Saturday, July 9, 2011

नियति से ना लड़ .....>>>> संजय कुमार

कब तक रोये रे मानव ,
तू नियति से ना लड़ पायेगा ,
जब जो होना है सो होना है
उसे कौन टाल पायेगा ,
की जो कोशिश --
तो धुंए में लाठी चलाते खुद को पायेगा ,
इसलिए तू ना कर चिंता ,
बस चिंतन कर
और मुस्कुराये जा
दिल रोता है तो रोने दे ,
कुछ पल मत सुन उसकी
तू ठहाका मार हंस , बस यूँ ही ( वे मतलब )
दर्द से जब निकले गीत
तो बस गुनगुनाए जा ,


( प्रिये पत्नि गार्गी की कलम से )

धन्यवाद

10 comments:

  1. सुंदर अभिव्यक्ति आपका आभार और आपकी पत्नी को बधाई

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  2. वाह एक परिवार में दुगुनी प्रतिभा। रहे जायें, सहे जायें।

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  3. सब पूर्वनिश्चित होता है ..गार्गी जी को बधाई ..अच्छी प्रस्तुति के लिए

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  4. वाह क्या बात कही है गार्गी जी को बधाई।

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  5. वाह क्या बात कही है

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  6. जीवन्त विचारों की बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !

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  7. कब तक रोये रे मानव ,
    तू नियति से ना लड़ पायेगा ,
    जब जो होना है सो होना है
    उसे कौन टाल पायेगा ,


    कर्तव्यों के प्रति सचेत करती पंक्तियाँ......

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  8. दुख को तो सहना ही है चाहे रोकर या हंसकर...तो क्यों न हंसकर काटा जाए...
    बहुत सुंदर...

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