चेतावनी.... वैसे होती तो है हम लोगों को सतर्क और सावधान रहने के लिए , दुर्घटना होने से बचाने के लिए , हमारी जान-माल की रक्षा के लिए ......... किन्तु होता क्या है ? क्या हम कहीं भी लिखी हुई चेतावनी , सन्देश , नियम का पालन करते हैं ? जबाब हमेशा ना में ही होगा ! बरसात का मौसम आते ही हमारे देश में पिकनिक , पार्टियाँ , सैर - सपाटा , युवाओं का टोलियों में घूमना - फिरना लगभग हर राज्य हर शहर और गांवों में बड़ी संख्या में देखा जा सकता है ! खासकर बहते पानी , उफनते नदी ,तालाब के आसपास जैसे बड़ी-बड़ी नदियाँ , कुण्ड, ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से गिरते हुए झरने , बाँध आदि स्थानों पर इस मौसम में जरुरत से ज्यादा ही भीड़-भाड़ देखी जाती है ! हम लोग भी ऐसे मौसम का लुत्फ़ उठाने के लिए अपने यार- दोस्तों , परिवार , पत्नि , और बच्चों के साथ अच्छे दिन की कामना और मन में सुहाने पलों को सजाते हुए निकल पड़ते हैं अपने आस-पास के " पिकनिक स्पौट " पर ! हमारे देश में सेंकड़ों ऐसी जगह हैं जो प्रकृति का बेजोड़ नमूना हैं और अपने आप में बेमिसाल हैं ! " कश्मीर से कन्याकुमारी " तक सेंकड़ों प्रकृति के नज़ारे हैं ! किन्तु कभी - कभी हम लोग " सैर - सपाटे " और मनोरंजन में इतना व्यस्त और लापरवाह हो जाते हैं कि , अकस्मात आये हुए खतरों और मुसीबतों से अपने आपको ना तो संभाल पाते हैं और ना अपने आपको बचा पाते हैं ! और इसका कारण होता है हमारी लापरवाही और किसी भी चेतावनी को हल्के में लेने के कारण ! अभी कुछ दिनों पहले " इंदौर " के " पातालपानी " में हुई ह्रदय विदारक घटना जिसमे एक हँसता खेलता परिवार कुछ सेकेंडों में बिखर गया ! क्यों ............? सिर्फ हमारी लापरवाही के कारण ...... लिखी हुई चेतावनी को नजरअंदाज कर , ऐसा हमेशा होता है , कहीं भी लिखी हुई किसी भी चेतावनी को हम एक साधारण बात समझकर अपनी मस्ती में मस्त हो जाते हैं और एक मौत की लहर जब सब कुछ खत्म कर आगे निकल जाती है तो हमारे पास रह जाता है पछतावा सिर्फ पछतावा जीवन भर , अपनी गलतियों का ! अक्सर हम लोगों ने कई बार सड़क पर चलते हुए , ट्रकों और बसों पर लिखा देखा है ! वाहन गति ४०/ किलोमीटर , जगह मिलने पर साईड दी जाएगी , आदि ..... क्या मायने रखते हैं इस तरह की चेतावनी या लिखी हुई कोई बात ! मत भूलिए इस तरह की चेतावनी या सन्देश हमारे जीवन को बचाने के लिए होते हैं पर हम उन पर बिलकुल भी ध्यान नहीं देते और सड़कों पर अपने वाहन इस तरह दौडाते हैं जैसे कोई रेश प्रतियोगिता हो रही हो और हम भूल जाते हैं वह सब कुछ जो हम दिनरात देखते और पढ़ते रहते हैं ! हम बार - बार गलतियाँ करते हैं और उसका खामियाजा हम लोगों को कभी - कभी अपनी या अपनों की जान देकर चुकाना पड़ता है !
सरकार ने ऐसे सभी पर्यटन स्थलों पर चेतावनियाँ लिखवा रखी हैं जहाँ जान ( मरने ) जाने की सम्भावना अधिक है या किसी भी तरह का खतरा ज्यादा है ! सरकार तो हमारे जीवन के प्रति सचेत है या नहीं ये तो हम सब अच्छे से जानते हैं ! हमारा जीवन तो अमूल्य है ! किसी भी लिखी हुई चेतावनी , सन्देश , या नियम - कानून को आप सिर्फ लिखा हुआ ना समझें ! क्योंकि हर लिखी हुई बात का कुछ ना कुछ मतलब जरुर होता है और जो जीवन से जुडी हुई हो उन पर जरा ज्यादा ही गौर कीजिए ! कहीं ऐसा न हो हमारे जीवन को हमारी ही बुरी नजर लग जाये !
धन्यवाद
इस दुखद घटना से सबक लेना चाहिये। शुभकामनायें।
ReplyDeleteबड़ी हृदयविदारक घटना थी, सावधानी बरतनी चाहिये पानी छोड़ने के पहले भी।
ReplyDeleteसही कहा आपने हमें हमेशा सचेत रहना चाहिए ................सावधानी हटी और दुर्घटना घटी
ReplyDeleteshi kaha aap ne
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने।
ReplyDeleteबिल्कुल सही कहा आपने...हमें गलतियों से सीखना चाहिए...
ReplyDeleteबिलकुल सही लिखा है आपने संजय भाई ...
ReplyDeleteविचारणीय एवं ध्यान देने योग्य जीवनोपयोगी बातें निहित हैं आपके लेख में ..
हमारा जीवन तो अमूल्य है ! किसी भी लिखी हुई चेतावनी , सन्देश , या नियम - कानून को आप सिर्फ लिखा हुआ ना समझें ! क्योंकि हर लिखी हुई बात का कुछ ना कुछ मतलब जरुर होता है और जो जीवन से जुडी हुई हो उन पर जरा ज्यादा ही गौर कीजिए ! कहीं ऐसा न हो हमारे जीवन को हमारी ही बुरी नजर लग जाये !
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत तरीके से जीवन को जीने के गुर सिखाती हुई खूबसरत रचना |एक सकारात्मक सोच के साथ बहुत खूब दोस्त जी |
बहुत ही सटीक बिंदु है हमें हमेशा सजग रहना चाहिए ...
ReplyDeleteबात तो आपकी बिल्कुल ठीक है - हमें इस तरह से जीवन से नहीं खेलना चाहिए, चेतावनी पर ध्यान देना चाहिए |
ReplyDeleteपर क्या सरकार का फर्ज नहीं बनता कि जहाँ ऐसे ६५ घटनाएं हो चुकी हैं - वहां कम से कम जहाँ से पानी खाई में गिरता है - कम से कम वहां एक फेंसिंग हो? जैसी कि पहाड़ी सड़क के किनारे होती है? यहाँ - कर्नाटक में - जोग फाल्स है | इस फाल्स में कई बार पानी बिल्कुल नहीं होता, और कभी अचानक इसी तरह आ जाता है | तो वहां ऐसे कई जगहों पर - बोर्ड तो खैर लगे ही हैं, साथ ही जिस जिस जगह ऐसे वेर्टिकल फाल्स होते हैं और लोग जाते हैं बोर्ड्स के बावजूद - ऐसी कई जगहों पर फेंसिंग देखने में आती है | सिर्फ बोर्ड भर लगा कर क्या प्रशासन की ज़िम्मेदारी ख़त्म हो जाती है ?
hmm...aapne sahi baat ke liye sachet kiya..jiske liye pahale hi sachet hua jata to gatana na hoti...
ReplyDeleteinteresting blog.
ReplyDeleteइस चेताती पोस्ट के लिए आभार।
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चोंच में आकाश समा लेने की जिद..
इब्ने सफी के मायाजाल से कोई नहीं बच पाया।
shilpa ji,
ReplyDeleteaapki baat se main poori tarah sahmat hoon , sarkaar ko sabhi vyavasthayen karni chahiye , kintu aaj sarkaar aam janta ke liye kitni jaagruk hai, hum sab achchhi tarah se jaante hain , isliye humen apni suraksha ki jimmedari swyam leni hogi
blog par aakar apne vichar rakhne ke liye main aapka aur sabhi ka dhnyvaad karta hoon !
100 % pa ke sath hun..
ReplyDeletehamare yaha bhi aye... hame khusi hogi.
संजय कुमार चौरसिया जी,
ReplyDeleteनमस्कार,
आपके ब्लॉग को अपने लिंक को देखने के लिए कलिक करें / View your blog link "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|
संजय जी
ReplyDeleteनमस्कार !
बिलकुल सही लिखा है आपने