पुनः आपके समक्ष " काश हम कुत्ते होते " पार्ट ३ लेकर उपस्थित हुआ हूँ ! पहली दो पोस्ट अगर आप लोगों ने नहीं पढ़ीं हैं तो नीचे दी हुई लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते पर ! शायद आपको पसंद आये .
अगर पहला पार्ट पढ़ना हो तो ----
http://sanjaykuamr।blogspot.com/2010/06/blog-post_30.html/lcomments
दूसरा पार्ट ------ http://sanjaykuamr.blogspot.com/2010/10/blog-post_03.html/lcomments
जैसा की मेरी पिछली दोनों पोस्ट इस बिषय पर केन्द्रित थीं की इन्सान और जानवर में कौन बेस्ट है ? इन्सान तो आज जानवरों से भी वद्तर हो गया है और जानवर इन्सान से कहीं ज्यादा Best ये कलियुग का कडवा सच है ! खैर जाने देते हैं ये तो चलता ही रहेगा ! अब आते मुख्य मुद्दे पर ! मुझे लगता है अंग्रेज इंसानों से कम जानवरों से अधिक प्रेम करते है ! अंग्रेजों के जानवरों ( खासकर कुत्तों ) के प्रति असीम प्रेम को देखते हुए यह पोस्ट लिख रहा हूँ ! लगता है अंग्रेज इंसानों से कम जानवरों से ज्यादा प्यार करता है ! तभी ऐसी हरकतें करते हैं या हम भारतियों का ध्यान आकर्षित करते हैं ! या फिर हम भारतीयों को कोई सन्देश देना चाहते हैं ! वर्ना मुझे क्यों मजबूर होना पड़ता ये लिखने के लिए की " काश हम कुत्ते होते " ! लगता है अंग्रेजों को जानवरों में कुत्तों से कुछ ज्यादा ही लगाव है तभी तो उनके आराम और ख़ुशी का कितना ध्यान रखते हैं ! कभी अमेरिका के बाशिन्ग्टन में कोई अपनी ५२ करोड़ की संपत्ति कुत्तों के नाम कर देता है ! अपनी संतान से ज्यादा कुत्तों पर भरोषा ! तो कहीं कुत्तों के लिए आरामदायक भवन का निर्माण करवाता है ! ताजा समाचारों के अनुसार ब्राजील में खोला गया कुत्तों के लिए एक विशेष भोजनालय ! (Restaurent ) ऐसा भोजनालय जहाँ कुत्तों के भोजन प्रबंध का पूरा ख्याल रखा जाता है ! उनके भोजन में पोषण का पूरा ध्यान रखा जा रहा है ! उनके लिए दुनियाभर के लजीज व्यंजन चिकन , सूप , और गोस्त का बढ़िया इंतजाम किया गया है ! अब कुत्ता मालिकों को अपने कुत्तों की सेहत के लिए ज्यादा परेशान नहीं होना पड़ता है ! कुत्ता मालिक अपनी A।C। B।C। D।C। जो भी कार होती है उसमे अपने कुत्तों को अपने साथ बैठाकर सैर कराते हुए भोजन कराने ले जाते हैं ! अब कुत्तों को सिर्फ हड्डी नहीं हड्डी के साथ साथ बहुत कुछ मिलता है ! जय हो अंग्रेजों की कि कितना बड़ा दिल है उनका जो कुत्तों का इंसानों से ज्यादा ध्यान रखते हैं !
एक और जहाँ ब्राजील बाढ़ से पीड़ित है ! लोग अपने घरों से बेघर हैं ! ब्राजील में ही कुछ इलाके ऐसे हैं जहाँ लोग भुखमरी और कुपोषण का शिकार हैं ! अब ऐसे में जिसे भी मालूम चलता है वह अपने इंसान होने पर दुःख और ढेर सारी गालियाँ इन कुत्तों के लिए भोजनालय खोलने बाले लोगों को देते हैं ! और कुत्तों की अच्छी किश्मत से जलते हैं और कहते हैं ! " काश हम कुत्ते होते " अब आप ही बताएं कितनी अच्छी जिंदगी है अंग्रेज कुत्तों की ! और हमारे यहाँ के कुत्ते किस हाल में जी रहे हैं ! हमारे यहाँ के कुत्तों की कहाँ ऐसी जिंदगी , कुछ कुत्तों को छोड़ दें ( मंत्रियों के आवासों पर निवास करने बाले ) तो सबकी हालत पतली है ! एक ओर जहाँ अंग्रेजी कुत्तों के पोषण का पूरा-पूरा ध्यान रखा जा रहा है ! वहीँ हमारे यहाँ पिछले दिनों बेचारे एक कुत्ते ने जब एक " अछूत " के यहाँ रूखी-सूखी रोटी खा ली तो कितना बवाल मच गया क्या क्या ना सहना पड़ा उसको , बेचारे कुत्ते को " अछूत " का दर्जा तक मिल गया ! कितनी गलत बात है हम लोगों की ! हमें तो इन अंग्रेजों से कुछ सीखना चाहिए ! एक ओर जानवरों से अंग्रेजों का इतना लगाव वहीँ दूसरी ओर हमारे देश में इन्सान की हालत जानवरों से भी वद्तर है ! यहाँ देश के कुछ महानतम नेताजी तो जानवरों का चारा तक चर गए और आज तक डकार भी नहीं ली ! अरे ये तो बेजुबान जानवर है इनके साथ तो जानवरों से भी वद्तर व्यवहार हम लोग कर रहे हैं ! हमने तो इंसानों और जानवरों का भोजन तक नहीं छोड़ा ! हमारे मध्य-प्रदेश में ही कितने मासूम आज भी भुखमरी और कुपोषण का शिकार है ! इन मासूमों का पोषण आज के भ्रष्ट नेता चट कर गए ! आज इंसान इंसान के मुंह से निवाला छीन रहा है ! इंसानों पर जानवरों से ज्यादा वद्तर व्यवहार कर रहा है ! जानवर आज भी वफादारी में इन्सान से ऊपर ही है ! और आने बाले समय में ऊपर ही रहेगा ! एक वक़्त आएगा जब इंसान अपने को इंसान नहीं जानवर कहलवाना पसंद करेगा ! शायद कुछ तो अभी भी कहते होंगे !
सोचना होगा हम इंसानों को की आज हम क्या हैं ? कौन हैं ? क्यों इंसान आज इंसान की अपेक्षा जानवरों के साथ मित्रता करना चाहता है ? क्यों इंसानों से ज्यादा जानवरों से प्यार करता है उन पर भरोसा करता है ? क्यों उनका भला करना चाहता है ? यह एक प्रश्न है हम इंसानों के लिए जिसका जबाब हम इंसान नहीं दे सकते क्योंकि उत्तर हम जानते हैं ! कारण हम इंसान ही हैं ! और ये भी जानते हैं की तराजू के एक पलड़े में जानवर और एक पलड़े में इंसान को रखा जाए तो आज जानवर का ही पलड़ा भारी होगा ? आज जितने पोषण की जरुरत जानवरों को है उससे कहीं जायद इंसान को ! इसलिए कहता हूँ " काश हम कुत्ते होते "
धन्यवाद
achcha likha hai , kutte hote to shayad vfadar bhi hote . kutton ko insanon se jyada ahmiyt shayd unki vfadari ke karn hi milti hai
ReplyDeleteकाश हम कुत्ते होते ..तो सचमुच वफादार होते ...आपने बहुत रोचकता से प्रस्तुत किया है ...अपनी भावना को ...पर इस श्रंखला की तीनो कड़ियाँ सुंदर सन्देश का सम्प्रेषण करती हैं ...आपका आभार
ReplyDeleteकुत्तों की अलग दुनिया।
ReplyDeleteतीनो कड़ियाँ सुंदर सन्देश का सम्प्रेषण करती हैं
ReplyDeleteविचारणीय लेख के लिए बधाई
Ye to sach hai ki,jaanwar hamesha wafadaar hote hain!
ReplyDeleteGantantr diwas kee hardik badhayee!
संदेश स्पष्ट है।
ReplyDeleteअपनी भावना को आपने बहुत रोचकता से प्रस्तुत किया है|
ReplyDeleteविचारणीय लेख के लिए बधाई|
यहाँ तो मै इतना ही कहना चाहूंगी की इन्सान नहीं तो कोई बात नहीं कमसे कम जानवर को तो खिला ही रहें हैं न ? हमारे देश की तरह तो नहीं जो विदोशो मै अपने देश का धन जमा कर के अपने देश की की गरीब जनता के साथ ना इंसाफी तो नहीं कर रहें हैं की जनता दो वक़्त की रोटी के लिए तड़प रही है और उन पैसों का फायदा
ReplyDeleteविदेशो मै हो रहा है !
अच्छा विषय बधाई दोस्त !
खूब कही है ... अच्छा लगा आपको पढ़ना ...हमारे सबसे करीबी ...को जानना अच्छा लगा .
ReplyDeletebahut badiya lekh..
ReplyDeletePls Visit My Blog..
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इस तरफ आदमी उधर कुत्ता बोलिए किसको सावधान करें ?
ReplyDeleteशुभकामनायें ! !
Maafi chaahoonga Sanjay ji, lekh me kahi gayi kai baaton se sahmat nahin hoon.. wo niradhaar si lageen. kai jagah vyangya aur aalekh ka ghaalmel dikha.
ReplyDeletejitna Angrez ek saal me donation aur charities ke liye dete hain utna hum Hindustani 10 saal me bhi nahin de sakte.. aur sahi kaam ke liye to bilkul nahin. haan dharm ke dar ya naam se bhale de deven.