक , कुछ भी बनाओ कुछ भी सुनाओ और सिर्फ पैसा बनाओ ! आज का संगीत ज्यादातर अर्थहीन और उच्चारण ऐसा की " राम " और " रम " में अंतर करना मुश्किल !....


    बहुत सही कहा आपने....
    सांस्कृतिक गिरावट का दौर है....
    इस सार्थक लेख के लिए आपको हार्दिक बधाई।

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  3. आज संगीत अपनी पुरानी ताक़त और पुराना नाम लगभग मिटाता जा रहा है ! कृपया इसे बचाएं यह हमारी और आपकी धरोहर है ! इसके महत्व को जानें और समझें ! .....

    यह आलेख बहुत महत्वपूर्ण है....
    इस महत्वपूर्ण प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक बधाई।

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  4. मुझे तो पुराने गाने ही अच्छे लगते हैं ।

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  5. महत्वपूर्ण प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक बधाई।

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  6. बढ़िया लेख संजय जी !
    आज का संगीत वहां तक पहुँच पाने में असमर्थ है जहाँ तक पुराने गीत-संगीत की पहुँच है |

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  7. Badhiya, rochak post... Janmdin par shubhkaamnaaon sahit..

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  8. सात सुरों की सरगम के महत्व का उपयोगी जानकारीवर्द्धक आलेख.
    नया नौ दिन, पुराना सौ दिन...

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  9. वाकई ओल्ड इज गोल्ड ...शुभकामनायें !!

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  10. Dear sanjay ji,

    old is gold music ko bachane ki fir se aap ne chingari jalayee hai .
    ye zaroor rang layegi

    is article ke liye aap ko bahut badhai.

    regards
    sohail

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