जैसा की आप लोगों को मालूम होगा , आज-कल विश्व कप क्रिकेट महासंग्राम चल रहा है ! टिकटों के लिए मारा-मरी , टिकटों के लिए लाठी , लात-घूंसे सब कुछ खाने को तैयार क्रिकेट प्रेमी ! खचाखच भरे स्टेडियम , चारों तरफ शोर गुल ! दर्शकों के किसी झुण्ड से आवाज आती है चौका तो किसी झुण्ड से आवाज आती है छक्का ! कमेंट्री करने बाले कभी बोलते वो मारा शानदार चौका , तो कभी कहते वो मारा शानदार छक्का , आज पूरे देश में यही माहौल है ! आज पूरा देश छक्कों पर रोमांचित हो रहा है ! चारों तरफ छक्कों की डिमांड है ! आज देश में कोई शाहरुख़ खान के "Six-packs" का दीवाना है, तो कोई युवराज के छ: छक्कों का, ( आज युवराज को छह छक्कों के लिए ज्यादा जाना जाता है ) तो कोई सचिन-सहवाग के छक्कों का दीवाना है ! आज हर कोई दीवाना सा हो गया है इन छ: का ! अभी पिछले दिनों भारत - ऑस्ट्रेलिया के बीच टेस्ट मैच के दौरान आखरी दिन जब भारत को जीत के लिए छ रन कि जरूरत थी तब पूरा स्टेडियम और पूरा देश सिर्फ एक ही चीज मांग रहा था ! "We Want Sixer" उस वक़्त पूरा देश , हर क्रिकेट प्रेमी बस यही दुआ कर रहा था , काश कैसे भी करके भारत को एक छक्का मिल जाये तो आज देश की लाज बच जाये ! लेकिन उस वक़्त देश को छक्का तो नहीं मिला, फिर भी भारत उस मैच में विजयी रहा ! भारत की जीत के साथ पूरे देश में ख़ुशी कि लहर दौड़ गयी ! ( आखिर कंगारुओं को जो हराया था ) फिर क्रिकेट प्रेमी हो या साधारण व्यक्ति सब खुश थे भारत की जीत के साथ ! जब मैच के दौरान सभी के मुँह से छक्के की डिमांड को सुना तो , उस वक़्त मेरे दिमाग में एक प्रश्न उठा कि , पूरा देश आज जिस छक्के कि डिमांड कर रहा है , और जिसके लिए भारत की इज्जत आज दांव पर लगी है वह कितना महत्वपूर्ण है इस देश के लिए ! उस वक़्त मैंने थोडा सा इसके विपरीत सोचा , कि भगवान् ने या प्रकृति ने जिस तीसरी नस्ल इंसानों में किन्नर, हिजड़ा या छक्का बनाया है , उसे हम और हमारा समाज आज किस नजर से देखता है ! यह बात हम सब जानते है ! एक छक्के से देश की इज्जत बच जाती है, तो कहीं देश में छक्कों की कोई इज्जत नहीं है ! उन्हें हम सिर्फ घ्रणा की द्रष्टि से देखते हैं ! उसका भी कारण है , उसका कारण वह स्वयं हैं ! किसी भी छक्के के लिए जीवन भर का श्राप , अपमान और तिरश्कार भरा जीवन ! किन्नरों के लिए यह छक्का शब्द शायद हम लोगों द्वारा ही ईजाद किया हुआ नाम है ! क्योंकि हमारे पुराणों में तो छक्का शब्द कहीं नहीं है ! ऐसे लोगों को किन्नर जाती के नाम से जाना जाता था ! सबसे बड़े पुराण " महाभारत " में तो आपने पढ़ा ही होगा " शिखंडी " जिन्होंने किन्नर के रूप में जन्म लिया था ! जो " भीष्म पितामह " के वध का कारण बना था ! अगर " शिखंडी " नहीं होते तो महाभारत का अंत नहीं होता क्योंकि " भीष्म पितामह " को इक्षा मृत्यु का वरदान प्राप्त था ! पुराणों में भी किन्नरों ने अपना योगदान दिया ! आज भी कहीं ना कहीं इनकी आवश्यकता हम आम इंसानों को होती है ! आज भी हमारे यहाँ किसी बच्चे के जन्म या शादी समारोह पर जब तक किन्नर आकर अपना नेग नहीं ले जाते कुछ लोगों को अधूरा सा लगता है ! कुछ लोगों में देखा है की जब तक कोई किन्नर उसके नवजात बच्चे को आशीर्वाद नहीं दे देता तब तक उसको किसी और का आशीर्वाद नहीं लगता ! सबकी अपनी - अपनी मान्यता है ! हर युग में इंसानों के लिए इनकी उपयोगिता है ! इनको यह रूप तो भगवान् के द्वारा ही दिया हुआ है ! खैर इनकी डिमांड तो हमेशा बनी रहेगी ! जब तक प्रथ्वी पर इंसानी जीवन है तब तक किन्नर भी रहेंगे !
आज के आधुनिक युग के युवाओं में काफी जोश देखा जाता है "Six-packs" के लिए ! हर क्षेत्र में है छह ( Sixer ) की डिमांड ! ..........................( एक छोटी सी बात )
धन्यवाद
सच कहा है
ReplyDeleteहम जो चाहते हैं वह मिल जाता है, पर वहाँ नहीं मिलता जहाँ हम चाहते हैं।
ReplyDeleteबढ़िया छक्का ..
ReplyDeleteअखिर तुमने भी छक्का लगा ही दिया वाह बेटा। बधाई।
ReplyDeleteअच्छा लेख ....बढ़िया छक्का मारा !
ReplyDeleteछक्कों की अच्छी व्याख्या की आपने...मजा आ गया....
ReplyDeleteलाजवाब....
टिकटों के लिए मारा-मरी , टिकटों के लिए लाठी , लात-घूंसे सब कुछ खाने को तैयार क्रिकेट प्रेमी !.....
ReplyDeleteबहुत दिलचस्प ....
achchha aalekh, poorv me bhi is vishay par kai gambheer aur saarthak charchaayen huin aur kai blogger aur sangathan hinjdon ke jeevan-saamajik star me sudhaar ke liye pryaasrat bhee hain. lekin na chaah kar bhee ek sudhaar ki aavashyakta hai ki 'Kinnar' shabd media ki upaj hai yah pauranik ya aitihaasik shabd nahin hai aur iska pryog yahan karna anuchit hai. asal me kinnar to ek alag hi prajaati hai jinme hamari tarah purush aur stree hote hain Sanjay ji. punah badhaai.
ReplyDeletenice post .
ReplyDeleteAsha
i think is's a nice shot sir ji
ReplyDeleteआपने बहुत खुबसूरत शब्दों में किन्नरों को परिभाषित किया है और हाँ आपका कहना बिल्कुल सही है की छक्का शब्द भी इनको समाज के द्वारा ही दिया गया है और मुझे लगता है हमे इनके प्रति दिल में कोई गलत भावना नहीं रखनी चाहिए | ये भी इसी समाज का अंग ही हैं फिर इनको दूसरी नज़र से क्यु देखना जिससे इनके के दिल अपने प्रति नफ़रत हो और वो हममे इसे निकालें | मुझे तो लगता है इनके व्यव्हार का कारण समाज द्वारा पूरी इज्ज़त न दिए जाने का भी हो सकता है जिसको इन्होने अपनी ताक़त बना कर इसे अपना व्यवसाय का रूप बना लिया है और अपने अन्दर लोगो के सामने इस तरह की तस्वीर बना ली है की हमसे सब डरे क्युकी पेट तो पलना ही है एसे नहीं तो वैसे ही सही |
ReplyDeleteसुन्दर विषय |
नमस्कार
ReplyDeleteआपका ह्रदय से आभारी हूँ ,
आपने मुझे प्रोत्साहित किया यूँ ही अपना मार्गदर्शन देते रहना ताकि और
भी प्रगति कर पाऊं ....आपका धन्यवाद
aap sabhi ka dhnyvaad
ReplyDeleteमजा आ गया
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